Tuesday, November 17, 2015

Jaunpur college and Th.Tilak Dhari Singh

The Great Contribution of Th.Tilak Dhari Singh (A first graduate person in Rajputs of jaunpur district of U P) in Educational Development And Social Upliftment of Rajput Community in purvanchal of U P.
Thakur Tilak Dhari Singh was great man who obtained Graduate Degree first in Rajput Community of Jaunpur district of U P .He was also play a signifucant role with Raja Amar Singh of Jaunpur in freedom fighters struggle.His great contribution can not be overemphasized in the educational development and social Upliftment of kshatriyas of Purvanchal Area of U P .He wasa devoted man in unity of his socity.Thakur Tilak Dari Singh was
Born on 29th February, 1872 in a middle class kshattriya family in village Kuddupur, district Jaunpur.Th.Tilak Dhari Singh completed his school education partly in Jaunpur and partly in Semari of Raebareily district of U.P. He did his graduation in 1894 from Canning College of Lucknow University. After graduation he enrolled for law degree in 1895 but owing to the sudden death of his beloved father he discontinued his studies.He was an energetic and promising young man. He came into contact with the leading lawyers of the city of jaunpur and helped the poor and neglected sections of the society in their legal problems. He was always worried to see the condition of Kshatriyas of the poor and felt that it could be improved only if they are properly educated.He decided to establish an institution of learning meant for the people irrespective of his caste Kshatriyas and creed With this aim in mind he founded an English Middle School in rented premises in the year 1914. . Mr Singh was the first graduate in this district of his community.It was recognized as Kshatriya High School in 1916. It Became an Intermediate in 1940. It acquired the status of of a Degree College in 1946 in affiliation to Agra University.It’s affiliation shifted to Gorakhpur University in 1956. It got the status of Post Graduation in 1970 after a long drawn protest led by then principal Sri H N Singh.
Most of the rajput of purvanchal obtained education from this Institution and gets good and very valuable post in the country .
Courtesy---Dr Dhirendra Singh Jadaun
Village --Larhota ,Sasni ,District -Hatharas ,UP.

Thursday, November 12, 2015

Dawood and its real estate in London

3000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है दाऊद
हिंदुस्तान का दुश्मन नंबर वन दाऊद इब्राहिम भले ही पाकिस्तान में बैठा है, लेकिन उसके हुक्म पर धंधा दुबई और ग्रेट ब्रिटेन में भी चलता है. भारत सरकार की कोशिश है कि दाऊद हर हाल में कानून के कठघरे में खड़ा हो. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे में वो दस्तावेज ब्रिटिश सरकार को सौंपे गए, जिनमें ब्रिटेन में स्थित दाऊद की संपत्तियों का ब्यौरा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से उनके सरकारी निवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट में मुलाकात की. प्रधानमंत्री के साथ गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अधिकारियों के एक दल के साथ दाऊद की संपत्ति पर एक डोजियर ब्रिटिश सरकार को सौंपा. ब्रिटिश अधिकारियों से दाऊद की संपत्ति सीज करने की गुजारिश भी की है.

प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, दुनिया की 10 देशों में दाऊद की 50 प्राइम प्रॉपर्टी हैं. इनकी कीमत करीब 3000 करोड़ रुपये आंकी गई है. लेकिन सबसे ज्यादा निवेश ब्रिटेन और लंदन में ही हुआ है. ब्रिटेन में दाऊद और उसके करीबियों की 15 संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत करीब 1500 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. डी कंपनी ने ब्रिटिश अधिकारियों की मिलीभगत से यह बनाई है


हिंदुस्तान का दुश्मन नंबर वन दाऊद इब्राहिम भले ही पाकिस्तान में बैठा है, लेकिन उसके हुक्म पर धंधा दुबई और ग्रेट ब्रिटेन में भी चलता है. भारत सरकार की कोशिश है कि दाऊद हर हाल में कानून के कठघरे में खड़ा हो. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे में वो दस्तावेज ब्रिटिश सरकार को सौंपे गए, जिनमें ब्रिटेन में स्थित दाऊद की संपत्तियों का ब्यौरा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से उनके सरकारी निवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट में मुलाकात की. प्रधानमंत्री के साथ गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अधिकारियों के एक दल के साथ दाऊद की संपत्ति पर एक डोजियर ब्रिटिश सरकार को सौंपा. ब्रिटिश अधिकारियों से दाऊद की संपत्ति सीज करने की गुजारिश भी की है.

