Monday, February 29, 2016
इंदिरा गाँधी की कुछ कडवी हकीकत, truth of India Gandhi
Saturday, February 27, 2016
'अल-तकिया' ll Al Taquia
Tuesday, February 23, 2016
Brave Kshatriyas Rajput who liberated Goa
Monday, February 22, 2016
Did an Indian fly first unmanned aircraft?
Friday, February 19, 2016
Modi power will return back per horoscope
पं० धनंजय शर्मा वैदिक ज्योतिषाचार्य
प्रधानमंत्री के सितारे जल्द ही मजबूत स्थिति में आने वाले हैं। मोदी जी जबसे प्रधानमंत्री बने तब से उनका मूल स्वाभाव काफी बदला-बदला सा नजर आ रहा था। ऐसे में मोदी समर्थक मोदी जी की चुप्पी को लेकर काफी समय से असमंजस की स्थिति में थे लेकिन अब उनके लिये खुशी की बात है की भारत का शेर जल्द ही गरर्जने वाला है।
जी हां मोदी जी के ग्रह इस समय बडे परिवर्तन की ओर इशारा कर रहे हैं। मंगल का वृश्चिक संचार उन्हे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की प्रेरणा देगा तथा शनि व मंगल की युति मोदी जी के विरोधियों को बडा सबक सिखाने वाली है। दूसरी ओर मोदी जी की दशा उन्हे कडे और नपे-तुले फैसले लेते हुये दिखायेगी।
अगले चार माह मोदी जी के लिये निर्णायक साबित होंगे। इस समय मोदी जी आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर खुलकर सामने आयेंगे। पाकिस्तानी और आईएस0आईएस0 आतंकवादी संगठनों के लिये मोदी जी इस समय बडे फैसले लेते हुये दिखेंगे, इसके अतिरिक्त वे धर्म पर भी खुलकर बोलेंगे। मोदी जी की वर्तमान दशा और गोचर उन्हे को हीरों के रूप में दुनिया के सामने लेकर आयेंगे।
Wednesday, February 17, 2016
बीजापुर स्थित ""सात कबर"" और उनका रहस्य ?
Tuesday, February 16, 2016
History of Pratihar/ Parihar Rajput
John Paul II had 'intense' friendship with MARRIED woman: But no UPROAR among christians.
If that happens for Indian saints , it would have been nightmare, uproar all over world. This is difference between Christians, Muslims v/s illiterate Hindus. While John Paul is considered a messiah , and given saint ,almost equal to GOD figure, his acts first of protection of pedophiles and black money laundering in Vatican is a something HORROR movie for me ,as it should be for molested children of Christians but they still follow as blind as they were to their POPE, as any devout Muslin to evil Quran that teaches pedophilia by its own prophet by setting example by marrying Ayesha at age of 6 years.
Pope John Paul II had a close relationship with a married woman which lasted over 30 years according to letters which feature in a documentary being shown by the BBC.The two spent camping and skiing holidays together and went on country walks and BBC was short of telling if they broke sex between them.
"My dear Teresa," he writes. "You write about being torn apart, but I could find no answer to these words."

Friday, February 12, 2016
अखण्ड भारत ,Ancient Undivided India
में हूँ ........ 1947 में ये भारत का 24 वां विभाजन था .........
