Sunday, October 19, 2014

कौन कहता है कि अकबर महान था ? AKBAR WAS A LIKE ISIL ISLAMIST AND THEIR PAGAMBUR

कौन कहता है कि अकबर महान था ?

श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक, (२ मार्च,१९१७-७ दिसंबर,२००७), जिन्हें लघुनाम श्री.पी.एन.
ओक के नाम से जाना जाता है,द्वारा रचित पुस्तक "कौन कहता है कि अकबर महान था?"
में अकबर के सन्दर्भ में ऐतिहासिक सत्य को उद्घाटित करते हुए कुछ तथ्य सामने रखे हैं
जो वास्तव में विचारणीय हैं.....

अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान) के नाम से भी जाना जाता है।
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर मुगल वंश का तीसरा शासक था।
सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पोता और
नासिरुद्दीन हुमायूं और हमीदा बानो का पुत्र था।
बाबर का वंश तैमूर से था, अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और
मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था।
इस प्रकार अकबर की नसों में एशिया की दो प्रसिद्ध आतंकी जातियों, तुर्क और मंगोल
के रक्त का सम्मिश्रण था।
बाबर के शासनकाल के बाद हुमायूं दस वर्ष तक भी शासन नहीं कर पाया और उसे
अफगान के शेरशाह सूरी से पराजित होकर भागना पड़ा।
अपने परिवार और सहयोगियों के साथ वह सिन्ध की ओर गया, जहां उसने सिंधु
नदी के तट पर भक्कर के पास रोहरी नामक स्थान पर पांव जमाने चाहे।
रोहरी से कुछ दूर पतर नामक स्थान था, जहां उसके भाई हिन्दाल का शिविर था।
कुछ दिन के लिए हुमायूं वहां भी रुका।
वहीं मीर बाबा दोस्त उर्फ अलीअकबर जामी नामक एक ईरानी की चौदह वर्षीय
सुंदर कन्या हमीदाबानों उसके मन को भा गई जिससे उसने विवाह करने की इच्छा
जाहिर की।
अतः हिन्दाल की मां दिलावर बेगम के प्रयास से १४ अगस्त, १५४१ को हुमायूं और
हमीदाबानो का विवाह हो गया।
कुछ दिन बाद अपने साथियों एवं गर्भवती पत्नी हमीदा को लेकर हुमायूं २३ अगस्त,
१५४२ को अमरकोट के राजा बीरसाल के राज्य में पहुंचा।
हालांकि हुमायूं अपना राजपाट गवां चुका था, मगर फिर भी राजपूतों की विशेषता के
अनुसार बीरसाल ने उसका समुचित आतिथ्य किया। अमरकोट में ही १५ अक्टूबर,
१५४२ को हमीदा बेगम ने अकबर को जन्म दिया।
अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद
अकबर रखा गया था।
बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी
के नाम से लिया गया था।
कहा जाताहै कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से
बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे।
अरबी भाषा मे अकबर शब्द का अर्थ “महान” या बड़ा होता है।
अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था यह स्थान
वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है।
खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत
प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन्‌ १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले
ही वर्ष सन्‌ १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के
कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ।
अकबर का संरक्षक बैरम (बेरहम) खान को नियुक्त किया गया जिसका प्रभाव उस
पर १५६० तक रहा।
तत्कालीन मुगल राज्य केवल काबुल से दिल्ली तक ही फैला हुआ था।
हेमु के नेतृत्व में अफगान सेना पुनः संगठित होकर उसके सम्मुख चुनौती बनकर
खड़ी थी।
सन्‌ १५६० में अकबर ने स्वयं सत्ता संभाल ली और अपने संरक्षक बैरम खां को
निकाल बाहर किया।
अब अकबर के अपने हाथों में सत्ता थी लेकिन अनेक कठिनाइयाँ भी थीं।
जैसे – शम्सुद्दीन अतका खान की हत्या पर उभरा जन आक्रोश (१५६३), उज़बेक
विद्रोह (१५६४-६५) और मिर्ज़ा भाइयों का विद्रोह (१५६६-६७) किंतु अकबर ने बड़ी
कुशलता से इन समस्याओं को हल कर लिया।