प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक, दुनिया की 10 देशों में दाऊद की 50 प्राइम प्रॉपर्टी हैं. इनकी कीमत करीब 3000 करोड़ रुपये आंकी गई है. लेकिन सबसे ज्यादा निवेश ब्रिटेन और लंदन में ही हुआ है. ब्रिटेन में दाऊद और उसके करीबियों की 15 संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत करीब 1500 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. डी कंपनी ने ब्रिटिश अधिकारियों की मिलीभगत से यह बनाई है.

D कंपनी की संपत्ति सीज करने की गुजारिश
भारत चाहता है कि डी कंपनी की सारी संपत्ति सीज हो ताकि उसकी कमर टूटे. दूसरे देशों को पैगाम जाए कि डॉन को बचाना गलत ही नहीं, गैरकानूनी भी है. कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने दाऊद की संपत्तियों का ब्योरा यूएई सरकार को सौंपा था. अब साफ है कि पाकिस्तान चाहे दाऊद को बचाने की कितनी ही नापाक कोशिश करे, लेकिन उसे बचा नहीं सकता.

लंदन में डॉन का चलता है साम्राज्य
लंदन से कभी अंग्रेजों का ऐसा राज चलता था, जिसमें कभी सूरज डूबता ही नहीं था. आज इसी लंदन में उस दाऊद इब्राहिम के काले कारोबार का साम्राज्य भी चलता है, जो आतंक, ड्रग तस्करी और हवाला के धंधों में माहिर है. इसीलिए भारत चाहता है कि ब्रिटेन में यदि दाऊद के धंधों और अड्डों को चौपट कर दिया जाए तो उसको पकड़ना आसान हो जाएगा.

दाऊद की प्रॉपर्टी की एक्सक्लूसिव लिस्ट


प्रापर्टी नं-1 - 6, सेंट जॉन्स वूड रोड, लंदन (साथ में बड़ा गैराज)
प्रापर्टी नं-2-- हरबर्ट रोड, हॉर्नचर्च, एसेक्स
प्रापर्टी नं-3- सारा हाउस (9 फ्लैट्स और एक पेंट हाउस) रिचमंड रोड, इलफोर्ड
प्रापर्टी नं-4- डार्टफोर्ड होटल, 22-26 स्पिटल स्ट्रीट, डार्टफोर्ड
प्रापर्टी नं 5- 2, टॉम्सवूड रोड, शिगवेल
प्रापर्टी नं -6-रॉम्पटन हाइ स्ट्रीट, लंदन में दुकान और अपार्टमेंट
प्रापर्टी नं-7- लांसलॉट रोड पर दुकान और अपार्टमेंट
प्रापर्टी नं-8- 230, थॉर्न्टन रोड, क्रॉयडॉन
प्राप्रटी नं-9-  9, कोमो स्ट्रीट, रॉमफोर्ड, एसेक्स
प्रापर्टी-नं-10- द लान्स, 74, शेफर्ड्स बुश गार्डन, लंदन
प्रापर्टी नं-11- 37 और 37 ए, ग्रेट सेंट्रल एवेन्यू, साउथ रुइस्लिप
प्रापर्टी नं-12- 15-17, सेंट स्विथिन्स लेन, लंदन
प्रापर्टी नं-13- 28-30 नाइट्सब्रिज रोड/हावर्ड हाउस (साउदेंड), रॉम्पटन हाइ स्ट्रीट, लंदन
प्रापर्टी नं-14- 18, वूडहाउस रोड, न्यू नॉर्थ रोड हैनॉल्ट
प्राप्रटी नं-15- 13 बी, रिचमॉन्ड रोड, इलफोर्ड

दाऊद का लंदन में ऐसे चलता है धंधा
दाऊद इब्राहिम खुद लंदन नहीं जाता, लेकिन उसका धंधा फलता-फूलता रहा है. भारत सरकार द्वारा ब्रिटेन को सौंपे गए डोजियर से पता चलता है कि हवाला का कारोबार ब्रिटेन में दाऊद के गैरकानूनी बिजनेस की बुनियाद है.
एक अनुमान के मुताबिक दुबई से 1000 करोड़ रुपये की रकम हवाला के जरिए भेजी गई. वो रकम लंदन सहित यूरोप के कई देशों में भेजी गई.