और ये पोस्ट शायद मेरे जैसों को हिंदुत्व का परचम लहराने की
मुहिम तेज करने का कार्य करेगी और सेक्युलर हिंदुओं की
आँख खोलने का कार्य जो अधिकतर 25 बाई 60 फ़ीट के घर
में महफूज रहने को ही काफी मानकर कबूतर की तरह आँख बन्द
किये बैठे हैं , उन सभी भाई-बहन मित्रों , बच्चों से अनुरोध है
कि इसे जरूर पढ़ें ..... ये पोस्ट दिल्ली ब्यूरो चीफ मिस्टर
निगम द्वारा लिखी गयी है ...... इस लेख के लिए उन्हें

अखंड भारत की पूरी कहानी
आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख
नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण
हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार,
श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या
बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा
होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व
बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के
इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की
सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं।
एवरेस्ट का नाम था सागरमाथा, गौरीशंकर चोटी
पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते
हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें
से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं
तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के
निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय
पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची
चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने
एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया।
ये थीं अखंड भारत की सीमाएं
akhand-bharatइतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं
का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है,
परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की
गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का
अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व
पश्चिम दिशा का वर्णन है। कैलाश मानसरोवर‘ से पूर्व की ओर
जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो
वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर
पर हैं।
एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व
पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व आर्यान
(ईरान) तक ही है। इन मिलन बिंदुओं के बाद ही दोनों ओर
महासागर का नाम बदलता है। इस प्रकार से हिमालय, हिंद
महासागर, आर्यान (ईरान) व इंडोनेशिया के बीच का पूरे भू-भाग
को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष या हिंदुस्तान कहा जाता है।
अब तक 24 विभाजन
सन 1947 में भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में 24वां
विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट
इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर
धीरे-धीरे शासक बनना और उसके बाद 1857 से 1947 तक
उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। 1857 में
भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किमी था। वर्तमान भारत
का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग किमी है। पड़ोसी 9 देशों का
क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग किमी बनता है।
क्या थी अखंड भारत की स्थिति
सन 1800 से पहले विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत
के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय ये देश थे ही
नहीं। यहां राजाओं का शासन था। इन सभी राज्यों की भाषा
अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परंपराएं बाकी
भारत जैसी ही हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-
नृत्य, पूजापाठ, पंथ के तरीके सब एकसे थे। जैसे-जैसे इनमें से
कुछ राज्यों में भारत के इतर यानि विदेशी मजहब आए तब यहां
की संस्कृति बदलने लगी।
2500 सालों के इतिहास में सिर्फ हिंदुस्तान पर हुए हमले
इतिहास की पुस्तकों में पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रमण
हुए (यूनानी, यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच,
डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज) इन सभी ने
हिंदुस्तान पर आक्रमण किया ऐसा इतिहासकारों ने अपनी
पुस्तकों में कहा है। किसी ने भी अफगानिस्तान, म्यांमार,
श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या
बांग्लादेश पर आक्रमण का उल्लेख नहीं किया है।
रूस और ब्रिटिश शासकों ने बनाया अफगानिस्तान
1834 में प्रकिया शुरु हुई और 26 मई 1876 को रूसी व
ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय
हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात्
राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया।
इससे अफगानिस्तान अर्थात पठान भारतीय स्वतंत्रतता
संग्राम से अलग हो गए। दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी
रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व
मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि
अफगानिस्तान पर नियंत्रण किसका हो? अफगानिस्तान शैव व
प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ
इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहां, शेरशाह सूरी
व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार
(गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।
1904 में दिया आजाद रेजीडेंट का दर्जा
मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित
कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य बना चुके थे।
स्वतंत्रतता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के
विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने
विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक
स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर
नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा प्रदान कर अपना रेजीडेंट
बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी
अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा
को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-
महाराजाओं में यहां तनाव था। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी
रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।
भूटान के लिए ये चाल चली गई
1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के
मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम
से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण से रेजीडेंट के माध्यम से
रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना शुरु
किया। यहां के लोग ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक
थे। यहां खनिज व वनस्पति प्रचुर मात्रा में थी। यहां के जातीय
जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय धारा से अलग कर मतांतरित
किया गया। 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक
विस्तार कर नए आयामों की रचना कर डाली। फिर एक नए टेश
का निर्माण हो गया।
चीन ने किया कब्जा
1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीन भारत की
ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के
बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए
हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण
करने का निर्णय हुआ। हिमालय को बांटना और तिब्बत व
भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और
अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी
मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला।
अंग्रेजों ने अपने लिए बनाया रास्ता
1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी
भारत व एशिया से जाना पड़ सकता है। समुद्र में अपना
नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा
स्वतंत्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने
हेतु सन 1935 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग
राजनीतिक देश की मान्यता दी। म्यांमार व श्रीलंका का अलग
अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो
पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में
प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं
को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून
का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने
के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।
दो देश से हुए तीन
1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। इसकी पटकथा
अंग्रेजों ने पहले ही लिख दी थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति
भौगोलिक रूप से पाकिस्तान की थी। ये देश दो भागों में बंटा हुआ
था और दोनों के बीच की दूरी थी 2500 किलो मीटर। 16
दिसंबर 1971 को भारत के सहयोग से एक अलग देश बांग्लादेश
अस्तित्व में आया।
तथाकथित इतिहासकार भी दोषी
यह कैसी विडंबना है कि जिस लंका पर पुरुषोत्तम श्री राम ने
विजय प्राप्त की ,उसी लंका को विदेशी बना दिया। रचते हैं हर
वर्ष रामलीला। वास्तव में दोषी है हमारा इतिहासकार समाज
,जिसने वोट-बैंक के भूखे नेताओं से मालपुए खाने के लालच में
भारत के वास्तविक इतिहास को इतना धूमिल कर दिया है,
उसकी धूल साफ करने में इन इतिहासकारों और इनके आकाओं
को साम्प्रदायिकता दिखने लगती है। यदि इन तथाकथित
इतिहासकारों ने अपने आकाओं ने वोट-बैंक राज+नीति खेलने
वालों का साथ नही छोड़ा, देश को पुनः विभाजन की ओर धकेल
दिया जायेगा। इन तथाकथित इतिहासकारो ने कभी वास्तविक
भूगोल एवं इतिहास से देशवासिओं को अवगत करवाने का साहस
नही किया।
The hero who won a Param Vir Chakra on Siachen
JNU - a den of ISI , CIA, Marxists, anti india activity center
The latest example is foreign forces want NE Christian students also to behave like Kashmiri Muslim students . The Commie professors and students have NO fear of Indian law , as they feel that foreign forces will handle everything using their contacts with politicians, police and “collegium” judiciary.

