Friday, February 12, 2016

JNU - a den of ISI , CIA, Marxists, anti india activity center

Binayak Sen was a Professor at the Centre for Social Medicine and Community Health at NU.  On May 14, 2007, Dr Sen, was arrested under the provisions of the Chhattisgarh Special Public Security Act, 2005, (CSPSA) and the Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967. The allegations claimed that he had acted as a courier for a Maoist leader Narayan Sanyal lodged in the Raipur Jail and then absconded. 

The charges against him were as follows:
a) Treason
b) Criminal Conspiracy
c) Sedition, anti-national activities and making war against the nation
d) Knowingly using the proceeds of terrorism
e) Links with the Maoists
DIVIDE EVERY WHICH WAY is a method used in the JNU campus.  

The latest example is foreign forces want NE Christian students also to behave like Kashmiri Muslim students . The Commie professors and students have NO fear of Indian law , as they feel that foreign forces will handle everything using their contacts with politicians, police and “collegium” judiciary.

Recently Baba Ramdev was insulted by the JNU Commie students .

Binayak Sen is now the national Vice-President of the People's Union for Civil Liberties (PUCL).  He is a member of the policy group for Police Reforms of Aam Aadmi Party and he has the support of BIG BROTHER who uses his DOUBLE AGENT Noam Chomsky.

The whole of India knows that JNU is known to be a red bastion who cultivates  Communism and lack of attachment to the motherland and Indian culture .  A lot of JNU students are in the campus and hostels for years.  Some of them continue even after double PHD.  The professors with Communist leanings sponsor them and requiRe them to be ANTI-HINDU . The main stream media sponsors these anti-national professors .  These professors live far beyond their month end salaries.  The students say that living is cheap inside the hostels .  The real reason is that they get enormous amount of foreign money MONTHLY from Trojan Horse NGOs and they make more money inside the campus than taking up a job outside – and a lot of USEFUL IDIOTS are hooked on to expensive cocaine and synthetic drugs that they really cant leave ”
For the first year students to get a hostel is an uphill task unless you are on a Communist Students Union recommendation .  Even to get a cheap residence / cheap transport outside the campus , it is easy if you are a Communist Student “

It rang a bell , because I know for sure from another JNU student , that this Commie sponsoring link was broken for a while due to Lyngdoh commission stopping Students Union activities in JNU.


“ Commie male students get enough good quality liquor from Trojan Horse NGOs – the BAR used to be at the  Parthasarathy Hill rock , a water source area etc.   Commie student activists are provided “female services” on weekends outside the campus FREE. The more you distort ancient Indian history , the more you ridicule Hindu culture the better the FREE perks , all from these NGOs.  The professors know that drugs are almost in every Commie students rooms , but they do nothing.  Even girls roll and smoke drugs and have sex with boys. The Maoist-Naxalites students’ wings is AISA (All India Student Associations).  AISA cry is, ‘Naxalbari lal Salam’ (Naxalbari Red Salute) . This cry is often heard even in girl student hostels"




ajitvadakayil

Thursday, February 11, 2016

हिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin

इससे पहले में शुरू करू में यह बता दू की यह पोस्ट Dr Mahendra .Pahoja जी की शोध और मेरे सिधान्तो पर आधारित है |
Dr.Pahoja की शोध पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