अपनी कल्पनाशीलता से उसने अपने सामंतों की संख्या बढ़ाई।
सन्‌ १५६२ में आमेर के शासक से उसने समझौता किया –
इस प्रकार राजपूत राजा भी उसकी ओर हो गये।
इसी प्रकार उसने ईरान से आने वालों को भी बड़ी सहायता दी।
भारतीय मुसलमानों को भी उसने अपने कुशल व्यवहार से अपनी ओर कर लिया।
"हिन्दुओं पर लगे जज़िया १५६२ में अकबर ने हटा दिया, किंतु १५७५ में वापस लगाना
पड़ा |
जज़िया कर गरीब हिन्दुओं को गरीबी से विवश होकर इस्लाम की शरण लेने के लिए
लगाया जाता था।
यह मुस्लिम लोगों पर नहीं लगाया जाता था।
इस कर के कारण बहुत सी गरीब हिन्दू जनसंख्या पर बोझ पड़ता था, जिससे विवश
हो कर वे इस्लाम कबूल कर लिया करते थे।"
अपने शासन के आरंभिक काल में ही अकबर यह समझ गया कि सूरी वंश को
समाप्त किए बिना वह चैन से शासन नहीं कर सकेगा।
इसलिए वह सूरी वंश के सबसे शक्तिशाली शासक सिकंदर शाह सूरी पर आक्रमण
करने पंजाब चल पड़ा।
दिल्ली का शासन उसने मुग़ल सेनापति तारदी बैग खान को सौंप दिया।
सिकंदर शाह सूरी अकबरके लिए बहुत बड़ा प्रतिरोध साबित नही हुआ।
कुछ प्रदेशो मे तो अकबर के पहुंचने से पहले ही उसकी सेना पीछे हट जाती थी।
अकबर की अनुपस्थिति मे हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली और आगरा पर आक्रमण कर
विजय प्राप्त की।
६ अक्तूबर १५५६ को हेमु ने स्वयं को भारत का महाराजा घोषित कर दिया।
इसी के साथ दिल्ली मे हिंदू राज्य की पुनः स्थापना हुई।
अकबर के लिए पानिपत का युद्ध निर्णायक था हारने का मतलब फिर से काबुल जाना !
जीतने का अर्थ हिंदुस्तान पर राज !
पराक्रमी हिन्दू राजा हेमू के खिलाफ इस युद्ध मे अकबर हार निश्चित थी लेकिन अंत मे
एक तीर हेमू की आँख मे आ घुसा और मस्तक को भेद गया |
"वह मूर्छित हो गया घायल हो कर और उसके हाथी महावत को लेकर जंगल मे भाग
गया !
सेना तितर बितर हो गयी और अकबर की सेना का सामना करने मे असमर्थ हो
गई !
हेमू को पकड़ कर लाया गया अकबर और उसके सरंक्षक बहराम खान के सामने
इंडिया के "सेकुलर और महान" अकबर ने लाचार और घायल मूर्छित हेमू की गर्दन
को काट दिया और उसका सिर काबुल भेज दिया प्रदर्शन के लिए उसका बाकी का शव
दिल्ली के एक दरवाजे पर लटका दिया उससे पहले घायल हेमू को मुल्लों ने तलवारों
से घोप दिया लहलुहान किया !"
इतना महान था मुग़ल बादशाह अकबर !
हेमू को मारकर दिल्ली पर पुनः अधिकार जमाने के बाद अकबर ने अपने राज्य का
विस्तार करना शुरू किया और मालवा को १५६२ में, गुजरात को १५७२ में, बंगाल को
१५७४ में, काबुल को १५८१ में, कश्मीर को १५८६ में और खानदेश को १६०१ में मुग़ल
साम्राज्य के अधीन कर लिया।
अकबर ने इन राज्यों में एक एक राज्यपाल नियुक्त किया।
अकबर जब अहमदाबाद आया था २ दिसंबर १५७३ को तो दो हज़ार (२,०००) विद्रोहियो
के सिर काटकर उससे पिरामिण्ड बनाए थे !
"जब किसी विद्रोही को दरबार मे लाया जाता था तब उसके सिर को काटकर उसमे
भूसा भरकर तेल सुगंधी लगा कर प्रदर्शनी लगाता था "अकबर महान" बंगाल के
विद्रोह मे ही अकेले उस महान अकबर ने करीब तीस हज़ार (३०,०००) लोगो को मौत
के घाट उतारा था !"
अकबर के दरबारी भगवनदास ने भी इन कुकृत्यों से तंग आकार स्वयं को ही छूरा-भोक
कर अत्महत्या कर ली थी |
चित्तौड़गढ़ के दुर्ग रक्षक सेनिकों के साथ जो यातनाएं और अत्याचार अकबर ने किए
वो तो सबसे बर्बर और क्रूरतापूर्ण थे |
२४ फरवरी, १५६८ को अकबर चित्तौड़ के दुर्ग मे प्रवेश किया उसने कत्लेआम और लूट
का आदेश दिया हमलावर पूरे दिन लूट और कत्लेआम करते रहे विध्वंस करते घूमते
रहे एक घायल गोविंद श्याम के मंदिर के निकट पड़ा था तो अकबर ने उसे हाथी से कुचला !
आठ हजार योद्धा राजपूतो के साथ दुर्ग मे चालीस हज़ार (४०,०००) किसान भी थे जो
देख रेख और मरम्मत के कार्य कर रहे थे !
कत्ले आम का आदेश तब तक नहीं लिया जब तक उसमे से तेतीस हज़ार (३३,०००)