ajitvadakayil
Thursday, February 11, 2016
हिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin
Dr.Pahoja की शोध पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
हिन्दू शब्द नाही फारसी मुसलमानों का दिया शब्द है और नाही अरबी मुसलमानों ।
हिन्दू शब्द के प्रमाण हमें 500 ईसापूर्व में अवेस्ता ग्रन्थ से मिलते है फारस में इस्लाम आने से पहले।
कुछ कहते है की हिन्दू शब्द फारसियो के गलत उच्चारण और 'स' को 'ह' बोलने की आदत से आया है ।
पर ये गलत है।
उस समय भारत की सीमा अफगान तक थी और भारत की सीमा के सबसे करीब काबुल नदी थी नाही सिन्धु,तो क्यों नहीं हमें काबुली कहा गया ??
फारसी भाषा के व्याकरण में हमें ये देखने नहीं मिलता।
फारस या वे खुदको परस बोलते उसमे भी 'स' है पर वे तो खुदको परह नहीं कहते थे ।
प्राचीन इराकी शहर सुमेर को सुमेर ही कहते थे फारसी।
प्राचीन समय में सिंध नामक एक राज्य था और उसे सिंध ही कहा गया साथ ही आज के पाकिस्तान में सिंध नाम का प्रान्त है पर उसे भी सिंध ही कहते है और यदि सिन्धु के दूसरी तरह रहने वालो को हिन्दू कहा गया तो सिंध को सिंध ही क्यों हिन्द क्यों नहीं।
यदि में कही बंधू शब्द संधू से आया तो ??
दोनों का उच्चारण एक ही है पर दोनों अलग है।
सतलज को भी सतलज कहा गया हतलज नहीं।
साथ ही जब यह सिधांत ख़त्म हो गया की फारसी 'स' को 'ह' बोलते थे तब नया सिधांत आया की विदेशी भारतीय नाम ठीक से नहीं ले सकते थे ।
पर फारसियो ने गंधार को गंधार ही कहा यानि वे भारतीय नाम ठीक से ले सकते थे।
फारस ने जब सिन्धु घाटी कब्जाया तो उन्होंने यहाँ के लोगो हिदू कहा
बाद में क्षेर्क्षेस ने के काल के लेख में हमें मिलता है
'इयम क़तागुविया ' (यह मध्य एशिया है)
'इयम गडरिया' (यह गंधर है)
'इयम हिदुविया'(यह हिन्दू है)
इन लेखो से पता चलता है की क्षेर्क्षेस या फारसियो ने पुरे भारत को हिन्द नहीं कहा क्युकी
गंधार को अलग राज्य बताया गया है ।
इस लेख की शुरुवात मध्य एशिया या कज़ाकिस्तान से होती है जो भारत के उत्तर में है फिर गंधार का नाम है जो अफगान में था और हिन्द पर ख़त्म होती है यानि हिन्द सिन्धु घाटी हो सकता है पर वेदों में सिन्धु घाटी को ब्रह्मवर्त कहा गया या तो म्लेच्छ देश साथ ही सिन्धु के किनारे रहने वालो ने खुदको कभी सिंधवी या सिन्धी नहीं कहा।
एक और बात क्षेर्क्षेस ने भले ही भारत के पंजाब तक की धरती जीती हो पर उसने खुदको आर्यावर्त महाराज कहा पर लेखो में कही आर्यावर्त शब्द नहीं यानि जिस हिन्द की बात की गयी है वो असल में भारत ही है।
जुनागड़ में मिले अशोक के शिलालेख में भी हमें इस देश का नाम हिदा या हिन्द मिलता है और पुरे 70 बार ।
उसने इस देश को हिदा लोक कहा है ।