1993 बम धमाकों के बाद दाऊद के साथ इकबाल मिर्ची भारत से फरार हो गया. लेकिन दाऊद और उसकी गैरहाजिरी में भी डी कंपनी भारत में काम करती रही. लूट, हत्या, फिरौती, जमीन कब्जाने जैसे तमाम काले धंधों से जो मोटी रकम आती, डी कंपनी के गुर्गे उसे हवाला के जरिए दुबई और लंदन भेजते रहे...इससे दाऊद ने इकबाल मिर्ची के सहारे यूरोप में अपना काला कारोबार खड़ा किया.

अगस्त 2013 को इकबाल मिर्ची की हार्ट अटैक से मौत हो गई. इसके बाद दाऊद ने अपना कारोबार इकबाल मिर्ची के परिवार को सौंप दिया. सरकार ने ब्रिटेन को दाऊद का कारोबार संभालने वालों के नाम सौंपे हैं. ये सभी नाम हैं तो इकबाल मिर्ची के परिजनों के, लेकिन काले धंधे की बड़ी रकम दाऊद की झोली में जाती है. इस तरह दाऊद पाकिस्तान में बैठे हुए साम्राज्य चलाता है.

दाऊद का कारोबर देखने वालों की लिस्ट

आसिफ मेमन
इकबाल मिर्ची का बड़ा बेटा. आसिफ मेमन दुबई और भारत के बीच होने वाले हवाला कारोबार पर निगाह रखता है.

जुनैद मेमन
इकबाल मिर्ची का छोटा बेटा. जुनैद दाऊद के यूरोप और अफ्रीका का कोराबार देखता है.

हाजरा मेमन
इकबाल मिर्ची की बीवी. हाजरा दाऊद के मोरक्को, स्पेन और लंदन के काले कारोबार में सहयोग करती है.

नादिया मेमन मलिक
इकबाल मिर्ची की बेटी, नादिया की शादी जावेद मलिक से हुई है. नादिया अपनी मां की मदद करती है.

जावेद मलिक
पाकिस्तानी नागरिक और नादिया मेमन का पति. वह पाकिस्तान और दुबई के बीच होने वाले काले कारोबार में दाऊद की मदद करता है.

इसके अलावा भारत सरकार ने अपने डोजियर में हुमायूं सुलेमान मर्चेंट, हारूम रशीद अलीम, एआर यूसुफ, मुख्तार पटका, वाधवा ग्रुप, अरशद फिरोज मेमन, फिरोज मेमन और परवीन फिरोज मेमन के नाम भी सौंपे हैं. सरकार इन सबकी धरपकड़ के जरिए भी दाऊद का नेटवर्क कमजोर करने में लगी है. ताकि दाऊद को कमजोर करके सरेंडर कराया जा सके. 
From WWW.AAJTAK.IN 

Sunday, November 8, 2015

भारत के PM नरेन्द्र मोदी- भविष्यवाणी, दो साल बाद सबको धूल चटा देंगे मोदी ...

भारत के PM नरेन्द्र मोदी के सितारे इन दिनों कुछ अच्छे नहीं चल रहे हैं। पहले दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल और अब बिहार विधानसभा चुनावों में लालू-नीतीश के हाथों हुई हार से उनके राजनीतिक विरोधी मुखर होकर उनकी आलोचना कर रहे हैं। ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो उनकी कुंडली के अनुसार अभी उन्हें शनि की साढ़े साती लगी हुई है।

यह उन्हें 15 नवम्बर 2011 को शुरू हुई थी जो 23 जनवरी 2020 तक चलेगी। इसमें भी 3 नवम्बर 2014 को साढ़े साती अपने शिखर में पहुंच गई जो 26 अक्टूबर 2017 तक रहेगी। इसके बाद वह अपने अस्तकाल में आ जाएगी।

मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को गुजरात के बडऩगर में सुबह 10 बजे हुआ था। इस हिसाब से उनकी राशि तुला है। उनकी कुंडली के ग्यारहवें घर में शुक्र और शनि साथ बैठे हैं जिसके कारण ही वह भौतिक सुख-संपदा और उच्च आध्यात्मिक अनुभवों का एक साथ लाभ उठा पाते हैं।

