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Sunday, April 17, 2016

Dr Ambedkar and his word about Islam


सोर्स प्रमाण :- डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड 151
हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है । यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं । साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा ।
भारत विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी । पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है ।
मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है । कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसीलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है । मुसलामनों के निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है । इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता ।
संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया । कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है । गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है । इस्लामी कानून समान सुधार के विरोधी हैं । धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते ।
मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती । वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते ।
:- डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड 151

Thursday, January 28, 2016

Real Quran was burned by 3rd Caliph

Nancy Papadopoulos's photo.Real Quran is burned.
Muhammad repeatedly calls attention to the fact that the Qur'an is not written, like other sacred books, in a strange language, but in Arabic, and therefore is intelligible to all. At that time, along with foreign ideas, many foreign words had crept into the language, especially Aramaic terms for religious conceptions of Jewish and Christian origin. Some of these had already passed into general use, while others were confined to a more limited circle. Muhammad, who could not ...
Jeremy Stevens's photo.Ron Klein's photo.fully express his new ideas in the common language of his countrymen, but had frequently to find out new terms for himself, made free use of such Jewish and Christian words, as was done, though perhaps to a smaller extent, by certain thinkers and poets of that age who had more or less risen above the level of heathenism. In Muhammad's case this is the less wonderful, because he was indebted to the instruction of Jews and Christians whose Arabic - as the Qur'an pretty clearly intimates with regard to one of them - was very defective.




● "And if he (Muhammad) had forged a (((false saying))) concerning Us, We surely should have seized him by his right hand, and then certainly should have cut off his Aorta and none of you {Muslims} could withhold Us from punishing him." (Qur'an 69:44-47)
● "The Prophet in his ailment in which he died, used to say: "O 'Aisha! I still feel the pain caused by the food I ate at Khaibar, and at this time, I feel as if my Aorta is being cut from that poison." (Sahih Bukhari... 5:59:713)
● "Therefore thus saith the Lord of hosts concerning the [false] prophets: Behold, I will feed them with wormwood [something bitter, or extremely unpleasant], and make them drink the water of gall [drink poisonous water]." (Jeremiah 23:15)
● "But the [false] prophet, which shall presume to speak a word in My name, which I have not commanded him to speak, or that shall speak in the name of other gods [Allah], even that prophet shall die." (Deuteronomy 18:20)
● "I have fabricated things against God and have imputed to Him words which He has not spoken.” — [False] Prophet Muhammad (Al-Tabari
6:111)
 "Allah's Messenger said: There is none amongst you {Muslims} with whom is not an attaché from amongst the → jinn (devil). They (the Companions) said: Allah's Messenger, with you too? Thereupon he said: → Yes." (Sahih Muslim 39:6757)
● "O Muhammad! I think that → your Satan ← has forsaken you, for I have not seen him with you for two or three nights!" (Sahih Bukhari 6:60:475)
● "There came to me an inviter on behalf of the → Jinn and I went along with him and recited to them {Muslims} the Qur'an." (Sahih Muslim 4:903)
● "And remember when We said to the angels: "Prostrate to Adam." So they prostrated except Iblis (Satan). He was one of the → Jinns." (Qur'an 18:50)
● "The Prophet [Muhammad] said: Verily, Satan flows through the human being {Muslims} like blood.” (Sahih Muslim 2174)












