Thursday, October 13, 2016
Thailand's King Bhumibol Adulyadej
Thursday, October 6, 2016
संत रविदास और इस्लाम
डॉ विवेक आर्य
आज जय भीम, जय मीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे हैं। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में स्मरण किया जाता हैं। आप जाटव या चमार कुल से सम्बंधित माने जाते थे। चमार शब्द चंवर का अपभ्रंश है।
चर्ममारी राजवंश का उल्लेख महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय वांग्मय में मिलता है। प्रसिद्ध विद्वान डॉ विजय सोनकर शास्त्राी ने इस विषय पर गहन शोध कर चर्ममारी राजवंश के इतिहास पर पुस्तक लिखा है। इसी तरह चमार शब्द से मिलते-जुलते शब्द चंवर वंश के क्षत्रियों के बारे में कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक ‘राजस्थान का इतिहास’ में लिखा है। चंवर राजवंश का शासन पश्चिमी भारत पर रहा है। इसकी शाखाएं मेवाड़ के प्रतापी सम्राट महाराज बाप्पा रावल के वंश से मिलती हैं। संत रविदास जी महाराज लम्बे समय तक चित्तौड़ के दुर्ग में महाराणा सांगा के गुरू के रूप में रहे हैं। संत रविदास जी महाराज के महान, प्रभावी व्यक्तित्व के कारण बड़ी संख्या में लोग इनके शिष्य बने। आज भी इस क्षेत्रा में बड़ी संख्या में रविदासी पाये जाते हैं।
उस काल का मुस्लिम सुल्तान सिकंदर लोधी अन्य किसी भी सामान्य मुस्लिम शासक की तरह भारत के हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की उधेड़बुन में लगा रहता था। इन सभी आक्रमणकारियों की दृष्टि ग़ाज़ी उपाधि पर रहती थी। सुल्तान सिकंदर लोधी ने संत रविदास जी महाराज मुसलमान बनाने की जुगत में अपने मुल्लाओं को लगाया। जनश्रुति है कि वो मुल्ला संत रविदास जी महाराज से प्रभावित हो कर स्वयं उनके शिष्य बन गए और एक तो रामदास नाम रख कर हिन्दू हो गया। सिकंदर लोदी अपने षड्यंत्रा की यह दुर्गति होने पर चिढ़ गया और उसने संत रविदास जी को बंदी बना लिया और उनके अनुयायियों को हिन्दुओं में सदैव से निषिद्ध खाल उतारने, चमड़ा कमाने, जूते बनाने के काम में लगाया। इसी दुष्ट ने चंवर वंश के क्षत्रियों को अपमानित करने के लिये नाम बिगाड़ कर चमार सम्बोधित किया। चमार शब्द का पहला प्रयोग यहीं से शुरू हुआ। संत रविदास जी महाराज की ये पंक्तियाँ सिकंदर लोधी के अत्याचार का वर्णन करती हैं।
वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान
फिर मैं क्यों छोड़ूँ इसे पढ़ लूँ झूट क़ुरान
वेद धर्म छोड़ूँ नहीं कोसिस करो हजार
तिल-तिल काटो चाही गोदो अंग कटार
चंवर वंश के क्षत्रिय संत रविदास जी के बंदी बनाने का समाचार मिलने पर दिल्ली पर चढ़ दौड़े और दिल्लीं की नाकाबंदी कर ली। विवश हो कर सुल्तान सिकंदर लोदी को संत रविदास जी को छोड़ना पड़ा । इस झपट का ज़िक्र इतिहास की पुस्तकों में नहीं है मगर संत रविदास जी के ग्रन्थ रविदास रामायण की यह पंक्तियाँ सत्य उद्घाटित करती हैं
बादशाह ने वचन उचारा । मत प्यादरा इसलाम हमारा ।।
खंडन करै उसे रविदासा । उसे करौ प्राण कौ नाशा ।।
जब तक राम नाम रट लावे । दाना पानी यह नहीं पावे ।।
जब इसलाम धर्म स्वीरकारे । मुख से कलमा आप उचारै ।।
पढे नमाज जभी चितलाई । दाना पानी तब यह पाई ।।