लोगो को नहीं मारा , अकबर के हाथो से ना तो मंदिर बचे और ना ही मीनारें !
अकबर ने जितने युद्ध लड़े है उसमे उसने बीस लाख (२०,०००००) लोगो को मौत के
घाट उतारा !
अकबर यह नही चाहता था की मुग़ल साम्राज्य का केन्द्र दिल्ली जैसे दूरस्थ शहर में हो;
इसलिए उसने यह निर्णय लिया की मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया जाए
जो साम्राज्य के मध्य में थी।
कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी।
कहा जाता है कि पानी की कमी इसका प्रमुख कारणथा।
फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार बनाया जो कि साम्राज्य भर में
घूमता रहता था इस प्रकार साम्राज्य के सभी कोनो पर उचित ध्यान देना सम्भव हुआ।
सन १५८५ में उत्तर पश्चिमी राज्य के सुचारू राज पालन के लिए अकबर ने लाहौर को
राजधानी बनाया।
अपनी मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन १५९९ में वापस आगरा को राजधानी बनाया और
अंत तक यहीं से शासन संभाला ।
अब कुछ प्रश्न अकबर की महानता के सम्बन्ध में विचारणीय हैं, जो किसी भी विचारशील व्यक्ति को यही कहने पर विवश कर देंगे कि...कौन कहता है –
अकबर महान था ????
(१.)यदि अगर अकबर से सभी प्रेम करते थे, आदर की दृष्टि से देखते थे तो इस प्रकार शीघ्रतापूर्वक बिना किसी उत्सव के उसे मृत्यु के तुरंत बाद क्यों दफनाया गया ?
(२.)जब अकबर अधिक पीता नहीं था तो उसे शराब पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
क्यों पड़ी ?
(३.)आखिर अकबर को इतिहास महान क्यों कहता है, जिसने हिन्दू नगरों को नष्ट
किया ?
(४.)अगर फतेहपुरसीकरी का निर्माण अकबर ने कराया तो इस नाम का उल्लेख
अकबर के पहले के इतिहासों में कैसे है ?
(५.)क्या अकबर जैसा शराबी, हिंसक, कामुक, साम्राज्यवादी बादशाह खुदा की बराबरी
रखता है ?
(६.)क्या जानवरों को भी मुस्लिम बना देने वाला ऐसा धर्मांध अकबर महान है ?
(७.)क्या ऐसा अनपढ़ एवं मूर्खो जैसी बात करने वाला अकबर महान है ?
(८.)क्या अत्याचारी, लूट-खसोट करने वाला, जनता को लुटने वाला अकबर महान था ?
(९.)क्या ऐसा कामुक एवं पतित बादशाह अकबर महान है !
(१०.)क्या अपने पालनकर्ता बैरम खान को मरकर उसकी विधवा से विवाह कर लेने
वाला अकबर महान था |
(११.)क्या औरत को अपनी कामवासना और हवस को शांत करने वाली वस्तुमात्र समझने
वाला अकबर महान था |
अकबर औरतो के लिबास मे मीना बाज़ार जाता था |
मीना बाज़ार मे जो औरत अकबर को पसंद आ जाती,उसके महान फौजी उस औरत को
उठा ले जाते और कामी अकबर के लिए हरम मे पटक देते |
ऐसे ही ना जाने कितने प्रश्नचिन्ह अकबर की महानता के सन्दर्भ में हैं....,
जयति पुण्य सनातन संस्कृति ,,जयति पुण्य भूमि भारत....
सदा सुमंगल,,वंदेमातरम..श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक, (२ मार्च,१९१७-७ दिसंबर,२००७), जिन्हें लघुनाम श्री.पी.एन.
ओक के नाम से जाना जाता है,द्वारा रचित पुस्तक "कौन कहता है कि अकबर महान था?"
में अकबर के सन्दर्भ में ऐतिहासिक सत्य को उद्घाटित करते हुए कुछ तथ्य सामने रखे हैं
जो वास्तव में विचारणीय हैं.....
अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान) के नाम से भी जाना जाता है।
जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर मुगल वंश का तीसरा शासक था।
सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पोता और
नासिरुद्दीन हुमायूं और हमीदा बानो का पुत्र था।
बाबर का वंश तैमूर से था, अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और
मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था।
इस प्रकार अकबर की नसों में एशिया की दो प्रसिद्ध आतंकी जातियों, तुर्क और मंगोल
के रक्त का सम्मिश्रण था।
बाबर के शासनकाल के बाद हुमायूं दस वर्ष तक भी शासन नहीं कर पाया और उसे
अफगान के शेरशाह सूरी से पराजित होकर भागना पड़ा।

