Wednesday, October 29, 2014

Airplane, Helicopter, and Car — All in One

SkyCruiser is an electric hybrid aircraft that could switch between airplane and quadcopter modes, and also be driven like a car. (Yahoo News)In the future, travelers may no longer have to decide between an airplane, a helicopter, and a car. A new concept could make good on years of ideas from science fiction, by combining all three into one device. 
Arizona-based startup Krossblade wants to be the company to offer this to us in the future.
It recently introduced the SkyCruiser, an electric hybrid aircraft that could switch between airplane and quadcopter modes, and also be driven like a car. 
The benefit of this, according to the company, is that while airplanes are fast and efficient and can cover long distances quickly, a helicopter can take off and land vertically, eliminating the need for an airfield.  
The company wants SkyCruiser to become a point-to-point vehicle and the only thing a passenger will need to go door to door.
Though the SkyCruiser is still in the concept phase, the company is already working on a smaller version, the SkyProwler.
No price or delivery date has been set for either concept, but we are going to start studying for the driver's test now, just in case.
 

ताजमहल में नहीं जैनाबाद में मुमताज की कब्र, बच्चे को जन्म देते हुई थी मौत

ताजमहल में नहीं यहां है मुमताज की कब्र, बच्चे को जन्म देते हुई थी मौत
ताजमहल में नहीं यहां है मुमताज की कब्र, बच्चे को जन्म देते हुई थी मौतइंदौर। अपनी कई ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाने वाले मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में ही शाहजहां की बेगम मुमताज की असली कब्र है। बुरहानपुर में अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देने के दौरान मुमताज की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उन्हें छह महीने तक यहीं दफनाया गया और बाद में शव को कब्र से निकलवा कर शाहजहां अपने साथ आगरा ले गए, जहां मुमताज के शव को ताजमहल में दफनाया गया।
जैनाबाद में है असली कब्र
सम्राट शाहजहां की बेगम मुमताज की मौत न तो आगरा में हुई और न ही उसे वहां दफनाया गया। असल में मुमताज की मौत मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की जैनाबाद तहसील में हुई थी। मुमताज की कब्र ताप्ती नदी के पूर्व में आज भी स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार लोधी ने जब 1631 में विद्रोह का झंडा उठाया था तब शाहजहां अपनी पत्नी मुमताज महल को लेकर बुरहानपुर आ गया था। उन दिनों मुमताज गर्भवती थी। सात जून 1631 में बच्चे को जन्म देते समय उसकी मौत हो गई। दूसरे दिन गुरुवार की शाम उसे वहीँ आहुखाना के बाग में दफना दिया गया। यह इमारत आज भी खस्ता हाल में है। इतिहासकारों के मुताबिक मुमताज की मौत के बाद शाहजहां का मन हरम में नहीं रम सका। कुछ दिनों के भीतर ही उसके बाल सफ़ेद हो गए। बादशाह जब तक बुरहानपुर में रहे नदी में उतरकर बेगम की कब्र पर हर जुमेरात को वहां गया। जिस जगह मुमताज की लाश रखी गई थी उसकी चारदीवारी में दीये जलाने के लिए आले बने हैं। यहां 40 दिन तक दीये जलाए गए। कब्र के पास एक इबादतगाह भी मौजूद है। एक दिन उसने मुमताज की कब्र पर हाथ रखकर कसम खाई कि तेरी याद में एक ऐसी इमारत बनवाऊंगा, जिसके बराबर की दुनिया में दूसरी नहीं होगी। बताते हैं कि शाहजहां की इच्छा थी कि ताप्ती नदी के तट पर ही मुमताज कि स्मृति में एक भव्य इमारत बने। शाहजहां ने ईरान से शिल्पकारों को जैनाबाद बुलवाया। शिल्पकारों ने ताप्ती नदी के का निरीक्षण कर इस जगह पर कोई इमारत बनाने से मना कर दिया। तब शहंशाह ने आगरा की और रुख किया। जिस स्थान पर आज ताजमहल है उसको लेकर लोगों के अलग-अलग मत है।
लाश लाने खर्च हुए आठ करोड़
कहा जाता है कि इसे बनाने के लिए ईरान, तुर्की, फ़्रांस और इटली से शिल्पकारों को बुलया गया। उस समय वेनिस से प्रसिद्ध सुनार व जेरोनियो को बुलवाया गया था. शिराज से उस्ताद ईसा आफंदी भी आए, जिन्होंने ताजमहल कि रूपरेखा तैयार की थी। उसी के अनुरूप कब्र की जगह तय की गई। 22 सालों बाद जब इसका काम पूरा हो गया तो मुमताज के शव को पुनः दफनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। बुरहानपुर के जैनाबाद से मुमताज के जनाजे को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया। जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
 