शनि की साढे साती का है यह कमाल

























इसके साथ ही उन्हें चन्द्रमा की महादशा और राहू की अन्र्तदशा चल रही है, जिसके कारण उन्हें राजनीति में स्थातित्व मिल रहा है। वर्ष 2014 के अंत में राहू और केतु की गोचर दशा नकारात्मक होने के कारण ही उन्हें दिल्ली तथा बिहार विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा। मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में आखिरी बार जीत जम्मू-कश्मीर में हुई। वहां भी नवंबर में चुनाव हुए जबकि शनि की साढ़े साती अपने शिखर चरण में प्रवेश कर रही थी, यही कारण रहा कि भाजपा को जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनानी पड़ी।

2017 तक हारेंगे हर चुनाव

इसके बाद फरवरी 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव तथा हाल ही के बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। इस समय राहू 12वें घर में केतु तथा सूर्य से युति करेगा जिसके फलस्वरूप उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए जाएंगे।

साथ ही शनि गोचर में चन्द्रमा के साथ युति करेगा जिसके चलते भाजपा की अंदरूनी राजनीति में भी बहुत बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। लोगों को कोई बड़ा आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि 2017 तक भाजपा किसी भी राज्य में कोई विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए, हां वह मुख्य विपक्षी दल के रूप में जरूर उभरेगी।

दोस्तों के भेष में दुश्मन होंगे उनके साथ

इसके साथ ही मोदी के पुराने अच्छे साथी भी उनका साथ छोड़ देंगे। हाल ही में हम अरुण शौरी, राम जेठमलानी के रूप में इसकी हकीकत भी देख चुके हैं। हालांकि 9वें घर पर धर्म की दृष्टि होने से वह धार्मिक बने रहेंगे और निकट भविष्य में देश को और आगे ले जाएंगे।

सबसे बड़ी बात उनकी पार्टी के अंदरूनी साथी ही उनके दुश्मन बनेंगे और उन्हें डुबोने का काम कर रहे हैं। यदि भविष्य में मोदी पर किसी तरह का कोई संकट आता भी है तो इन ग्रह-नक्षत्रों के कारण उसके जिम्मेदार उनकी अपनी पार्टी के लोग होंगे जो गुप्त रूप से उनके खिलाफ अभियान चला रहे होंगे।

बना रहेगा उनके जीवन पर खतरा

बहुत संभव है कि वह इस दौरान किसी हादसे का शिकार भी हो जाएं। उनकी स्वास्थ्य के साथ साथ उनके जीवन के लिए भी लगातार खतरा बना रहेगा। अक्टूबर 2017 में उनकी साढ़े साती अपने अस्त चरण में प्रवेश कर जाएगी, तभी से उनकी मुश्किलें समाप्त होना शुरू हो जाएंगी और 2019 में साढ़े साती के हटते ही वह पूर्ण रूप से पूरी ताकत से फिर उभरेंगे।
From WWW.PATRIKA.COM