हिन्दू शब्द नाही फारसी मुसलमानों का दिया शब्द है और नाही अरबी मुसलमानों ।
हिन्दू शब्द के प्रमाण हमें 500 ईसापूर्व में अवेस्ता ग्रन्थ से मिलते है फारस में इस्लाम आने से पहले।
कुछ कहते है की हिन्दू शब्द फारसियो के गलत उच्चारण और 'स' को 'ह' बोलने की आदत से आया है ।
पर ये गलत है।
उस समय भारत की सीमा अफगान तक थी और भारत की सीमा के सबसे करीब काबुल नदी थी नाही सिन्धु,तो क्यों नहीं हमें काबुली कहा गया ??
फारसी भाषा के व्याकरण में हमें ये देखने नहीं मिलता।
फारस या वे खुदको परस बोलते उसमे भी 'स' है पर वे तो खुदको परह नहीं कहते थे ।
प्राचीन इराकी शहर सुमेर को सुमेर ही कहते थे फारसी।
प्राचीन समय में सिंध नामक एक राज्य था और उसे सिंध ही कहा गया साथ ही आज के पाकिस्तान में सिंध नाम का प्रान्त है पर उसे भी सिंध ही कहते है और यदि सिन्धु के दूसरी तरह रहने वालो को हिन्दू कहा गया तो सिंध को सिंध ही क्यों हिन्द क्यों नहीं।
यदि में कही बंधू शब्द संधू से आया तो ??
दोनों का उच्चारण एक ही है पर दोनों अलग है।
सतलज को भी सतलज कहा गया हतलज नहीं।
साथ ही जब यह सिधांत ख़त्म हो गया की फारसी 'स' को 'ह' बोलते थे तब नया सिधांत आया की विदेशी भारतीय नाम ठीक से नहीं ले सकते थे ।
पर फारसियो ने गंधार को गंधार ही कहा यानि वे भारतीय नाम ठीक से ले सकते थे।
फारस ने जब सिन्धु घाटी कब्जाया तो उन्होंने यहाँ के लोगो हिदू कहा
बाद में क्षेर्क्षेस ने के काल के लेख में हमें मिलता है
'इयम क़तागुविया ' (यह मध्य एशिया है)
'इयम गडरिया' (यह गंधर है)
'इयम हिदुविया'(यह हिन्दू है)
इन लेखो से पता चलता है की क्षेर्क्षेस या फारसियो ने पुरे भारत को हिन्द नहीं कहा क्युकी
गंधार को अलग राज्य बताया गया है ।
इस लेख की शुरुवात मध्य एशिया या कज़ाकिस्तान से होती है जो भारत के उत्तर में है फिर गंधार का नाम है जो अफगान में था और हिन्द पर ख़त्म होती है यानि हिन्द सिन्धु घाटी हो सकता है पर वेदों में सिन्धु घाटी को ब्रह्मवर्त कहा गया या तो म्लेच्छ देश साथ ही सिन्धु के किनारे रहने वालो ने खुदको कभी सिंधवी या सिन्धी नहीं कहा।
एक और बात क्षेर्क्षेस ने भले ही भारत के पंजाब तक की धरती जीती हो पर उसने खुदको आर्यावर्त महाराज कहा  पर लेखो में कही आर्यावर्त शब्द नहीं यानि जिस हिन्द की बात की गयी है वो असल में भारत ही है।
जुनागड़ में मिले अशोक के शिलालेख में भी हमें इस देश का नाम हिदा या हिन्द मिलता है और पुरे 70 बार ।
उसने इस देश को हिदा लोक कहा है ।
गौर करे तो इतिहासकारों ने कहा की ये फारसियो का दिया शब्द है यदि ऐसा है तो भारत के लोग फारसी नहीं बोलते थे तो उन्होंने अचानक ही एक फारसी शब्द कैसे अपना लिया।
अशोक ने अपने लेख मागधी में लिखवाए है और इससे साफ पता चलता है की हिन्दू भारतीय शब्द है।
साथ ही हिब्रू बाइबिल में सिन्धु को इंडो कहा गया है और भारत के लोगो को हिदो यानि हिन्दू शब्द सिन्धु से नहीं आया।
साथ ही फारस के पारसी धर्म में सरस्वती को उतना ही पूज्य मानते है जितना भारत में ,उनके अनुसार फारस की सीमा सारस्वत तक थी तो इस हिसाब से हम सरस्वती के दूसरी तरफ रहने वाले हो गए तो फारसियो को हमें सरस्वती के नाम से बुलाना चाहिए था |
पर गंधार के साथ कई अन्य राज्य थे जिनके नाम नहीं है |

