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Tuesday, March 29, 2016

मंदिर जहां घी, तेल नहीं पानी से जलता है दीपक

एक ऐसा मंदिर जहां घी, तेल नहीं पानी से जलता है दीपक

धर्म और आस्था में कई ऐसे चमत्कार होते है जिनसे भगवान में ओर भी श्रद्दा बढ़ जाती है | ऐसा ही एक चमत्कार एक देवी के मंदिर में दिखाई देता है जिसमे दीपक को जलाने के लिए किसी घी या तेल की जरुरत नही होती | यह क्रम आज से नही बल्कि पिछले पाँच साल से चल रहा है | यह मंदिर है गड़ियाघाट वाली माताजी का जो नलखेड़ा से 15 किमी दूर गाँव गाड़िया के पास पास कालीसिंध नदी के किनारे है | माँ की महिमा की ऐसी ज्ञाता सुनकर भक्त दूर दूर से माँ के दर्शन करने आते है | इस दीये में पानी डालने पर तरल चिपचिपा हो जाता है, जिससे दीपक लगातार जलता रहता है ||आँखों के सामने पानी से दीपक की ज्योत देखकर उनकी भक्ति और श्रद्दा ओर बढ़ जाती है |

जिले के तहसील मुख्यालय नलखेड़ा से लगभग 15 किलोमीटर दूर ग्राम गड़िया के पास कालीसिंध नदी के तट पर प्राचीन गड़ियाघाट वाली माताजी का मंदिर स्थित है. मंदिर के पुजारी ने दावा किया है कि इस मंदिर में पिछले पांच सालों से पानी से ज्योत जल रही है. यहा के पुजारी के अनुसार पहले माँ के मंदिर में हमेशा तेल का दीपक जलता था | एक दिन उन्हें सपने में माँ ने दर्शन दिए और कहा की तुम अब से पानी से उनके दीप जलाओ | माँ के आदेश अनुसार पुजारी ने जब पानी से दीपक जलाया तो वो जल उठा | बस माँ के इस चमत्कारी शक्ति से आज भी दीपक जलाने के लिए पानी का सहारा किया जाता है । दीपक में पानी पास की नदी में कालीसिंध नदी से लाया जाता है। 

इस चमत्कार के बारे में कुछ ग्रामीणों ने भी पहले यकीन नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योत जलाई और ज्योति सामान्य रूप से जल गई, तो उसके बाद इस चमत्कार के बारे में पूरे गांव में चर्चा फैल गई।

पानी से जलने वाला ये दीया बरसात के मौसम में नहीं जलता है। दरअसल, वर्षाकाल में कालीसिंध नदी का जल स्तर बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है। जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता।  इसके बाद शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन यानी पड़वा से दोबारा ज्योत जला दी जाती है, जो अगले वर्षाकाल तक लगातार जलती रहती है।