 
बुरहानपुर में ही असली कब्र
बुहरानपुर स्टेशन से लगभग दस किलोमीटर दूर शहर के बीच बहने वाली ताप्ती नदी के उस पर जैनाबाद (फारुकी काल), जो कभी बादशाहों की शिकारगाह (आहुखाना) हुआ करता था। दक्षिण का सूबेदार बनाने के बाद शहजादा दानियाल ने इस जगह को अपने पसंद के अनुरूप महल, हौज, बाग-बगीचे के बीच नहरों का निर्माण करवाया। लेकिन 8 अप्रेल 1605 को मात्र तेईस साल की उम्र मे सूबेदार की मौत हो गई। इसके बाद आहुखाना उजड़ने लगा। जहांगीर के शासन काल में अब्दुल रहीम खानखाना ने ईरान से खिरनी एवं अन्य प्रजातियों के पौधे मंगवाकर आहुखाना को फिर से ईरानी बाग के रूप में विकसित कराया। इस बाग का नाम शाहजहां की पुत्री आलमआरा के नाम पर रखा गया।
बादशाहनामा के लेखक अब्दुल हामिद लाहौरी साहब के मुताबिक शाहजहां की प्रेयसी मुमताज महल की जब प्रसव के दौरान मौत हो गई तो उसे यहीं पर स्थाई रूप से दफ़न कर दिया गया था। जिसके लिए आहुखाने के एक बड़े हौज़ को बंद करके तल घर बनाया गया और वहीँ पर मुमताज के जनाजे को छह माह रखने के बाद शाहजहां का बेटा शहजादा शुजा, सुन्नी बेगम और शाह हाकिम वजीर खान, मुमताज के शव को लेकर बुहरानपुर के इतवारागेट-दिल्ली दरवाज़े से होते हुए आगरा ले गए. जहां पर यमुना के तट पर स्थित राजा मान सिंह के पोते राजा जय सिंह के बाग में में बने ताजमहल में सम्राट शाहजहां की प्रेयसी एवं पत्नी मुमताज महल के जनाजे को दोबारा दफना दिया गया।
Akhtarkhanakela.blogspot.com