अभी आप सोच रहे होंगे की यदि हिन्दू शब्द मुसलमानों,फारसियो का नहीं और ये वेदों में नहीं तो कहा से आया ?
इसके लिए मेरे 3 सिधांत है।
पहला हिन्दू शब्द अवेस्ता से पहले हित्तेती लोगो ने इस्तेमाल किया।
सरस्वती नदी सूखने के बाद भारत से यूरोप और तुर्क की तरफ 3 बड़े प्रवास हुए
पहला हित्तेती और मित्तानी जो सिन्धु घटी से तुर्क बसे 2000 ईसापूर्व में और वे खुद मानते है की वे सिन्धु से है।
दूसरा यूरोप की तरफ यूनान में 1500 ईसापूर्व में हुआ ,यूनानी भारतीयों को डोरियन कहते।
तीसरा 1000 ईसापूर्व में फिरसे यूरोप की तरफ हुआ।
अब इनमे हित्तेती और मित्तानी सबसे महत्वपूर्ण है।
हित्तेती और मित्तानी भारतीय देवी देवताओ को मानते जैसे इंद्र,वरुण और अग्नि।
हित्तेती और मित्तानी खुद कहते वे सिन्धु से आए है।
अब ये जो हित्तेती है इन्हें हित्तेतु या हित्तु भी कहा गया जो हिन्दू से मिलता है साथ ही चीनी हमें हेइन तू कहते और यह भी हित्तेती या हित्तेतु शब्द से मिलता है यानि हित्तेती खुदको हिन्दू कहते।
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू शब्द जम्बू से आया हो ।
जम्बू या जम्बू द्वीप भारतीय उपमहाद्वीप का संस्कृत नाम है।
ऐसा हो सकता है की जम्बू धीरे धीरे जिम्बू हुआ फिर हिन्बू फिर हिन्बू और फिर हिन्दू।
अब आप कहेंगे की फिर हिन्दू शब्द वेदों में क्यों नहीं ??
इसका जवाब भी मेरा सिधांत देगा
मेरे सिधांत अनुसार हिन्दू असल में सनातन धर्म का ही दूसरा नाम है ।
अब वेदों में आपको विष्णु या शिव शब्द नहीं मिलेंगा इसका यह अर्थ नहीं की विष्णु और शिव सनातन धर्म के देवता नहीं ।
वेदों में विष्णु के लिए नारायण शब्द इस्तेमाल हुआ है और शिव के लिए रूद्र शब्द।
इसिकादर बाद में जाकर हिन्दू शब्द का इस्तेमाल हुआ।
साथ ही आप जितने यह पोस्ट पड़ रहे है उनमे से मुस्किल से 1% ने ही वेद पड़े होंगे तो आप दावे से कैसे कह सकते है की वेद या पूरण में हिन्दू शब्द नहीं है ??
क्या आपने असली वेद पड़े है?
आज अधिकतर वेद जो बाज़ार में है वे केवल वेदों के श्लोक के अर्थ है जो आज से 90-100 वर्ष पूर्व लिखे गए थे और हमें वाही अंग्रेजो का अर्थ ही पढ़ायाजाता है।
हाल ही में पता चला है की पुरानो में हिन्दू शब्द है
यानि हमें फिरसे शोध कराना होगा।
ऐसा नहीं है की वेदों पर शोध नहीं हो रहे पर वे ठीक से नहीं हो रहे या हमसे छुपाया जा रहा है ।
अँगरेज़ और आज के मुसलमानों के चमचे इतिहासकारों ने पहले तो हमें विदेशी बता दिया फिर हमारा आत्मसम्मान गिराने के लिए एक और चाल चली।
क्युकी वेद और पुरानो के अलावा सनातन शब्द विदेशी लेख में नहीं मिलता और हिन्दू शब्द मिलता है तो हिन्दू को विदेशी बना दिया।
जय माँ भारतीहिन्दू शब्द और उसका उदगम(Hindu word and its Origin

हो लाल मेरी पट श्री झुलेलाल का भजन था -Myth of ho lal meri pat bhajan

"हो लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन 
लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन 
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर 
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर 
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर  

हो लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन 
लाल मेरी पट रखियो बल झूले लालन 
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर 
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर 
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर 
हो लाल मेरी..हो लाल मेरी..

