Thursday, February 11, 2016

हिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin

इससे पहले में शुरू करू में यह बता दू की यह पोस्ट Dr Mahendra .Pahoja जी की शोध और मेरे सिधान्तो पर आधारित है |
Dr.Pahoja की शोध पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

हिन्दू शब्द नाही फारसी मुसलमानों का दिया शब्द है और नाही अरबी मुसलमानों ।
हिन्दू शब्द के प्रमाण हमें 500 ईसापूर्व में अवेस्ता ग्रन्थ से मिलते है फारस में इस्लाम आने से पहले।
कुछ कहते है की हिन्दू शब्द फारसियो के गलत उच्चारण और 'स' को 'ह' बोलने की आदत से आया है ।
पर ये गलत है।
उस समय भारत की सीमा अफगान तक थी और भारत की सीमा के सबसे करीब काबुल नदी थी नाही सिन्धु,तो क्यों नहीं हमें काबुली कहा गया ??
फारसी भाषा के व्याकरण में हमें ये देखने नहीं मिलता।
फारस या वे खुदको परस बोलते उसमे भी 'स' है पर वे तो खुदको परह नहीं कहते थे ।
प्राचीन इराकी शहर सुमेर को सुमेर ही कहते थे फारसी।
प्राचीन समय में सिंध नामक एक राज्य था और उसे सिंध ही कहा गया साथ ही आज के पाकिस्तान में सिंध नाम का प्रान्त है पर उसे भी सिंध ही कहते है और यदि सिन्धु के दूसरी तरह रहने वालो को हिन्दू कहा गया तो सिंध को सिंध ही क्यों हिन्द क्यों नहीं।
यदि में कही बंधू शब्द संधू से आया तो ??
दोनों का उच्चारण एक ही है पर दोनों अलग है।
सतलज को भी सतलज कहा गया हतलज नहीं।
साथ ही जब यह सिधांत ख़त्म हो गया की फारसी 'स' को 'ह' बोलते थे तब नया सिधांत आया की विदेशी भारतीय नाम ठीक से नहीं ले सकते थे ।
पर फारसियो ने गंधार को गंधार ही कहा यानि वे भारतीय नाम ठीक से ले सकते थे।
फारस ने जब सिन्धु घाटी कब्जाया तो उन्होंने यहाँ के लोगो हिदू कहा
बाद में क्षेर्क्षेस ने के काल के लेख में हमें मिलता है
'इयम क़तागुविया ' (यह मध्य एशिया है)
'इयम गडरिया' (यह गंधर है)
'इयम हिदुविया'(यह हिन्दू है)
इन लेखो से पता चलता है की क्षेर्क्षेस या फारसियो ने पुरे भारत को हिन्द नहीं कहा क्युकी
गंधार को अलग राज्य बताया गया है ।
इस लेख की शुरुवात मध्य एशिया या कज़ाकिस्तान से होती है जो भारत के उत्तर में है फिर गंधार का नाम है जो अफगान में था और हिन्द पर ख़त्म होती है यानि हिन्द सिन्धु घाटी हो सकता है पर वेदों में सिन्धु घाटी को ब्रह्मवर्त कहा गया या तो म्लेच्छ देश साथ ही सिन्धु के किनारे रहने वालो ने खुदको कभी सिंधवी या सिन्धी नहीं कहा।
एक और बात क्षेर्क्षेस ने भले ही भारत के पंजाब तक की धरती जीती हो पर उसने खुदको आर्यावर्त महाराज कहा  पर लेखो में कही आर्यावर्त शब्द नहीं यानि जिस हिन्द की बात की गयी है वो असल में भारत ही है।
जुनागड़ में मिले अशोक के शिलालेख में भी हमें इस देश का नाम हिदा या हिन्द मिलता है और पुरे 70 बार ।
उसने इस देश को हिदा लोक कहा है ।
गौर करे तो इतिहासकारों ने कहा की ये फारसियो का दिया शब्द है यदि ऐसा है तो भारत के लोग फारसी नहीं बोलते थे तो उन्होंने अचानक ही एक फारसी शब्द कैसे अपना लिया।
अशोक ने अपने लेख मागधी में लिखवाए है और इससे साफ पता चलता है की हिन्दू भारतीय शब्द है।
साथ ही हिब्रू बाइबिल में सिन्धु को इंडो कहा गया है और भारत के लोगो को हिदो यानि हिन्दू शब्द सिन्धु से नहीं आया।
साथ ही फारस के पारसी धर्म में सरस्वती को उतना ही पूज्य मानते है जितना भारत में ,उनके अनुसार फारस की सीमा सारस्वत तक थी तो इस हिसाब से हम सरस्वती के दूसरी तरफ रहने वाले हो गए तो फारसियो को हमें सरस्वती के नाम से बुलाना चाहिए था |
पर गंधार के साथ कई अन्य राज्य थे जिनके नाम नहीं है |