जैसे उस काल में इस्लामिक शासक हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते थे वैसे ही आज भी कर रहे हैं। उस काल में दलितों के प्रेरणास्रोत्र संत रविदास सरीखे महान चिंतक थे। जिन्हें अपने प्रान न्योछावर करना स्वीकार था मगर वेदों को त्याग कर क़ुरान पढ़ना स्वीकार नहीं था।
मगर इसे ठीक विपरीत आज के दलित राजनेता अपने तुच्छ लाभ के लिए अपने पूर्वजों की संस्कृति और तपस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
दलित समाज के कुछ राजनेता जिनका काम ही समाज के छोटे-छोटे खंड बाँट कर अपनी दुकान चलाना है अपने हित के लिए हिन्दू समाज के टुकड़े-टुकड़े करने का प्रयास कर रहे हैं।
आईये डॉ अम्बेडकर की सुने जिन्होंने अनेक प्रलोभन के बाद भी इस्लाम और ईसाइयत को स्वीकार करना स्वीकार नहीं किया।
(हर हिन्दू राष्ट्रवादी इस लेख को शेयर अवश्य करे जिससे हिन्दू समाज को तोड़ने वालों का षड़यंत्र विफल हो जाये)
" एक हिन्दू एक तुरक है ,प्रकट दोनों दीन |
अल्ला ताला ने किये ,दोनों मत प्रवीन || -रविदास रामायण
एक हिन्दू है और एक तुरक है दोनों धर्मो को मानने वाले है | अल्ला ताला ने ही दोनों को पैदा किया उनका दीन धर्म भी उसी ने प्रकट करा |
अब संत रविदास जोरदार जवाब देते हुए कहते है -
हिन्दू और तुरक दोनों शब्द को नवीन बताते हुए वेदों के देव शब्द को प्राचीन कहते है -
" हिन्दू तुरक दो शब्द नवीना | देव शब्द आदि प्राचीना ||
ये स्वभाव आद से आवै | काल पलट जग पलटा खावै ||
वैधर्म आ जगत में छाया | देव शब्द से हिन्दू कहलाया ||
अर्थात - हिन्दू और तुरक यह दोनों शब्द नवीन है यह दोनों शब्द अभी हाल के ही है हिन्दू और तुरक में भेद नही यह इस तर्क से ही अलग है | वेद धर्म से ही जगत अस्तित्व में आया है | जो देव से जुडा वही आज हिन्दू कहलाया है |
अब कुरान और मुस्लिमो पर प्रहार कर वेद का महत्व बताते हुए संत रविदास कहते है -
" तुरक शब्द की नाही निशानी | मोहमदीन नही मुल्लामानी ||
जाप जपत जगत वेद दुबारा | बिस्मिल पद नही कुरआन सिपारा || -रविदास रामायण
अर्थात मुस्लिम शब्द का तो कोई निशान ही नही मिलता है | यह संसार किसी मोहम्मद ,मुल्ला को नही मानता है | जो भी जपता है वो वेद के उपदेश से जपता है | कुरआन के बिस्मिल्ला का नही अर्थात लोग वेद के ही ईश्वर का जाप करते है कुरआन के बिस्मिला का नही |
वेद धर्म को २ अरब वर्ष पुराना संत रविदास जी बताते हुए कहते है -
" दो वृन्द काल लोक सुखदाई | वेद धर्म की ध्वजा फहराई ||
अर्थात २ अरव वर्षो से वेद धर्म जगत को सुख देते हुए ध्वजायमान है |
मुस्लिम लोग आवागमन नही मानते अर्थात पुनर्जन्म इस पर रविदास जी सदना पीर को कहते है -
" आवागमन को जो नही माने | ईशर्य्य ज्ञान क्या मुर्ख जाने || - रविदास रामायण
अर्थात जो आवागमन (पुनर्जन्म ) को नही मानता वो मुर्ख कैसे ईश्वर के ज्ञान को जान सकता है |
इस तरह कई संत रविदास ने दार्शनिक तर्को द्वारा सदना पीर की बोलती बंद कर दी तथा वेद धर्म श्रेष्ठ का मंडन भी कर दिया |
सम्भवत: रविदास जी का अनुसरण कर दलित भाई अम्बेडकर की तरफ भागने की जगह वेद धर्म की ओर आयेंगे |
Wednesday, September 28, 2016
Hillary Clinton is a poison for USA - Liar AND CORRUPTED
Monday, September 19, 2016
Baba Amte v/s Satanic Mother Teresa
Baba Amte was born in a rich family. He had his own sports cars in 1920s. He was a lawyer in 1930s and had a great practice in Wardha