Monday, January 25, 2016

Quran and terrorism

आज लाखो मुस्लिम सडक पर उतर कर हिन्दू महासभा के कमलेश तिवारी जी को फांसी पर लटका देने के लिए सरकार के सामने सडको पर जुलुस निकाल रहे है क्योंकि जब आजम खान ने आरएसएस को "गे" कहा तो जवाब मे कमलेश जी ने कहा कि मुहम्मद वास्तव मे पहले होमो सेक्सुअल थे। बस बात भडक गयी।
लेकिन अब मेआपको बता दूँ कि कुरआन एक ऐसा मजहबी ग्रन्थ है जो पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा मुर्ख बनाता है। इसमे अगर लिखा है कि मानव हत्या करना जिहाद है तो दूसरी तरफ लिखा है एक मानव हत्या पूरी मानवता की हत्या है।
कही पर जानव...रो की हत्या भी मना है तो उसी मे कही लिखा है पेट से निकाल कर भ्रूण जानवर की हत्या भी जायज है।
अगर कही लिखा है होमो इंसान को सजाए मौत दी जानी चाहिए तो दूसरी तरफ उसी होमो सेक्सुअल आदमी को जन्नत मे सेक्स और सेवा के लिए देने की बात भी है।
अब जो मायावती लालू कांग्रेस को वोट देने वाले मूर्खों की जमात है वो इन सब ने उलझ कर रह जाते हैं। क्योंकि मुस्लमान मुर्ख बनाने केलिए क्या करता है वह देखिये...
अगर मुस्लिम का कहीं पर वर्चस्व नही है और हिन्दू या ईसाई के सामने कमजोर है या खुद को बचाने के लिए कहेगा कि ..
"इस्लाम में एक मानव की हत्या भी पूरी मानवता की हत्या है.. ये लिखा है"
जब मुस्लिम ताकतवर रहेंगे तो कहेंगे ..

 "गैर मुस्लिमों की हत्या करना जिहाद याने अल्लाह का कार्य है"
हिन्दू भी सेक्युलर है तो अच्छे लगने वाले परिभाषा को सुन कर विश्वास करता है दूसरे को सुनता ही नही।
कुरान मे जन्नत मे होमो भी रहेंगे सेवा के लिए ऐसा वर्णन है - "और उनके चारो तरफ लडके घूम रहे होंगे, वह ऐसे सुन्दर है,जैसे छुपे हुए मोती हो "सूरा -अत तूर 52 :24
इन लडको की हकीकत कुरान की इस आयत से पता चलती है, जो कहती है कि, "ऐसे पुरुष जो औरतो के लिए अशक्त हो (who lack vigour ) सूरा -नूर 24 :३१ बोलचाल की भाषा मे हम ऐसे पुरुषो नपुंसक या हिजडा (Eunuchs ) कहते है, आज भी ये प्रथा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अरब मे मौजूद हैजिसे "बच्चा बाजी " कहा जाता है, इसी तरह भारत मे हिजडा बनाने कि प्रथा भी मुस्लिम शासक ही लाये थे जिनको "मुखन्निस(Arabic مخنثون "effeminate ones") कहते है। यह ऐसे लडके या पुरुष होते है, जिनका पुरुषांग काट दियाजाता ताकि वह स्त्री जैसे दिखे, और जब वह हरम मे काम करे तो वहां की औरतो से कोई शारीरिक सम्बन्ध नही बना सकें परन्तु इनका मालिक इनसे समलैंगिक सम्बन्ध बना सके।
छोटे छोटे लडको या तो खरीद कर या अगवा करके उठाव लिया जाता है। फिर उनको लडकियो के कपडे पहिना कर नाच कराया जाता है और नाच के बाद उनके साथ कुकर्म किया जाता है, कभी कभी ऐसे लडको को खस्सी करके (Castrated ) हिजडा बना दिया जाता है। यह परम्परा अफगानिस्तान, सरहदी पाकिस्तान मे अधिक है। इस कुकर्म के लिए 9 से 14 साल के लडको को लिया जाता है। अफगानिस्तान मे गरीबी और अशिक्षा अधिक होने के कारण वहां बच्चाबाजी एक जायज मनोरंजन है ।
इसका विकिपेडिया लिंक https://en.m.wikipedia.org/wiki/Bacha_Bazi
अल उद्दीन का सेनापति “मालिक काफूर ” हिजडा था, और कुतुबुद्दीन का सेनापति “खुसरू खान ” भी हिजडा ही था महमूद गजनवी और उसके हिजडे गुलाम के “गिलमा बाजी” (homo sexual ) प्रेम यानि कुकर्म (Sodomy ) को इकबाल जैसे शायर ने भी आदर्श बताया है क्योंकि यह कुरान और इस्लाम के अनुकूल है। इसलिए मे कमलेश तिवारी जी का सच्चाई के आधार पर पूरी तरह समर्थन करता हूँ। मुसलमानो की बात का तो ऐसा है की अपने हिसाब से कोई भी सूरा या आयत निकाल कर पटक देते हैं।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=150084062030648&set=a.116071312098590.1073741828.100010871649924&type=3&theater