हो चार चराग तेरे बलां हमेशा 
हो चार चराग तेरे बलां हमेशा 
चार चराग तेरे बलां हमेशा 
पंजवा में बलां आई आन बला झूले लालन 
हो पंजवान में बालन 

हो पंजवान में बालन आई आन बलां झूले लालन 
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर 

दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर 
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर 
हो लाल मेरी..हाय लाल मेरी..

हो झनन झनन तेरी नोबत बाजे 
हो झनन झनन तेरी नोबत बाजे 
झनन झनन तेरी नोबत बाजे 
नाल बाजे घड्याल बलां झूले लालन 
हो नाल बाजे..

नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालन 
सिन्ध्ड़ी दा सेहवन दा सखी शाबाज़ कलंदर 
दमा दम मस्त कलंदर, अली दा पहला नंबर 
दमा दम मस्त कलंदर, सखी शाबाज़ कलंदर
कलंदर..(हो लाल मेरी, हाय लाल मेरी..)"

हिंदी में अर्थ :
" ओ सिंध के राजा ,झुलेलाल , शेवन के पिता
 लाल पगड़ी वाले ,तुम्हारी महिमा सदा कायम रहे
कृपया मुझपर सदा कृपा बनाये रखना 


तुम्हारा मंदिर सदा प्रकाशमय रहता है उन चार चिरागों के कारण
इसीलिए मैं पंचा चिराग जलाने आया हु आपकी पूजा के लिए

आपका नाम हिंद और सिंध में गूंजे
आपके संमान में घंटिया जोर जोर से बजे

ओ मेरे इश्वर , आपकी महिमा यु ही बदती रहे हर बार ,हर जगह
मैं आपसे प्राथना करता हु की आप मेरी नाव नदी के पार लगा दे  "


आज कल या कवाली हिंदी फिल्मो में काफी प्रसिद्ध हो रही है और कई फिल्मो में यह कवाली ली जा चुकी है |यह कवाली असल में सिंध के हिंदू संत श्री झुलेलाल का भजन था जिसे कवाली का रूप दे दिया गया है |
संत झुलेलाल 


संत झुलेलालसंत झुलेलाल का जन्म सिंध में 1007 इसवी में हुआ था |वे नसरपुर के रतनचंद लोहालो और माता देवकी के घर जन्मे थे , मान्यता यह है की वे वरुण के अवतार थे | उस समय सिंध पर मिर्कशाह नाम का मुस्लिम राजा राज कर रहा था जिसने यह हुक्म दिया था हिन्दुओ को की मरो या इस्लाम काबुल कर लो | तब सिंध के हिंदुओ ने 40 दिनों तक उपवास रखा और इश्वर से प्राथना की ,इसीलिए वरुण देव झुलेलाल के रूप में अवतरित हुए | संत झुलेलाल ने गुरु गोरखनाथ से 'अलख निरंजन ' गुरु मन्त्र प्राप्त किया | जब मिर्कशाह ने संत झुलेलाल के बारे में सुना तो उसने उन्हें अपने पास बुलवाया , उस समय संत झुलेलाल 13 वर्ष के ही थे |मिर्कशाह के सामने आने पर मिर्कशाह ने उन्हें बंदी बनाने का आदेश दिया पर तभी मिर्कशाह का महल आग की लपटों से घिर गया , तब मिर्कशाह को अपनी गलती कहा एहसास हुआ और उसने संत झुलेलाल से क्षमा मांगी ,इसके बाद पास ही के गाँव थिजाहर में 13 वर्ष की आयु में संत झुलेलाल ने समाधी ले ली |