But he joined freedom struggle - defended indians imprisoned by british and went to jail in quit india movement
After independence he started serving people with leprosy and tribals in Gond through ANANDWAN {if possible try to visit Anadwan once]
he didn't hobnob with politicians netas or media personal
he didn't live a 5 star life and get treated in US hospitals
He didn't take donations from dictators and smugglers
he never involved religion in this work and was an atheist
We didn't give him Bharat Ratna
He didn't get Nobel prize
Vishnu Vardhan
Pakistan to get destroyed in 2017. 2017 तक पाकिस्तान ख़त्म हो सकता है ।
ज्योतिष के अनुसार पाकिस्तान के भविष्य पर चर्चा करें जिसका निर्माण दिनांक १४-०८ -१९४७ समय सुबह ९.३० बजे स्थान कराची में हुआ था जिसमें भाग्य स्थान से पूर्ण कालसर्प योग भी है । इस के आधार पर पाकिस्तान की कुंडली कन्या लगन तथा मिथुन राशी की बनती है.लगन कुंडली के अनुसार नावें घर में बैठा हुआ राहु पाकिस्तान की मानवता विरोधी ताकत तथा हिंसात्मक रवैये को दर्शाता है।
दसवें घर अष्टमेश मंगल का एकादशेश चन्द्र के साथ युति पाक सरकार की शान्ति विरोधी नीति व भारत के प्रति प्रतिशोध तथा कानून व्यवस्था को प्रकट करता है .लग्नेश बुध का सूर्य और शुक्र के साथ एकादश भावः में युति बनाना मानव विरोधी ताकत के प्रति शक्ति का प्रयोग तथा उसमे अन्य राष्ट्रों का सहयोग भी दर्शाता है। इसी लिए ज्योतिष आधार पर कुंडली विवेचन से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पाकिस्तान मानव विरोधी जिन ताकतों का भारत के साथ प्रयोग करता आ रहा है उसमे उसे पडोसी देशों से लाभ हो सकता है।
भारत एवम् पाक की प्रचलित नाम राशि क्रमश: धनु एवम् कन्या है। धनु एवम् कन्या राशि के स्वामी क्रमश: देव गुरू-बृहस्पति एवम् असुर-कुमार बुध है।बुध एवम् बृहस्पति में परस्पर शत्रुता है। देवगुरू बृहस्पति क्षमावान, ज्ञानवान, अहिंसावादी एवम् सात्विक ग्रह है, जबकि इसके विपरीत बुध बेहद चालक-अवसरवादी-बेईमान एवम् समयानुसार बदलाव की प्रकृति के मालिक है।
स्वतंत्र भारत की जन्मकुंडली में कर्क राशिस्थ होकर मूलभाव से सटाष्टक योग बना रहा है। पाकिस्तान के कुटिल सैन्य तंत्र के कारण आतंकवादी तत्व महाविनाशकारी परमाणु अस्त्रों को प्राप्त कर सकते है, जिससे भारत के गुजरात प्रांत में अहमदाबाद एवम् राजकोट क्षेत्र विशेष प्रभावित होंगे। पाकिस्तान आयोजित आतंकवादी आक्रमण के कारण भारत-पाक संबंधों में तनाव चरम सीमा पर होगा।
भारत-पाकिस्तान व्यापार संधि खटाई में पड़ सकती है। पाक का नापाक गणित: 2017 में हो सकता है इसका परिणाम भारत-पाक युद्ध में पाक को चीन का पूर्ण सहयोग होगा !चीन की बढ़ती ताकत के मद्देनजर पाकिस्तान में भारत-चीन संबंध को अलग नजरिए से देखा जाने लगेगा । इसमें 2017 तक भारत- पाक युद्ध की आशंका है किन्तु बाद में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते चीन पीछे हटेगा और पाकिस्तान ख़त्म हो सकता है ।
Saturday, September 10, 2016
जामा मस्जिद का सच-महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय माँ भद्र काली मंदिर
जामा मस्जिद की जगह पहले काली मंदिर था।