ढाई साल वृश्चिक राशि में रहेगा शनि

ढाई साल वृश्चिक राशि में रहेगा शनि
28 साल बाद शनि महाराज 2 नवंबर की अर्धरात्रि 12.54 बजे तुला को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इससे कई तरह के राजनीतिक, सामाजिक, प्राकृतिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे। शतभिषा नक्षत्र एवं कुंभ राशिष्ठ चंद्रमा के समय न्याय के देवता शनिदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।जो ढाई वर्ष तक इसी राशि में विचरण करेंगे। चूंकि शनि भूमि पुत्र मंगल की राशि वृश्चिक में जा रहे हैं अतः भूमि, सोना आदि लाल धातुओं, लाल वस्तुओं, पदार्थों के दामों में वृद्घि करेगा।ज्योतिष मठ संस्था के संचालक पं. विनोद गौतम के अनुसार पूर्व में शनि का वृश्चिक राशि में प्रवेश 16 सितंबर 1985 में हुआ था। शनि के वृश्चिक राशि में प्रवेश के समय चक्रवाती हवाएं अपना प्रभाव उत्तरी पूर्वी स्थिति में बनाएंगी। जिससे कर्क रेखा के आसपास वर्षा के योग बनेंगे। कहीं कहीं भारी गरज चमक के साथ शीतलहर, ओला वृष्टि तथा भूमि में कंपन आदि प्राकृतिक प्रभाव भी प्रत्यक्ष देखने को मिलेगा। यानी नवंबर के पहले सप्ताह में वर्षा होगी।राजनीति प्रभावराजनीतिक कारक मंगल की राशि में शनि का प्रभाव होगा। इससे राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिलेगी। साथ ही कई जांच एजेंसियां भी जांच के दायरे में आएंगी।न्यायपालिका होगी मजबूतशनि के राशि परिवर्तन से आगामी ढाई सालों तक सेना, पुलिस, गोला बारूद आदि शक्तियों का भरपूर उपयोग होगा। सीमा तटीय क्षेत्रों में आतंकवाद में वृद्घि होगी। परंतु न्याय व्यवस्था में कसावट रहेगी। शनि के परिवर्तन से एक नए चमत्कारिक अविष्कार का पृथ्वी पर जन्म होगा।साढ़ेसाती से मुक्त होगी कन्या राशि60 साल से कन्या राशि में चल रही साढ़ेसाती का प्रभाव समाप्त हो जाएगा। जो कि आगामी 28 वर्ष बाद आएगा। शनि के राशि परिवर्तन से साढ़ेसाती का प्रभाव कन्या राशि को छोड़कर वृश्चिक राशि में होगा।इन राशियों पर ढैय्या का प्रभावसिंह- इस राशि में ताम्रपाद का ढय्या रहेगा। जो अचानक धनलाभ, स्त्री पुत्र सुख, संपत्ति में लाभ, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करेगा। सेहत अच्छी रहेगी।मेष- इस राशि में ढय्या स्वर्णपाद का रहेगा। इन राशि वालों को निजीजनों से विरोध, गृह क्लेश, रोगों से परेशानी, अनावश्यक खर्च, धन हानि भय के योग रहेंगे।तुला- इस राशि में साढ़ेसाती पैरों से उतरती हुई होगी। व्यापार में प्रगति, धन धान्य समृद्घि, सम्मान, मांगलिक कार्यों में सफलता दिलाएगी।वृश्चिक- इस राशि की साढ़ेसाती हृदय में रहेगी। जिससे शारीरिक पीड़ा, रक्त पित्त विकार, स्त्री कष्ट, व्यापार हानि, वाहन भय रहेगा।धनु- इसमें ताम्रपाद की साढ़ेसाती रहेगी जो मष्तक पर चढ़ते हुए होगी। शुरू में लाभ के योग बनाएगी। स्त्री पक्ष, पुत्र, संतान सुख, प्रगित, नए कार्य की शुरुआत होगी लेकिन स्वास्थ्य में रुकावट देगी।(अन्य राशियों में शनि का प्रभाव सामान्य रहेगा।)शनि की शांतिशनि के बीच मंत्र का जाप, दशान हवन, शनिवार को सात प्रकार के अनाजों का दान, लौह पात्र में तेल दान, शनि स्त्रोत का पाठ, हनुमान जी दर्शन, शनीचरी अमावस्या के दिन शनि शांति, शनि यंत्र धारण करना हितकर होगा। -
See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/vrat-tyohar-saturn-will-enter-in-scorpio-211290#sthash.jjVjub6F.dpuf
 

सूर्य पुत्र कर्ण ने शुरू की थी छठ पूजा

सूर्य पुत्र कर्ण ने शुरू की थी छठ पूजा
छठ या सूर्य पूजा महाभारत काल से की जाती है। कहते हैं कि छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे।पुराणों के अनुसार वे प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्‍य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वे महान योद्धा बने थे। महाभारत में सूर्य पूजा का एक और वर्णन मिलता है।इसके अनुसार पांडवों की पत्नी द्रोपदी अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।
 See more at: http://naidunia.jagran.com/spiritual/kehte-hain-karna-was-the-son-of-the-sun-started-chhath-puja-212085#sthash.lmuz7Ugm.dpuf
 

INDIA TO SAVE 8000 CRORES IN AFFIDAVID IF PAPERS ARE SELF CERTIFIED

एफिडेविट बनाने में हर वर्ष खर्च होते हैं 8000 करोड़ रुपए -

यह देखते हुए कि हम भारतीय हर वर्ष करीब आठ हजार करोड़ रुपए शपथ-पत्र बनवाने पर खर्च कर देते हैं, केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को सरकारी कामों के लिए दस्तावेजों के स्व-प्रमाणन (सेल्फ अटेस्टेशन) को बढ़ावा देने को कहा है।कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों से वर्तमान में आवश्यक शपथ-पत्रों और विभिन्न आवेदनों के साथ लगने वाले दस्तावेजों के राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित करने की विभिन्ना चरणों में समीक्षा करने को कहा है। साथ ही जहां संभव हो, दस्तावेजों के स्व-प्रमाणन करवाने की व्यवस्था करने और शपथ-पत्र समाप्त करने को कहा है।पैसे और समय की बर्बादीकुछ मंत्रालयों ने आवेदकों द्वारा अंक सूची, जन्म प्रमाण-पत्र का स्व-प्रमाणन शुरू भी कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत अंतिम चरण में ओरिजिनल दस्तावेज दिखाने की व्यवस्था की गई है। मंत्रालय का कहना है कि दस्तावेजों का स्व-प्रमाणन "सिटिजन फ्रेंडली" है। शपथ पत्र बनवाना गरीबों के लिए पैसे की और नागरिकों और सरकारी अधिकारियों के लिए समय की बर्बादी है।
See more at: http://naidunia.jagran.com/national-indian-spend-on-eight-thousand-crore-every-year-to-build-affidavit-212778#sthash.WAW3SYgj.dpuf
 

