Tuesday, February 23, 2016
Brave Kshatriyas Rajput who liberated Goa
Monday, February 22, 2016
Did an Indian fly first unmanned aircraft?
Friday, February 19, 2016
Modi power will return back per horoscope
पं० धनंजय शर्मा वैदिक ज्योतिषाचार्य
प्रधानमंत्री के सितारे जल्द ही मजबूत स्थिति में आने वाले हैं। मोदी जी जबसे प्रधानमंत्री बने तब से उनका मूल स्वाभाव काफी बदला-बदला सा नजर आ रहा था। ऐसे में मोदी समर्थक मोदी जी की चुप्पी को लेकर काफी समय से असमंजस की स्थिति में थे लेकिन अब उनके लिये खुशी की बात है की भारत का शेर जल्द ही गरर्जने वाला है।
जी हां मोदी जी के ग्रह इस समय बडे परिवर्तन की ओर इशारा कर रहे हैं। मंगल का वृश्चिक संचार उन्हे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की प्रेरणा देगा तथा शनि व मंगल की युति मोदी जी के विरोधियों को बडा सबक सिखाने वाली है। दूसरी ओर मोदी जी की दशा उन्हे कडे और नपे-तुले फैसले लेते हुये दिखायेगी।
अगले चार माह मोदी जी के लिये निर्णायक साबित होंगे। इस समय मोदी जी आतंकवाद और भ्रष्टाचार पर खुलकर सामने आयेंगे। पाकिस्तानी और आईएस0आईएस0 आतंकवादी संगठनों के लिये मोदी जी इस समय बडे फैसले लेते हुये दिखेंगे, इसके अतिरिक्त वे धर्म पर भी खुलकर बोलेंगे। मोदी जी की वर्तमान दशा और गोचर उन्हे को हीरों के रूप में दुनिया के सामने लेकर आयेंगे।
Wednesday, February 17, 2016
बीजापुर स्थित ""सात कबर"" और उनका रहस्य ?
Tuesday, February 16, 2016
History of Pratihar/ Parihar Rajput
John Paul II had 'intense' friendship with MARRIED woman: But no UPROAR among christians.
If that happens for Indian saints , it would have been nightmare, uproar all over world. This is difference between Christians, Muslims v/s illiterate Hindus. While John Paul is considered a messiah , and given saint ,almost equal to GOD figure, his acts first of protection of pedophiles and black money laundering in Vatican is a something HORROR movie for me ,as it should be for molested children of Christians but they still follow as blind as they were to their POPE, as any devout Muslin to evil Quran that teaches pedophilia by its own prophet by setting example by marrying Ayesha at age of 6 years.
Pope John Paul II had a close relationship with a married woman which lasted over 30 years according to letters which feature in a documentary being shown by the BBC.The two spent camping and skiing holidays together and went on country walks and BBC was short of telling if they broke sex between them.
"My dear Teresa," he writes. "You write about being torn apart, but I could find no answer to these words."
Pope John Paul II.
Friday, February 12, 2016
अखण्ड भारत ,Ancient Undivided India
में हूँ ........ 1947 में ये भारत का 24 वां विभाजन था .........
और ये पोस्ट शायद मेरे जैसों को हिंदुत्व का परचम लहराने की
मुहिम तेज करने का कार्य करेगी और सेक्युलर हिंदुओं की
आँख खोलने का कार्य जो अधिकतर 25 बाई 60 फ़ीट के घर
में महफूज रहने को ही काफी मानकर कबूतर की तरह आँख बन्द
किये बैठे हैं , उन सभी भाई-बहन मित्रों , बच्चों से अनुरोध है
कि इसे जरूर पढ़ें ..... ये पोस्ट दिल्ली ब्यूरो चीफ मिस्टर
निगम द्वारा लिखी गयी है ...... इस लेख के लिए उन्हें
धन्यवाद
अखंड भारत की पूरी कहानी
आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख
नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण
हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार,
श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या
बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा
होता है कि यह देश कैसे गुलाम और आजाद हुए। पाकिस्तान व
बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। बाकी देशों के
इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की
सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं।
एवरेस्ट का नाम था सागरमाथा, गौरीशंकर चोटी
पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते
हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें
से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं
तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के
निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय
पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊंची
चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने
एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदल दिया।
ये थीं अखंड भारत की सीमाएं
akhand-bharatइतिहास की किताबों में हिंदुस्तान की सीमाओं
का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिंद महासागर का वर्णन है,
परंतु पूर्व व पश्चिम का वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की
गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों और एटलस का
अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व
पश्चिम दिशा का वर्णन है। कैलाश मानसरोवर‘ से पूर्व की ओर
जाएं तो वर्तमान का इंडोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो
वर्तमान में ईरान देश या आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर
पर हैं।
एटलस के अनुसार जब हम श्रीलंका या कन्याकुमारी से पूर्व व
पश्चिम की ओर देखेंगे तो हिंद महासागर इंडोनेशिया व आर्यान
(ईरान) तक ही है। इन मिलन बिंदुओं के बाद ही दोनों ओर
महासागर का नाम बदलता है। इस प्रकार से हिमालय, हिंद
महासागर, आर्यान (ईरान) व इंडोनेशिया के बीच का पूरे भू-भाग
को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष या हिंदुस्तान कहा जाता है।
अब तक 24 विभाजन
सन 1947 में भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में 24वां
विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट
इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर
धीरे-धीरे शासक बनना और उसके बाद 1857 से 1947 तक
उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। 1857 में
भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किमी था। वर्तमान भारत
का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग किमी है। पड़ोसी 9 देशों का