काफ़िर किला ,प्राचीन शिव मंदिर 

सिंध प्राचीन काल से ही हिन्दुओ की भूमि थी ,इसका एक उधारण है काफ़िर किला जो पहले एक शिव मंदिर था ,700 इसवी के बाद अरबी मुसलमानों भारत पर हमला किया और अफगान और सिंध में इस्लाम का प्रचार शुरू कर दिया |
यह काम तलवार की नोक पर होता और इस काम के लिए सूफियो का सहारा भी लिया जाता था |
संत झुलेलाल सिंध में काफी प्रसिद्ध थे और वहा इस्लाम फ़ैलाने के लिए मुसलमानों ने शहबाज़ कलंदर को झुलेलाल जैसा बनाने की कोशिस की |
अब यदि आप उस कवाली का अर्थ पड़े तो आपको घंटियों का उल्लेख मिलेगा और दरगाह ,मस्जिद या मजार में तो घंटिया होती ही नहीं ,यह तो मंदिरों में होती है ,साथ ही चिराग या दियो से किसी सूफी की पूजा नही की जाती |
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इस कवाली में झुलेलाल शब्द भी है सो प्रमाण है की यह कवाली असल में झुलेलाल का भजन था और मुसलमानों ने संत झुलेलाल के इस्लामीकरण की कोशिस की |
आज कई हिंदू इस कवाली को गा रहे है जबकि कई इस कवाली का अर्थ तक नहीं पता (क्युकी कवाली हिंदी में नहीं है ) ,वे नहीं जानते की एक तरह से वे इस्लामीकरण को बढावा दे रहे है |

प्राचीन दुनिया


USA was wrong about Allepo,Syria-There is ONLY military solution for terrorist.



The USA says there could be no military solution to Syria. The Russians may be proving the United States wrong. There may be a military solution, one senior American official conceded Wednesday, “just not our solution,” but that of President Vladimir V. Putin of Russia.
Terrorist learns only their own language- military extermination and in past and present it proves. USA is playing game in Syria with elected government for Saudi Wahabi regime, seems like Saudi has bought USA'S ARAB FOREIGN POLICY but they were not aware of fact that Russia will not leave any stone unearthed if it comes to its friends- IRAN,INDIA, SYRIA etc.
The Russian military action has changed the shape of a conflict that had effectively been stalemated for years. Suddenly, Mr. Assad and his allies have momentum, and the United States-backed rebels are on the run. If a cease-fire is negotiated here, it will probably come at a moment when Mr. Assad holds more territory, and more sway, than since the outbreak of the uprisings in 2011.

Mr. Kerry enters the negotiations with very little leverage: The Russians have cut off many of the pathways the C.I.A. has been using for a not-very-secret effort to arm rebel groups, according to several current and former officials. Mr. Kerry’s supporters inside the administration say he has been increasingly frustrated by the low level of American military activity, which he views as essential to bolstering his negotiation effort.

At the core of the American strategic dilemma is that the Russian military adventure, which Mr. Obama dismissed last year as ill-thought-out muscle flexing, has been surprising effective in helping Mr. Assad reclaim the central cities he needs to hold power, at least in a rump-state version of Syria.

Battle maps from the Institute for the Study of War show, in fact, that it is: The Russians, with Iranian help on the ground, appear to be handing Mr. Assad enough key cities that his government can hang on.
Days of intense bombing that could soon put the critical city of Aleppo back into the hands of Syrian President Assad’s forces.

Tuesday, February 9, 2016

Mahesh bhatt. Nexus of ISI,and mahesh bhatt

Mahesh bhatt. Nexus of ISI,and mahesh bhatt 
It was Mahesh Bhatts son Rahul  whom David Headly befriended while in India and he goes on to release a book that 26/11 is a RSS conspiracy 
Wah re #adarshliberals

A trend in India's intellectual thought is to blame the RSS for everything. I want Indian youths to recognize this trend. As David Headley testifies to Mumbai court in the 26/11 case, I want you to look at the faces of these individuals: Mahesh Bhatt, Aziz Burney, Digvijay Singh, Maulana Mahmood Madani, and others. These were people who blamed the RSS for 26/11 attacks and there are others. How to recognize them? Usually, they are prominent people who are masquerading as seculars, liberals, Islamists and leftists.