Saturday, November 7, 2015

Ford foundation and anti India activities

फोर्ड फाउंडेशन क्या है?
आज भारत में नयी सरकार बीजेपी के आने के वाद बहुत से NGO की वाट लगी उनमे ग्रीनपीस भी एक है और फोर्ड फाउंडेशन भी।।
उसके वाद से अमेरिका भी बौखलाया हुआ है।बो भारत सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा और अमेरिका की ये बोखलाहट साफ़ साफ़ दिखाती है की बो कांग्रेस राज में किस तरह देश को अस्थिर कर रहे थे।।
आज जो साहित्यकार और कुछ बड़े लोग मोदी सरकार को किसी ना किसी तरीके से कोष रहे है बो किसी न किसी रूप में फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े हुए है ।।अब उनके NGO को पैसा मिलना बन्द हो चूका है इसलिए बो बोखलाए हुए है।
अब उस फोर्ड फाउंडेशन की मनमानी बन्द हो चुकी है बीजेपी के आने के वाद इसलिए अब बो बोखलाए हुए है और बीजेपी को अस्थिर करने में लगे है।
फोर्ड फाउंडेशन को समझिए !
फोर्ड मोटर्स कम्पनी के मालिक व अमेरिका के मूल निवासी हेनरी फोर्ड और एडसेल फोर्ड ने 15 जनवरी 1936 में फोर्ड फाउंडेशन नामक NGO का गठन किया ! NGO मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानव कल्याण को बढ़ावा देना था, फोर्ड फाउंडेशन का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है !
"मानव कल्याण" का मुखौटा लेकर पूरे विश्व में पहचान बनाने वाली फोर्ड फाउंडेशन का असली उद्देश्य कुछ और है ! फोर्ड फाउंडेशन को अमेरिकन ख़ुफ़िया एजेंसी CIA का रणनीतिक भागीदार माना जाता है !
फोर्ड फाउंडेशन के मुख्य काम है ___
1. CIA के इशारे पर विभिन्न देशो में चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना !
2. विभिन्न देशो में सरकार के विरुद्ध कुछ विशेष राजनितिक आंदोलन को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना !
3. सरकार के विरुद्ध काम कर रही NGO को धन उपलब्ध कराना !
4. अमेरिकी हितो के लिए गुटबाज़ी करना !
5. CIA के इशारे पर लोकतांत्रिक सरकारों के विरुद्ध दुर्भावनापूर्ण आंदोलन खड़ा करना !
6. अमेरिका के लिए पूरे विश्व में राजनितिक स्तर पर स्लीपर सेल तैयार करना !
भारत में अन्ना हज़ारे के आंदोलन को फोर्ड फाउंडेशन का समर्थन था व अरविन्द केजरीवाल की NGO "परिवर्तन" को फोर्ड फाउंडेशन से भारी मात्रा में अनुदान प्राप्त हुए !
फोर्ड फाउंडेशन बिना किसी स्वार्थ के किसी को एक पैसा नहीं देता फिर अरविन्द केजरीवाल की NGO को अनुदान किस आधार पर दिया गया?
क्या अरविन्द केजरीवाल CIA या फोर्ड फाउंडेशन की राजनितिक कठपुतली है?
जब इसी प्रकार के कयास भारत में लगाये जाने लगे तो फोर्ड फाउंडेशन ने अरविन्द केजरीवाल की NGO को अनुदान देने का विवरण ही अपनी आधिकारिक वेबसाइट से हटा दिया !
फोर्ड फाउंडेशन द्वारा भारत में रचे गए कुछ षडयन्त्रों का विवरण ____
1. भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन भारत में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए निरंतर कार्यरत है !
2. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन भारत के अंदरुनी मामलो में और न्यायिक व्यवस्था में अवांछित घुसपैठ कर चुका है !
3. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने भारतीय सेना के विरुद्ध साज़िश रची और सेना की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से लगातार काम किया !
4. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने गुजरात की मोदी सरकार को अस्थिर करने व नरेंदर मोदी के विरुद्ध दुष्प्रचार करने व घृणास्प्रद अभियान चलाने के लिए तीस्ता सीतलवाड की NGO को लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर का भारी भरकम अनुदान दिया !
5. गुजरात सरकार की विवेचना के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने तीस्ता सीतलवाड को केवल मुस्लिम हितो की पैरवाई के लिए यह कहकर उकसाया की इससे सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा !
6. फाउंडेशन ने अपने प्रभाव का प्रयोग कर पाकिस्तानी मानवाधिकार संगठन की भारत यात्रा करवाकर अपनी सीमाओ का उल्लंघन किया।
7. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने भारत की लगभग सभी बड़ी और महत्त्वकांशी परियोजनाओं में बाधा डालने की पुरजोर कोशिश की इसके लिए सैकड़ो NGO का मकड़जाल बुना गया और उनको भारी अनुदान देकर कभी पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर तो कभी अन्य काल्पनिक भय दिखाकर परियोजनाओं का विरोध करवाया गया धरने प्रदर्शन करवाये गए !
8. जिन परियोजनाओं का विरोध किया गया उनमे बिजली उत्पादन परियोजना और खनन उद्योग से जुडी परियोजनाएं शामिल थी ! इस विरोध का अंतिम और एक मात्र उद्देश्य भारत की विकास की गति में अवरोध उत्त्पन्न करना था !
यह तो केवल झांकी मात्र है !
IB की यह रिपोर्ट केवल पिछले 10 सालो में फोर्ड फाउंडेशन द्वारा किये गए कुकर्मो का लेखा जोखा है ! उस से पहले फोर्ड फाउंडेशन ने क्या क्या किया होगा उसकी जानकारी अभी सार्वजानिक नहीं की गयी है !
चीन सीमा और कश्मीर जैसे घाव देने वाले नेहरू और कांग्रेस की यह एक और ऐतिहासिक विफलता है की एक विदेशी NGO और ख़ुफ़िया एजेंसी ने देश में जमकर कोहराम मचाया इनको भनक तक नहीं लगी अथवा ये भी हो सकता है की इनको सबकुछ पता हो पर इनके विरुद्ध कार्यवाही ही न की गयी हो ! सच भी है ___ जिस पार्टी खून में ही सुभाष चन्द्र बॉस जैसे पूजनीय देशभक्तो की जासूसी करने का कीड़ा हो उनको इस बात से क्या फर्क पड़ता है कोई उनकी जासूसी कर रहा है !
आम आदमी पार्टी के जन्म के समय इसे फोर्ड फाउंडेशन की भारतीय शाखा कहा गया था और अरविन्द केजरीवाल को फोर्ड फाउंडेशन की भारतीय शाखा का प्रभारी !
अब IB की रिपोर्ट के आने पर स्पष्ट रूप से समझ आ रहा है की आम आदमी पार्टी का जन्म ही शायद लोकसभा चुनाओ में मोदी की संभावित जीत को रोकना था ! लेकिन बो कामयाब नहीं हो पाये।
आम आदमी पार्टी, अन्ना हज़ारे, अरविन्द केजरीवाल, तीस्ता सीतलवाड, मेधा पाटेकर जैसे छदम क्रांतिजनक और समाजसेवियों के अलावा भी कुकुरमुत्ते की तरह देश में फ़ैल चुकी करोडो NGO का मकड़जाल सब एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है जो केवल राजनितिक विरोधी ही नहीं राष्ट्र विरोधी भी है !
एक मात्र अच्छी खबर यह है की गुजरात सरकार की अनुशंसा और IB की रिपोर्ट को आधार मानकर गृह मंत्रालय ने फोर्ड फाउंडेशन के विरुद्ध जांच के आदेश दे दिए है ! गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी को नमन ! शायद हम अपने उन भाई बहनो की कुछ सहायता कर सके जो केवल मीडिया द्वारा प्रायोजित और प्रचारित तथाकथित क्रांतिकारियों के पीछे निकल लेते है थैला लेके जिनका उद्देश्य केवल विदेशी हितो के लिए भारतीय राजनैतिक व्यवस्था में घुसपैठ करना है !
केवल जन जागरण ही क्रांति ला सकता है और षडयंत्रो को विफल कर सकता है ! More at www.shankhnad.org 