अपने परिवार और सहयोगियों के साथ वह सिन्ध की ओर गया, जहां उसने सिंधु
नदी के तट पर भक्कर के पास रोहरी नामक स्थान पर पांव जमाने चाहे।
रोहरी से कुछ दूर पतर नामक स्थान था, जहां उसके भाई हिन्दाल का शिविर था।
कुछ दिन के लिए हुमायूं वहां भी रुका।
वहीं मीर बाबा दोस्त उर्फ अलीअकबर जामी नामक एक ईरानी की चौदह वर्षीय
सुंदर कन्या हमीदाबानों उसके मन को भा गई जिससे उसने विवाह करने की इच्छा
जाहिर की।
अतः हिन्दाल की मां दिलावर बेगम के प्रयास से १४ अगस्त, १५४१ को हुमायूं और
हमीदाबानो का विवाह हो गया।
कुछ दिन बाद अपने साथियों एवं गर्भवती पत्नी हमीदा को लेकर हुमायूं २३ अगस्त,
१५४२ को अमरकोट के राजा बीरसाल के राज्य में पहुंचा।
हालांकि हुमायूं अपना राजपाट गवां चुका था, मगर फिर भी राजपूतों की विशेषता के
अनुसार बीरसाल ने उसका समुचित आतिथ्य किया।
अमरकोट में ही १५ अक्टूबर,
१५४२ को हमीदा बेगम ने अकबर को जन्म दिया।
अकबर का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद
अकबर रखा गया था।

बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा और अकबर उनके नाना शेख अली अकबर जामी
के नाम से लिया गया था।
कहा जाताहै कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने बुरी नज़र से
बचने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे।
अरबी भाषा मे अकबर शब्द का अर्थ “महान” या बड़ा होता है।
अकबर का जन्म राजपूत शासक राणा अमरसाल के महल में हुआ था यह स्थान
वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है।

खोये हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिये अकबर के पिता हुमायूँ के अनवरत
प्रयत्न अंततः सफल हुए और वह सन्‌ १५५५ में हिंदुस्तान पहुँच सका किंतु अगले
ही वर्ष सन्‌ १५५६ में राजधानी दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई और गुरदासपुर के
कलनौर नामक स्थान पर १४ वर्ष की आयु में अकबर का राजतिलक हुआ।
अकबर का संरक्षक बैरम (बेरहम) खान को नियुक्त किया गया जिसका प्रभाव उस
पर १५६० तक रहा।

तत्कालीन मुगल राज्य केवल काबुल से दिल्ली तक ही फैला हुआ था।
हेमु के नेतृत्व में अफगान सेना पुनः संगठित होकर उसके सम्मुख चुनौती बनकर
खड़ी थी।
सन्‌ १५६० में अकबर ने स्वयं सत्ता संभाल ली और अपने संरक्षक बैरम खां को
निकाल बाहर किया।
अब अकबर के अपने हाथों में सत्ता थी लेकिन अनेक कठिनाइयाँ भी थीं।
जैसे – शम्सुद्दीन अतका खान की हत्या पर उभरा जन आक्रोश (१५६३), उज़बेक
विद्रोह (१५६४-६५) और मिर्ज़ा भाइयों का विद्रोह (१५६६-६७) किंतु अकबर ने बड़ी
कुशलता से इन समस्याओं को हल कर लिया।
अपनी कल्पनाशीलता से उसने अपने सामंतों की संख्या बढ़ाई।
सन्‌ १५६२ में आमेर के शासक से उसने समझौता किया –
इस प्रकार राजपूत राजा भी उसकी ओर हो गये।
इसी प्रकार उसने ईरान से आने वालों को भी बड़ी सहायता दी।
भारतीय मुसलमानों को भी उसने अपने कुशल व्यवहार से अपनी ओर कर लिया।
"हिन्दुओं पर लगे जज़िया १५६२ में अकबर ने हटा दिया, किंतु १५७५ में वापस लगाना
पड़ा |
जज़िया कर गरीब हिन्दुओं को गरीबी से विवश होकर इस्लाम की शरण लेने के लिए
लगाया जाता था।
यह मुस्लिम लोगों पर नहीं लगाया जाता था।
इस कर के कारण बहुत सी गरीब हिन्दू जनसंख्या पर बोझ पड़ता था, जिससे विवश
हो कर वे इस्लाम कबूल कर लिया करते थे।"
अपने शासन के आरंभिक काल में ही अकबर यह समझ गया कि सूरी वंश को
समाप्त किए बिना वह चैन से शासन नहीं कर सकेगा।
इसलिए वह सूरी वंश के सबसे शक्तिशाली शासक सिकंदर शाह सूरी पर आक्रमण
करने पंजाब चल पड़ा।
दिल्ली का शासन उसने मुग़ल सेनापति तारदी बैग खान को सौंप दिया।
सिकंदर शाह सूरी अकबरके लिए बहुत बड़ा प्रतिरोध साबित नही हुआ।
कुछ प्रदेशो मे तो अकबर के पहुंचने से पहले ही उसकी सेना पीछे हट जाती थी।
अकबर की अनुपस्थिति मे हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली और आगरा पर आक्रमण कर
विजय प्राप्त की।

६ अक्तूबर १५५६ को हेमु ने स्वयं को भारत का महाराजा घोषित कर दिया।
इसी के साथ दिल्ली मे हिंदू राज्य की पुनः स्थापना हुई।

अकबर के लिए पानिपत का युद्ध निर्णायक था हारने का मतलब फिर से काबुल जाना !
जीतने का अर्थ हिंदुस्तान पर राज !
पराक्रमी हिन्दू राजा हेमू के खिलाफ इस युद्ध मे अकबर हार निश्चित थी लेकिन अंत मे
एक तीर हेमू की आँख मे आ घुसा और मस्तक को भेद गया |
"वह मूर्छित हो गया घायल हो कर और उसके हाथी महावत को लेकर जंगल मे भाग
गया !
सेना तितर बितर हो गयी और अकबर की सेना का सामना करने मे असमर्थ हो
गई !

हेमू को पकड़ कर लाया गया अकबर और उसके सरंक्षक बहराम खान के सामने
इंडिया के "सेकुलर और महान" अकबर ने लाचार और घायल मूर्छित हेमू की गर्दन
को काट दिया और उसका सिर काबुल भेज दिया प्रदर्शन के लिए उसका बाकी का शव
दिल्ली के एक दरवाजे पर लटका दिया उससे पहले घायल हेमू को मुल्लों ने तलवारों
से घोप दिया लहलुहान किया !"
इतना महान था मुग़ल बादशाह अकबर !