Says Tufail Ahmad

Monday, February 8, 2016

M K Gandhi decoded-गांधीः नैक्ड ऐंबिशन, Mahatma Gandi -Truth uncovered

अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए।
गान्धी ने भार...तवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक
में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की
सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया
18. द्वितीया विश्वा युध मे गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन का लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया , जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
.19. क्या ५०००० हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की ५ टाइम की नमाज़ ?????
विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए ५००० हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी…मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को ५ टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी.. इसलिए उस ने माना कर दिया. .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा….फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया…. और वो हिंदू— गाँधी मरता है तो मरने दो —- के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे…,,,
रिपोर्ट — जस्टिस कपूर.. सुप्रीम कोर्ट….. फॉर गाँधी वध क्यो ?
२०. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, सुबह करीब 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जाकर ब्यास नदी के किनारे जला दिए गए। असल में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के नायक बन गए थे। उनकी लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी लगी थी। कांग्रेस तक में अंदरूनी दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ दिन बाद होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर ही ऐतिहासिक गांधी-इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए, अगर गांधी ने दबाव बनाया होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा नहीं चाहते थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे इन्हें किनारे होना पड़ता.|


गांधीजी की सेक्स लाइफ...
जी हां, महात्मा गांधी के सेक्स-जीवन को केंद्र बनाकर लिखी गई किताब “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” में एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है।

मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” को किताब का रूप दिया है।
किताब में वैसे तो नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी केआत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है।जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियोंऔर महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में “नग्न स्नान” भी करते थे।नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं|

ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों कोस्वीकार नहीं हो सकता।

किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्रमें 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु-शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया।
किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया है, जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं।

किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।”

किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।”

ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही।जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।

हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उनदस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे।

कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं।
बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है।
हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी “आध्यात्मिक पत्नी” हैं।

ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की, मुझे बधाई दी।” 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य कीयह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। 'गांधीः नैक्ड ऐंबिशन' का लंदन यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स-जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है।
 

Sunday, February 7, 2016

1 लाख 63 हजार करोड़ के घोटाले में फंसी कंपनी ने अरविंद केजरीवाल को बनाया इंडियन ऑफ द ईयर

संदीप देव, नई दिल्‍ली। अन्‍ना हजारे से अलग होने के बाद अरविंद केजरीवाल के प्रथम उभार की कहानी सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ी है। रॉबर्ट वाड्रा के जिस जमीन घोटाले पर प्रेस वार्ता कर अरविंद केजरीवाल हीरो बने थे, आज उससे भी बड़े और दिल्‍ली के सबसे बड़े जमीन घोटाले में फंसी कंपनी के पैसे से उन्‍होंने 'इंडियन ऑफ द ईयर' का पुरस्‍कार हासिल किया है। अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा के केवल 300 करोड़ रुपए के घोटाले की खबर खोली थी, लेकिन जिस जीएमआर कंपनी के पैसे से उन्‍हें राजदीप सरदेसाई के नेतृत्‍व वाली सीएनएन-आईबीएन ने साल का बेहतरीन भारतीय चुना है, वह 1 लाख 63 हजार करोड़ रुपए के जमीन घोटाले में फंसी है! और हां, यह घोटाला किसी निजी व्‍यक्ति या संस्‍था के केवल आरोप पर आधारित नहीं है, बल्कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(सीएजी) ने 17 अगस्‍त 2012 को देश की संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में इस जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया था। और हद देखिए कि बड़ी चालाकी से सीएनएन-आईबीएन ने उसी पूर्व सीएसजी विनोद राय से अरविंद केजरीवाल को पुरस्‍कार दिलवाया, जिनके कार्यकाल में यह घोटाला खुला था! सीएनएन-आईबीएन का मकसद ईमानदार विनोद राय के समकक्ष 'स्‍वघोषित ईमानदार' अरविंद केजरीवाल को खड़ा करने का था! आश्‍चर्य यह भी है कि इस पर किसी की नजर भी नहीं गई!

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