गौर करे तो इतिहासकारों ने कहा की ये फारसियो का दिया शब्द है यदि ऐसा है तो भारत के लोग फारसी नहीं बोलते थे तो उन्होंने अचानक ही एक फारसी शब्द कैसे अपना लिया।
अशोक ने अपने लेख मागधी में लिखवाए है और इससे साफ पता चलता है की हिन्दू भारतीय शब्द है।
साथ ही हिब्रू बाइबिल में सिन्धु को इंडो कहा गया है और भारत के लोगो को हिदो यानि हिन्दू शब्द सिन्धु से नहीं आया।
साथ ही फारस के पारसी धर्म में सरस्वती को उतना ही पूज्य मानते है जितना भारत में ,उनके अनुसार फारस की सीमा सारस्वत तक थी तो इस हिसाब से हम सरस्वती के दूसरी तरफ रहने वाले हो गए तो फारसियो को हमें सरस्वती के नाम से बुलाना चाहिए था |
पर गंधार के साथ कई अन्य राज्य थे जिनके नाम नहीं है |
अभी आप सोच रहे होंगे की यदि हिन्दू शब्द मुसलमानों,फारसियो का नहीं और ये वेदों में नहीं तो कहा से आया ?
इसके लिए मेरे 3 सिधांत है।
पहला हिन्दू शब्द अवेस्ता से पहले हित्तेती लोगो ने इस्तेमाल किया।
सरस्वती नदी सूखने के बाद भारत से यूरोप और तुर्क की तरफ 3 बड़े प्रवास हुए
पहला हित्तेती और मित्तानी जो सिन्धु घटी से तुर्क बसे 2000 ईसापूर्व में और वे खुद मानते है की वे सिन्धु से है।
दूसरा यूरोप की तरफ यूनान में 1500 ईसापूर्व में हुआ ,यूनानी भारतीयों को डोरियन कहते।
तीसरा 1000 ईसापूर्व में फिरसे यूरोप की तरफ हुआ।
अब इनमे हित्तेती और मित्तानी सबसे महत्वपूर्ण है।
हित्तेती और मित्तानी भारतीय देवी देवताओ को मानते जैसे इंद्र,वरुण और अग्नि।
हित्तेती और मित्तानी खुद कहते वे सिन्धु से आए है।
अब ये जो हित्तेती है इन्हें हित्तेतु या हित्तु भी कहा गया जो हिन्दू से मिलता है साथ ही चीनी हमें हेइन तू कहते और यह भी हित्तेती या हित्तेतु शब्द से मिलता है यानि हित्तेती खुदको हिन्दू कहते।
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू शब्द जम्बू से आया हो ।
जम्बू या जम्बू द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप का संस्कृत नाम है।
ऐसा हो सकता है की जम्बू धीरे धीरे जिम्बू हुआ फिर हिन्बू फिर हिन्बू और फिर हिन्दू।
अब आप कहेंगे की फिर हिन्दू शब्द वेदों में क्यों नहीं ??
इसका जवाब भी मेरा सिधांत देगा
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू असल में सनातन धर्म का ही दूसरा नाम है ।
अब वेदों में आपको विष्णु या शिव शब्द नहीं मिलेंगा इसका यह अर्थ नहीं की विष्णु और शिव सनातन धर्म के देवता नहीं ।
वेदों में विष्णु के लिए नारायण शब्द इस्तेमाल हुआ है और शिव के लिए रूद्र शब्द।
इसिकादर बाद में जाकर हिन्दू शब्द का इस्तेमाल हुआ।
साथ ही आप जितने यह पोस्ट पड़ रहे है उनमे से मुस्किल से 1% ने ही वेद पड़े होंगे तो आप दावे से कैसे कह सकते है की वेद या पूरण में हिन्दू शब्द नहीं है ??
क्या आपने असली वेद पड़े है?