Saturday, October 31, 2015

How British Distorted Indian History Read More at www.mysteryofindia.com/2014/08/how-british-distorted-indian-history.html © Mystery of India

Appeasement of Muslims By Congress Leaders The reason why Indian history was not rewritten much after 1947, is to found in our freedom struggle. Gandhi returned to Indian in 1915 and after Lokmanya Tilak’s death became the leader of the freedom struggle. Gandhi himself had shamelessly supported the British during the British -Boer war, British-Zulu war (also known as Kaffir Wars) and the World War I. In fact, Gandhi volunteered to organize a brigade of Indians to put down the Zulu uprising. Sergeant-Major Gandhi, the deputy commander of his cops – himself carried the stretcher of the mortally wounded British commanding officer from the Zulu war battle field for miles over the sun-baked veldt. Thence he was awarded Victoria’s coveted War Medal for valor under fire. However by the time of his return to India Gandhi was so obsessed with Ahimsa (non-violence) that he condemned Rana Pratap, Shivaji and Guru Gobind Singh for their armed struggle.  Savarkar proclaimed “We Hindus on our own can win our freedom from the British“. Gandhi lacked Savarkar’s confidence and conviction. This led to his perpetual capitulation to Muslim demands and finally culminated in the horrors of partition. After the horrible Mopla riots in 1921 when over 5000 Hindus were killed by the Moplas of Malbar. But Gandhi had no hesitation calling them “My brave Mopla brothers!” In December 1926 when a fanatic Muslim Abdul Rashid killed Swami Shraddhananda who had converted thousands of Muslims to Hinduism, Gandhi immediately pleaded that Brother Abdul Rashid’s life be spared. But he refused to plead for life of Bhagat Singh and others only six months later. In 1938 Hindus launched an unarmed struggle for their legitimate rights in Hyderabad state, Gandhi did not support them and said “I do not want to embarrass the Nizam”. Congress was in power in C.P., U.P., Bihar, Orissa, Bombay and Madras from 1937 and 1939. Not once the Congress ministers stood up to unreasonable demands of the Muslims. The same lieutenants became chief ministers of various states in 1946. After independence Nehru’s secularism always meant capitulation to Muslims and anti-Hindu politics. Thus under Nehru years and early Indira Gandhi rule Gandhian appeasement hangover was still intact. It must be noted that during all the Lok Sabha elections after 1947, the Congress party todate has NOT EVEN ONCE received even 50 percent of popular vote. Thus a 10 percent vote swing can change the power equation in New Delhi. Under these conditions, Muslim vote bank had disproportionate importance. Thus in later years (particularly after emergency) capitulation to the Muslim demands and appeasement became a tool for staying in power. In the zeal for retaining the power, true history has become the first victim. 8. Effect of Appeasement of Muslims Encyclopedia of Britannica says “Hindu Architecture .. It should be noted that there exists in India a vast technical literature known as Shilpa Shastra.. dating back to Gupta period perhaps much earlier, the medieval compilations are still in use by Indian Architecture.” The first victim of appeasement is Hindu architecture which is not taught at all in the Architecture and engineering schools. What ever insignificant part is taught is taught with Greek or Roman titles under Indo-Sarcenic architecture.

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Destruction of The Indian System of Education by British

Till the British started ruling India most of the castes were educated and prosperous but the delicate policies of the British are responsible for their later condition. The Brahmins who were supposed to set the standards of behaviour in the society were targeted, and when they strayed away from their path they were blamed for the condition of the other castes.
During the time of the East India Company and later, in the British rule, there seem to have been two motives working in the minds of the rulers: plundering the wealth of this land and the 'white man's burden ' of civilizing the natives (the term used by them to refer to all Indians). We shall see, how in order to achieve these ends, the British so cleverly played their cards that even after fifty years of independence we still continue to exist in a state of stupor, unable (and even unwilling!) to extricate ourselves from one of the greatest hypnoses woven over a whole nation. Perhaps many of us do not know that India was the richest land till the British came here. Whereas Britain's share in world exports before was only 9% as against India's share of 19% today our share is only 0.5%. Most of the foreigners came to India in search of her 
fabulous wealth. Ernest Wood, in the book "A Foreigner defends Mother India" states, "In the middle of the eighteenth century, Phillimore wrote that 'the droppings of her soil fed distant regions'. No traveller found India poor until the nineteenth century, but foreign merchants and adventurers sought her shores for the almost fabulous wealth, which they could there obtain. 'To shake the pagoda tree' became a phrase, somewhat similar to our modern expression 'to strike oil'." In India 35% to 50% of village lands were revenue free and that revenue was utilised for running schools, conducting temple festivals, producing medicines, feeding pilgrims, improving irrigation etc. The British in their greed brought down the revenue free lands down to 5%. When there was a protest they assured Indians that the government would create an irrigation department to take care of irrigation, an educational board to take care of education. etc. The initiative of the people was destroyed. But the rulers found to their chagrin, that though they had conquered this nation, it was still strongly rooted in its own culture. They found that as long as the nation was aware and even proud of its traditions, their 'white man's burden' remained as 'heavy and cumbersome as ever'! India had, at that time, a very well spread system of education and that system had to be made ineffective for their purposes. Now, most of us are taught to believe that the education was in the hands of the Brahmins and in Sanskrit medium and that the other castes had no education. But here are the facts about how the British destroyed the Indian educational system and made one of the most literate nations illiterate.
http://home.iitk.ac.in/~hcverma/Article/Article%20by%20IITM%20student%20in%20Indian%20education.pdf