अभी आप सोच रहे होंगे की यदि हिन्दू शब्द मुसलमानों,फारसियो का नहीं और ये वेदों में नहीं तो कहा से आया ?
इसके लिए मेरे 3 सिधांत है।
पहला हिन्दू शब्द अवेस्ता से पहले हित्तेती लोगो ने इस्तेमाल किया।
सरस्वती नदी सूखने के बाद भारत से यूरोप और तुर्क की तरफ 3 बड़े प्रवास हुए
पहला हित्तेती और मित्तानी जो सिन्धु घटी से तुर्क बसे 2000 ईसापूर्व में और वे खुद मानते है की वे सिन्धु से है।
दूसरा यूरोप की तरफ यूनान में 1500 ईसापूर्व में हुआ ,यूनानी भारतीयों को डोरियन कहते।
तीसरा 1000 ईसापूर्व में फिरसे यूरोप की तरफ हुआ।
अब इनमे हित्तेती और मित्तानी सबसे महत्वपूर्ण है।
हित्तेती और मित्तानी भारतीय देवी देवताओ को मानते जैसे इंद्र,वरुण और अग्नि।
हित्तेती और मित्तानी खुद कहते वे सिन्धु से आए है।
अब ये जो हित्तेती है इन्हें हित्तेतु या हित्तु भी कहा गया जो हिन्दू से मिलता है साथ ही चीनी हमें हेइन तू कहते और यह भी हित्तेती या हित्तेतु शब्द से मिलता है यानि हित्तेती खुदको हिन्दू कहते।
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू शब्द जम्बू से आया हो ।
जम्बू या जम्बू द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप का संस्कृत नाम है।
ऐसा हो सकता है की जम्बू धीरे धीरे जिम्बू हुआ फिर हिन्बू फिर हिन्बू और फिर हिन्दू।
अब आप कहेंगे की फिर हिन्दू शब्द वेदों में क्यों नहीं ??
इसका जवाब भी मेरा सिधांत देगा
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू असल में सनातन धर्म का ही दूसरा नाम है ।
अब वेदों में आपको विष्णु या शिव शब्द नहीं मिलेंगा इसका यह अर्थ नहीं की विष्णु और शिव सनातन धर्म के देवता नहीं ।
वेदों में विष्णु के लिए नारायण शब्द इस्तेमाल हुआ है और शिव के लिए रूद्र शब्द।
इसिकादर बाद में जाकर हिन्दू शब्द का इस्तेमाल हुआ।
साथ ही आप जितने यह पोस्ट पड़ रहे है उनमे से मुस्किल से 1% ने ही वेद पड़े होंगे तो आप दावे से कैसे कह सकते है की वेद या पूरण में हिन्दू शब्द नहीं है ??
क्या आपने असली वेद पड़े है?
आज अधिकतर वेद जो बाज़ार में है वे केवल वेदों के श्लोक के अर्थ है जो आज से 90-100 वर्ष पूर्व लिखे गए थे और हमें वाही अंग्रेजो का अर्थ ही पढ़ायाजाता है।
हाल ही में पता चला है की पुरानो में हिन्दू शब्द है
यानि हमें फिरसे शोध कराना होगा।
ऐसा नहीं है की वेदों पर शोध नहीं हो रहे पर वे ठीक से नहीं हो रहे या हमसे छुपाया जा रहा है ।
अँगरेज़ और आज के मुसलमानों के चमचे इतिहासकारों ने पहले तो हमें विदेशी बता दिया फिर हमारा आत्मसम्मान गिराने के लिए एक और चाल चली।
क्युकी वेद और पुरानो के अलावा सनातन शब्द विदेशी लेख में नहीं मिलता और हिन्दू शब्द मिलता है तो हिन्दू को विदेशी बना दिया।
जय माँ भारतीहिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin

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