आज अधिकतर वेद जो बाज़ार में है वे केवल वेदों के श्लोक के अर्थ है जो आज से 90-100 वर्ष पूर्व लिखे गए थे और हमें वाही अंग्रेजो का अर्थ ही पढ़ायाजाता है।
हाल ही में पता चला है की पुरानो में हिन्दू शब्द है
यानि हमें फिरसे शोध कराना होगा।
ऐसा नहीं है की वेदों पर शोध नहीं हो रहे पर वे ठीक से नहीं हो रहे या हमसे छुपाया जा रहा है ।
अँगरेज़ और आज के मुसलमानों के चमचे इतिहासकारों ने पहले तो हमें विदेशी बता दिया फिर हमारा आत्मसम्मान गिराने के लिए एक और चाल चली।
क्युकी वेद और पुरानो के अलावा सनातन शब्द विदेशी लेख में नहीं मिलता और हिन्दू शब्द मिलता है तो हिन्दू को विदेशी बना दिया।
जय माँ भारतीहिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin
हो लाल मेरी पट श्री झुलेलाल का भजन था -Myth of ho lal meri pat bhajan
लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर
हो लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन
लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर
हो लाल मेरी..हो लाल मेरी..
हो चार चराग तेरे बलां हमेशा
हो चार चराग तेरे बलां हमेशा
चार चराग तेरे बलां हमेशा
पंजवा में बलां आई आन बला झूले लालन
हो पंजवान में बालन
हो पंजवान में बालन आई आन बलां झूले लालन
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर
हो लाल मेरी..हाय लाल मेरी..
हो झनन झनन तेरी नोबत बाजे
हो झनन झनन तेरी नोबत बाजे
झनन झनन तेरी नोबत बाजे
नाल बाजे घड्याल बलां झूले लालन
हो नाल बाजे..
नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालन
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर
कलंदर..(हो लाल मेरी, हाय लाल मेरी..)"
हिंदी में अर्थ :
" ओ सिंध के राजा ,झुलेलाल , शेवन के पिता
लाल पगड़ी वाले ,तुम्हारी महिमा सदा कायम रहे
कृपया मुझपर सदा कृपा बनाये रखना
तुम्हारा मंदिर सदा प्रकाशमय रहता है उन चार चिरागों के कारण
इसीलिए मैं पंचा चिराग जलाने आया हु आपकी पूजा के लिए
आपका नाम हिंद और सिंध में गूंजे
आपके संमान में घंटिया जोर जोर से बजे
ओ मेरे इश्वर , आपकी महिमा यु ही बदती रहे हर बार ,हर जगह
मैं आपसे प्राथना करता हु की आप मेरी नाव नदी के पार लगा दे "
आज कल या कवाली हिंदी फिल्मो में काफी प्रसिद्ध हो रही है और कई फिल्मो में यह कवाली ली जा चुकी है |यह कवाली असल में सिंध के हिंदू संत श्री झुलेलाल का भजन था जिसे कवाली का रूप दे दिया गया है |
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संत झुलेलाल |
संत झुलेलालसंत झुलेलाल का जन्म सिंध में 1007 इसवी में हुआ था |वे नसरपुर के रतनचंद लोहालो और माता देवकी के घर जन्मे थे , मान्यता यह है की वे वरुण के अवतार थे | उस समय सिंध पर मिर्कशाह नाम का मुस्लिम राजा राज कर रहा था जिसने यह हुक्म दिया था हिन्दुओ को की मरो या इस्लाम काबुल कर लो | तब सिंध के हिंदुओ ने 40 दिनों तक उपवास रखा और इश्वर से प्राथना की ,इसीलिए वरुण देव झुलेलाल के रूप में अवतरित हुए | संत झुलेलाल ने गुरु गोरखनाथ से 'अलख निरंजन ' गुरु मन्त्र प्राप्त किया | जब मिर्कशाह ने संत झुलेलाल के बारे में सुना तो उसने उन्हें अपने पास बुलवाया , उस समय संत झुलेलाल 13 वर्ष के ही थे |मिर्कशाह के सामने आने पर मिर्कशाह ने उन्हें बंदी बनाने का आदेश दिया पर तभी मिर्कशाह का महल आग की लपटों से घिर गया , तब मिर्कशाह को अपनी गलती कहा एहसास हुआ और उसने संत झुलेलाल से क्षमा मांगी ,इसके बाद पास ही के गाँव थिजाहर में 13 वर्ष की आयु में संत झुलेलाल ने समाधी ले ली |
![]() |
काफ़िर किला ,प्राचीन शिव मंदिर |
सिंध प्राचीन काल से ही हिन्दुओ की भूमि थी ,इसका एक उधारण है काफ़िर किला जो पहले एक शिव मंदिर था ,700 इसवी के बाद अरबी मुसलमानों भारत पर हमला किया और अफगान और सिंध में इस्लाम का प्रचार शुरू कर दिया |
यह काम तलवार की नोक पर होता और इस काम के लिए सूफियो का सहारा भी लिया जाता था |
संत झुलेलाल सिंध में काफी प्रसिद्ध थे और वहा इस्लाम फ़ैलाने के लिए मुसलमानों ने शहबाज़ कलंदर को झुलेलाल जैसा बनाने की कोशिस की |
अब यदि आप उस कवाली का अर्थ पड़े तो आपको घंटियों का उल्लेख मिलेगा और दरगाह ,मस्जिद या मजार में तो घंटिया होती ही नहीं ,यह तो मंदिरों में होती है ,साथ ही चिराग या दियो से किसी सूफी की पूजा नही की जाती |
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इस कवाली में झुलेलाल शब्द भी है सो प्रमाण है की यह कवाली असल में झुलेलाल का भजन था और मुसलमानों ने संत झुलेलाल के इस्लामीकरण की कोशिस की |
आज कई हिंदू इस कवाली को गा रहे है जबकि कई इस कवाली का अर्थ तक नहीं पता (क्युकी कवाली हिंदी में नहीं है ) ,वे नहीं जानते की एक तरह से वे इस्लामीकरण को बढावा दे रहे है |
प्राचीन दुनिया
USA was wrong about Allepo,Syria-There is ONLY military solution for terrorist.