हेमू को मारकर दिल्ली पर पुनः अधिकार जमाने के बाद अकबर ने अपने राज्य का
विस्तार करना शुरू किया और मालवा को १५६२ में, गुजरात को १५७२ में, बंगाल को
१५७४ में, काबुल को १५८१ में, कश्मीर को १५८६ में और खानदेश को १६०१ में मुग़ल
साम्राज्य के अधीन कर लिया।
अकबर ने इन राज्यों में एक एक राज्यपाल नियुक्त किया।
अकबर जब अहमदाबाद आया था २ दिसंबर १५७३ को तो दो हज़ार (२,०००) विद्रोहियो
के सिर काटकर उससे पिरामिण्ड बनाए थे !

"जब किसी विद्रोही को दरबार मे लाया जाता था तब उसके सिर को काटकर उसमे
भूसा भरकर तेल सुगंधी लगा कर प्रदर्शनी लगाता था "अकबर महान" बंगाल के
विद्रोह मे ही अकेले उस महान अकबर ने करीब तीस हज़ार (३०,०००) लोगो को मौत
के घाट उतारा था !"
अकबर के दरबारी भगवनदास ने भी इन कुकृत्यों से तंग आकार स्वयं को ही छूरा-भोक
कर अत्महत्या कर ली थी |

चित्तौड़गढ़ के दुर्ग रक्षक सेनिकों के साथ जो यातनाएं और अत्याचार अकबर ने किए
वो तो सबसे बर्बर और क्रूरतापूर्ण थे |
२४ फरवरी, १५६८ को अकबर चित्तौड़ के दुर्ग मे प्रवेश किया उसने कत्लेआम और लूट
का आदेश दिया हमलावर पूरे दिन लूट और कत्लेआम करते रहे विध्वंस करते घूमते
रहे एक घायल गोविंद श्याम के मंदिर के निकट पड़ा था तो अकबर ने उसे हाथी से कुचला !
आठ हजार योद्धा राजपूतो के साथ दुर्ग मे चालीस हज़ार (४०,०००) किसान भी थे जो
देख रेख और मरम्मत के कार्य कर रहे थे !
कत्ले आम का आदेश तब तक नहीं लिया जब तक उसमे से तेतीस हज़ार (३३,०००)
लोगो को नहीं मारा , अकबर के हाथो से ना तो मंदिर बचे और ना ही मीनारें !
अकबर ने जितने युद्ध लड़े है उसमे उसने बीस लाख (२०,०००००) लोगो को मौत के
घाट उतारा !

अकबर यह नही चाहता था की मुग़ल साम्राज्य का केन्द्र दिल्ली जैसे दूरस्थ शहर में हो;
इसलिए उसने यह निर्णय लिया की मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया जाए
जो साम्राज्य के मध्य में थी।
कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी।
कहा जाता है कि पानी की कमी इसका प्रमुख कारणथा।
फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार बनाया जो कि साम्राज्य भर में
घूमता रहता था इस प्रकार साम्राज्य के सभी कोनो पर उचित ध्यान देना सम्भव हुआ।
सन १५८५ में उत्तर पश्चिमी राज्य के सुचारू राज पालन के लिए अकबर ने लाहौर को
राजधानी बनाया।
अपनी मृत्यु के पूर्व अकबर ने सन १५९९ में वापस आगरा को राजधानी बनाया और
अंत तक यहीं से शासन संभाला ।

अब कुछ प्रश्न अकबर की महानता के सम्बन्ध में विचारणीय हैं, जो किसी भी विचारशील व्यक्ति को यही कहने पर विवश कर देंगे कि...कौन कहता है –
अकबर महान था ????
(१.)यदि अगर अकबर से सभी प्रेम करते थे, आदर की दृष्टि से देखते थे तो इस प्रकार शीघ्रतापूर्वक बिना किसी उत्सव के उसे मृत्यु के तुरंत बाद क्यों दफनाया गया ?
(२.)जब अकबर अधिक पीता नहीं था तो उसे शराब पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
क्यों पड़ी ?
(
३.)आखिर अकबर को इतिहास महान क्यों कहता है, जिसने हिन्दू नगरों को नष्ट
किया ?