YAMUNA RIVER IN INDIA COULD BE PURIFIED IN 3 YEARS-JAPAN

तीन साल में शुद्ध हो सकती है यमुनाः जापान

दिल्ली में गंदे नाले में तब्दील हो चुकी यमुना अगले तीन साल में निर्मल हो जाएगी। जापान ने अगले तीन सालों के भीतर यमुना को शुद्ध कर देने का दावा किया है। उसका कहना है कि यमुना का पानी लोगों के लिए तैरने लायक ही नहीं बल्कि पीने लायक भी हो जाएगा।जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) के मुखिया सिन्या एजिमा ने कहा कि यमुना में गिरने वाले नालों और सीवर को रोकने की दिशा में संतोषजनक प्रगति हुई है।जीका और शहरी विकास मंत्रालय के साथ हुई बैठक में यमुना के स्वच्छ होने को लेकर जापान के प्रतिनिधियों ने काफी उम्मीद जताई। प्रतिनिधियों ने कहा कि यमुना की सफाई के लेकर चल रही परियोजनाओं का प्रदर्शन संतोषजनक है।उनका मानना है कि यदि तत्काल उन्हें आगे काम शुरू करने का मौका मिल जाए तो तीन साल में दिल्ली के अंदर यमुना का पानी पीने लायक शुद्ध किया जा सकता है। ध्यान रहे कि जीका शहरी क्षेत्रों में जल आपूर्ति व सीवर प्रणाली से जुड़ी परियोजनाओं पर न सिर्फ काम करती है, बल्कि वित्तीय मदद भी देती है।फिलहाल देश के विभिन्न राज्यों में 16 बड़ी परियोजनाओं से जीका जुड़ा है। दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक व गोवा की प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए जापान से 28660 करोड़ रुपये का ऋण प्रस्तावित है।जीका प्रमुख एजिमा ने बताया कि इस मदद के अलावा शहरी क्षेत्र में जल और परिवहन के लिए उनका संगठन 2.40 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराने को तैयार है।उन्होंने कहा कि भारत के शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति और जल शोधन एक बड़ी चुनौती है। ऑपरेशन एंड मेंटीनेंस के साथ स्थायी कार्य के लिए स्थानीय निकायों को और प्रभावी होना होगा।पानी की किल्लत को कम करने के लिए रिसाइक्लिंग बहुत जरूरी है। इसी तरह शहरों के भीतर परिवहन बड़ी चुनौती है। इसके लिए मेट्रो रेल प्रणाली, क्षेत्रीय ट्रांजिट सिस्टम, मोनो रेल और लाइट रेल जैसे ट्रांसपोर्ट के साधन जुटाने होंगे।शहरी विकास सचिव शंकर अग्रवाल और जापान के संयुक्त कार्य समूह के संयुक्त कार्य समूह के महानिदेशक योइची नाकागामी की यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान हुए समझौते पर अमल के सिलसिले में हुई थी।यह पहली बार है जब दो देशों के बीच संयुक्त बैठक में राज्यों को भी शामिल किया गया। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा व केरल प्रमुख थे। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार ने विस्तृत परियोजनाओं का जिक्र किया।
See more at: http://naidunia.jagran.com/national-yamuna-can-be-purified-in-three-years-212794#sthash.RjCehdsz.dpuf
 

Tuesday, October 28, 2014

SINCE 2005 BANGLADESH RADICALS PLAN FOR INDIA : WIKILEAKS

The Indian government had intelligence inputs way back in 2005 about radicals from Bangladesh infiltrating into the country with a strategic, long-term plans to provide support to various insurgent groups like the Ulfa and making West Bengal as the launching pad to spread their operations, Wikileaks has revealed.
The released cables, which originated from Kolkata on Deecmber 16, 2005, contain only part of the original cable. It states, "The (Indian) authorities are concerned that these elements (radical Islamists) have a strategic, long-term plans to take advantage of the porous border to infiltrate India and provide support to insurgent groups."
The Wikileaks cable state, "The three terrorist organizations of primary interest to Indian authorities monitoring the border are Jamat-ul-Mujahideen (JUM) ( now JMB) , Jagrata Muslim Janata, Bangladesh (JMJB) and Harkat-ul-Jehadi Islami (Huji). The contacts said, without identifying the groups, that terrorist organizations previously based in Afghanistan have moved their operations to Bangladesh where there is less international focus on the fundamentalist Islamic community."
LINK FROM TOI.