The USA says there could be no military solution to Syria. The Russians may be proving the United States wrong. There may be a military solution, one senior American official conceded Wednesday, “just not our solution,” but that of President Vladimir V. Putin of Russia.
Terrorist learns only their own language- military extermination and in past and present it proves. USA is playing game in Syria with elected government for Saudi Wahabi regime, seems like Saudi has bought USA'S ARAB FOREIGN POLICY but they were not aware of fact that Russia will not leave any stone unearthed if it comes to its friends- IRAN,INDIA, SYRIA etc.
The Russian military action has changed the shape of a conflict that had effectively been stalemated for years. Suddenly, Mr. Assad and his allies have momentum, and the United States-backed rebels are on the run. If a cease-fire is negotiated here, it will probably come at a moment when Mr. Assad holds more territory, and more sway, than since the outbreak of the uprisings in 2011.
Mr. Kerry enters the negotiations with very little leverage: The Russians have cut off many of the pathways the C.I.A. has been using for a not-very-secret effort to arm rebel groups, according to several current and former officials. Mr. Kerry’s supporters inside the administration say he has been increasingly frustrated by the low level of American military activity, which he views as essential to bolstering his negotiation effort.
At the core of the American strategic dilemma is that the Russian military adventure, which Mr. Obama dismissed last year as ill-thought-out muscle flexing, has been surprising effective in helping Mr. Assad reclaim the central cities he needs to hold power, at least in a rump-state version of Syria.
Battle maps from the Institute for the Study of War show, in fact, that it is: The Russians, with Iranian help on the ground, appear to be handing Mr. Assad enough key cities that his government can hang on.
Days of intense bombing that could soon put the critical city of Aleppo back into the hands of Syrian President Assad’s forces.
Tuesday, February 9, 2016
Mahesh bhatt. Nexus of ISI,and mahesh bhatt
Monday, February 8, 2016
M K Gandhi decoded-गांधीः नैक्ड ऐंबिशन, Mahatma Gandi -Truth uncovered
गान्धी ने भार...तवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।

5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक
में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की
सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया
18. द्वितीया विश्वा युध मे गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन का लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया , जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
.19. क्या ५०००० हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़ ?????
विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी…मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५ टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा….फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया…. और वो हिंदू— गाँधी मरता है तो मरने दो —- के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे…,,,
रिपोर्ट — जस्टिस कपूर.. सुप्रीम कोर्ट….. फॉर गाँधी वध क्यो ?
२०. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जाकर ब्यास नदी के किनारे जला दिए गए। असल में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी लगी थी। कांग्रेस तक में अंदरूनी दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ दिन बाद होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए, अगर गांधी ने दबाव बनाया होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा नहीं चाहते थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता.|
मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” को किताब का रूप दिया है।
किताब में वैसे तो नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी केआत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है।जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियोंऔर महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में “नग्न स्नान” भी करते थे।नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं|
ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों कोस्वीकार नहीं हो सकता।
किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्रमें 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु-शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया।
किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया है, जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं।
किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।”
किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।”
ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही।जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।
हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उनदस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे।
कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं।
बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है।
हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी “आध्यात्मिक पत्नी” हैं।
ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की, मुझे बधाई दी।” 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य कीयह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। 'गांधीः नैक्ड ऐंबिशन' का लंदन यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स-जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है।