(४.)अगर फतेहपुरसीकरी का निर्माण अकबर ने कराया तो इस नाम का उल्लेख
अकबर के पहले के इतिहासों में कैसे है ?

(५.)क्या अकबर जैसा शराबी, हिंसक, कामुक, साम्राज्यवादी बादशाह खुदा की बराबरी
रखता है ?
(६.)क्या जानवरों को भी मुस्लिम बना देने वाला ऐसा धर्मांध अकबर महान है ?
(७.)क्या ऐसा अनपढ़ एवं मूर्खो जैसी बात करने वाला अकबर महान है ?
(८.)क्या अत्याचारी, लूट-खसोट करने वाला, जनता को लुटने वाला अकबर महान था ?
(९.)क्या ऐसा कामुक एवं पतित बादशाह अकबर महान है !
(१०.)क्या अपने पालनकर्ता बैरम खान को मरकर उसकी विधवा से विवाह कर लेने
वाला अकबर महान था |

(११.)क्या औरत को अपनी कामवासना और हवस को शांत करने वाली वस्तुमात्र समझने
वाला अकबर महान था |
अकबर औरतो के लिबास मे मीना बाज़ार जाता था |
मीना बाज़ार मे जो औरत अकबर को पसंद आ जाती,उसके महान फौजी उस औरत को
उठा ले जाते और कामी अकबर के लिए हरम मे पटक देते |

ऐसे ही ना जाने कितने प्रश्नचिन्ह अकबर की महानता के सन्दर्भ में हैं....,
जयति पुण्य सनातन संस्कृति ,,जयति पुण्य भूमि भारत....
सदा सुमंगल,,वंदेमातरम..


अफ्रीका में मिला ६००० साल पुराना शिवलिंग

 shiva in Hindu Religion
अभी हाल में दक्षिण अफ्रीका में खुदाई के दौरान भगवान शिव का प्रतीक एक बड़ा शिवलिंग मिला है।
दक्षिण अफ्रीका की किसी गुफा की खुदाई करते हुए पुरातत्त्वविदों को ग्रेनाइट से बना ६ हजार वर्ष पुराना शिवलिंग मिला है। पुरातत्त्वविद हैरान हैं कि इतने वर्षों तक शिवलिंग जमीन में सुरक्षित रहा और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ६  हजार साल पहले दक्षिण अफ्रीका में भी हिंदू धर्म को मानने वाले रहे होंगे या संभव है किसी खास संप्रदाय के लोग भगवान शिव को मानते होंगे। गौरतलब है कि भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति भी दक्षिण अफ्रीका में ही है। १०  मजदूरों द्वारा १०  महीनों में बनाई गई इस मूर्ति का अनावरण बेनोनी शहर के एकटोनविले में किया गया है।
स्त्रोत : जागरण 

Wednesday, October 15, 2014

LIFE OF NEHRU AND INDIRA, A FAMILY FULL OF NONMARITAL SEX.

ठरकी नेहरु की असलियत !!!
इसने तो सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू को भी नहीं छोड़ा
cover

Read more here

ANTI INDIAN JOURNALIST RAJDEEP SARDESAI



Monday, October 6, 2014

10 MILE UFO V/S SPACECRAFT AND 60 MILE HIGHWAY DISCOVERD IN MOON IN 1968

UFO is hidden in the Crater Manilius on the Moon 1968

10 MILE UFO IN MOON-DETAILS  HERE-CLICK HERE
AND ALSO BASE ON FAR SIDE OF MOON

UFO Hovers Near Space Station During Space Walk In NASA Video — What Is This Mystery Object? 
A UFO appearing in a NASA video recently released by the space agency has baffled not only UFO enthusiasts, but grabbed the attention of the world media — but so far, the United States space agency, which posted the video October 7 on YouTube, is keeping silent.
ADVERTISEMENT
The five-minute video shows highlights of what was actually a six-hour long space walk by two astronauts now manning the International Space Station, which orbits about 260 miles above Earth’s surface.