क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग किमी बनता है।
क्या थी अखंड भारत की स्थिति
सन 1800 से पहले विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत
के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय ये देश थे ही
नहीं। यहां राजाओं का शासन था। इन सभी राज्यों की भाषा
अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परंपराएं बाकी
भारत जैसी ही हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-
नृत्य, पूजापाठ, पंथ के तरीके सब एकसे थे। जैसे-जैसे इनमें से
कुछ राज्यों में भारत के इतर यानि विदेशी मजहब आए तब यहां
की संस्कृति बदलने लगी।
2500 सालों के इतिहास में सिर्फ हिंदुस्तान पर हुए हमले
इतिहास की पुस्तकों में पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रमण
हुए (यूनानी, यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच,
डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज) इन सभी ने
हिंदुस्तान पर आक्रमण किया ऐसा इतिहासकारों ने अपनी
पुस्तकों में कहा है। किसी ने भी अफगानिस्तान, म्यांमार,
श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या
बांग्लादेश पर आक्रमण का उल्लेख नहीं किया है।
रूस और ब्रिटिश शासकों ने बनाया अफगानिस्तान
1834 में प्रकिया शुरु हुई और 26 मई 1876 को रूसी व
ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय
हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात्
राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया।
इससे अफगानिस्तान अर्थात पठान भारतीय स्वतंत्रतता
संग्राम से अलग हो गए। दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी
रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व
मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि
अफगानिस्तान पर नियंत्रण किसका हो? अफगानिस्तान शैव व
प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ
इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहां, शेरशाह सूरी
व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार
(गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।
1904 में दिया आजाद रेजीडेंट का दर्जा
मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित
कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य बना चुके थे।
स्वतंत्रतता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के
विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने
विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक
स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर
नेपाल को एक आजाद देश का दर्जा प्रदान कर अपना रेजीडेंट
बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी
अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा
को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-
महाराजाओं में यहां तनाव था। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी
रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।
भूटान के लिए ये चाल चली गई
1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के
मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम
से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण से रेजीडेंट के माध्यम से
रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना शुरु
किया। यहां के लोग ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक
थे। यहां खनिज व वनस्पति प्रचुर मात्रा में थी। यहां के जातीय
जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय धारा से अलग कर मतांतरित
किया गया। 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक
विस्तार कर नए आयामों की रचना कर डाली। फिर एक नए टेश
का निर्माण हो गया।
चीन ने किया कब्जा
1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीन भारत की
ब्रिटिश सरकार के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के
बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए
हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण
करने का निर्णय हुआ। हिमालय को बांटना और तिब्बत व
भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और
अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी
मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला।
अंग्रेजों ने अपने लिए बनाया रास्ता
1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी
भारत व एशिया से जाना पड़ सकता है। समुद्र में अपना
नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा
स्वतंत्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने
हेतु सन 1935 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग
राजनीतिक देश की मान्यता दी। म्यांमार व श्रीलंका का अलग
अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो
पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में
प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं
को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून
का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने
के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।
दो देश से हुए तीन
1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। इसकी पटकथा
अंग्रेजों ने पहले ही लिख दी थी। सबसे ज्यादा खराब स्थिति
भौगोलिक रूप से पाकिस्तान की थी। ये देश दो भागों में बंटा हुआ
था और दोनों के बीच की दूरी थी 2500 किलो मीटर। 16
दिसंबर 1971 को भारत के सहयोग से एक अलग देश बांग्लादेश
अस्तित्व में आया।
तथाकथित इतिहासकार भी दोषी
यह कैसी विडंबना है कि जिस लंका पर पुरुषोत्तम श्री राम ने
विजय प्राप्त की ,उसी लंका को विदेशी बना दिया। रचते हैं हर
वर्ष रामलीला। वास्तव में दोषी है हमारा इतिहासकार समाज
,जिसने वोट-बैंक के भूखे नेताओं से मालपुए खाने के लालच में
भारत के वास्तविक इतिहास को इतना धूमिल कर दिया है,
उसकी धूल साफ करने में इन इतिहासकारों और इनके आकाओं
को साम्प्रदायिकता दिखने लगती है। यदि इन तथाकथित
इतिहासकारों ने अपने आकाओं ने वोट-बैंक राज+नीति खेलने
वालों का साथ नही छोड़ा, देश को पुनः विभाजन की ओर धकेल
दिया जायेगा। इन तथाकथित इतिहासकारो ने कभी वास्तविक
भूगोल एवं इतिहास से देशवासिओं को अवगत करवाने का साहस
नही किया।