कमरुनाग झील==इसमें दबा है अरबो का खजाना

कमरुनाग झील – हिमाचल प्रदेश – इसमें दबा है अरबो का खजाना

आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में कहा जाता है की उसमे अरबो रुपए का खजाना दफन है यह है हिमाचल प्रदेश  के पहाड़ो में स्थित  कमरुनाग झील।
पुरे साल में 14 और 15 जून को यानी देसी महीने के हिसाब से एक तारीख और हिमाचली भाषा में साजा। गर्मियों के इन दो दिनों में बाबा कमरुनाग पूरी दुनिया को दर्शन देते है। इसलिए लोगों का यहां जन सेलाव पहले ही उमड पड़ता है। क्योंकि बाबा घाटी के सबसे बड़े देवता हैं और हर मन्नत पुरी करते हैं। हिमाचल प्रदेश के मण्डी से लगभग 60 किलोमीटर दूर आता है रोहांडा, यहीं से पैदल यात्रा शुरु होती है। कठिन पहाड़ चड़कर घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। इस तरह लगभग 8 किलोमीटर चलना पड़ता है।
मंदिर के पास ही एक झील है, जिसे कमरुनाग झील के नाम से जाना जाता है। यहां पर लगने वाले मेले में हर साल भक्तों की काफी भीड़ जुटती है और पुरानी मान्यताओं के अनुसार भक्त झील में सोने-चांदी के गहनें तथा
पैसे डालते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा के आधार पर यह माना जाता है कि इस झील के गर्त में अरबों का खजाना दबा पड़ा है।
देव कमरुनाग को वर्षा का देव माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार भगवान कमरुनाग को सोने-चांदी व पैसे चढ़ाने की प्राचीन मान्यता है। यहां जून में लगने वाले मेले के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा झील में सोने-चांदी के गहनों को अर्पित करते हुए देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों की मानें तो सदियों से चली आ रही इस परंपरा के आधार पर यह माना जाता है कि झील के गर्त में काफी बड़ा खजाना दबा हुआ है। कमरुनाग में लोहड़ी पर भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है।
कमरुनाग जी का जिक्र महाभारत में भी आता है। इन्हें बबरुभान जी के नाम से भी जाना जाता था। ये धरती के सबसे शक्तिशाली योधा थे। लेकिन कृष्ण नीति से हार गए। इन्होने कहा था कि कोरवों और पांडवों का युद्ध देखेंगे और जो सेना हारने लगेगी में उसका साथ दुंगा। लेकिन भगवान् कृष्ण भी डर गए कि इस तरह अगर इन्होने कोरवों का साथ दे दिया तो पाण्डव जीत नहीं पायेंगे। कृष्ण जी ने एक शर्त लगा कर इन्हे हरा दिया और बदले में इनका सिर मांग लिया। लेकिन कमरुनाग जी ने एक खवाइश जाहिर की कि वे महाभारत का युद्ध देखेंगे। इसलिए भगवान् कृष्ण ने इनके काटे हुए सिर को हिमालय के एक उंचे शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन जिस तर्फ इनका सिर घूमता वह सेना जीत की ओर बढ्ने लगती। तब भगवान कृष्ण जी ने सिर को एक पत्थर से बाँध कर इन्हे पांडवों की तरफ घुमा दिया। इन्हें पानी की दिक्कत न हो इसलिए भीम ने यहाँ अपनी हथेली को गाड कर एक झील बना दी।
यह भी कहा जाता है कि इस झील में सोना चांदी चडाते से मन्नत पुरी होती है। लोग अपने शरीर का कोई भी गहना यहाँ चडा देते हैं। झील पैसों से भरी रहती है, ये सोना – चांदी कभी भी झील से निकाला नहीं जाता क्योंकि ये देवतायों का होता है। ये भी मान्यता है कि ये झील सीधे पाताल तक जाती है। इस में देवतायों का खजाना छिपा है। हर साल जून महीने में 14 और 15 जून को बाबा भक्तों को दर्शन देते हैं। झील घने जंगल में है और इन् दिनों के बाद यहाँ कोई भी पुजारी नहीं होता। यहाँ बर्फ भी पड जाती है।
यहाँ से कोई भी इस खज़ाने को चुरा नही सकता। क्योंकि माना जाता है कि कमरुनाग के खामोश प्रहरी इसकी रक्षा करते हैं। एक नाग की तरह दिखने बाला पेड इस पहाड के चारों ओर है। जिसके बारे मे कहते हैं कि ये नाग देवता अपने असली रुप में आ जाता है। अगर कोई इस झील के खजाने को हाथ भी लगाए।