Saturday, December 19, 2015

Why Boar or Pork iS Ha-Ram for Muslims




























There is an instance that a Mussulman was attacked by a boar.
A wild boar. So when the boar attacked him, the Musselmans, when they do not like they say, “Haram. Haram.” Condemn means haram. So when the boar attacked him he said haram. “Haram!” But it acted, ha rama, and he got salvation. Do you follow what I say? A Mussulman said, ’ha ram. Ha ram, he condemned. It is abominable. That is the meaning of Urdu, haram. But at the time of death, when the boar attacked him, he said, “Haram.” So it acted ha rama. Ha, he rama. It acted, chanting the name of Rama, Hare Rama. He meant something else, but it acted as beneficial as chanting He rama. So therefore this Hare Krsna mantra, either you chant seriously, or those who are criticizing us, jokingly, the effect will be same. So anyway let them chant Hare Krsna. Do you follow? Even they do not take it seriously, if they imitate, joke, still they’ll be benefited .

Room Conversation
with His Divine Grace A. C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
August 15, 1971, London

Thursday, September 24, 2015

Bible and Quran are same per Pope-Yes indeed

ईद उल ज़ुहा की प्रथा कैसे शुरू हुई ??? ईसाईयों के भगवान ने अब्राहम से उसके इकलौते बेटे आइज़ैक की बलि चढाने का आदेश दिया। --Bible (Genesis 22:1 -18 ),
अपने पहले बच्चे की बलि चढ़ाओ ---Bible (Exodus 13:2)
चाहें आदमी की बलि चढ़ाओ या जानवर की ,जो नहीं चढ़ाएगा वो बर्बाद हो जायेगा -- Bible (Leviticus 27;28 -29)
बलि दो, उसका खून हवन वेदी में चढ़ाओ और मांस खा जाओ। Bible (Deuteronomy 12:27)
अपनी फसल का पहला फल ,पहली शराब, और पहला बच्चा मुझे चढाने में देर न करो। -- Bible (Exodus 22:29 )
तुम विदेशी मर्द और औरत दास खरीद कर रख सकते हो , और उन्हें वसीयत में अपने बच्चो को हमेशा के लिए दे सकते हो। लेकिन इजराइल के लोगों को दस नहीं बना सकते। Bible (Leviticus 25 ;44-46)
एक आदमी अपनी बेटी को गुलाम की तरह बेच सकता है। खरीदने वाला या उसका बेटा उसके साथ यदि विवाह कर ले तो वो दासी नहीं रहेगी। अगर वो दूसरी शादी कर लेता है तो इस महिला का भोजन कम नहीं करेगा। -Bible (Exodus 21:7-11)


Aditya Agnihotri's photo. दास की कड़ी मार लगायी जा सकती है। Bible (Luke 12;47 -48)
एक बार गॉड / खुदा ने मोसेस को मदीने वालों पर आक्रमण करने का आदेश दिया क्योंकि उन्होंने इसरायली लोगों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की थी। मोसेस ने मदीने के सारे लोगों को मार दिया 32000 कुआंरी लड़कियों को छोड़ कर। उन्हें अपनी दासी बना कर सेना के साथ आपस में बाँट लिया। 2% गॉड का हिस्सा पुजारी को मिला जिससे उसके हिस्से में 365 लड़कियां आयीं। Bible ( Numbers 28:47 )
तुम अपने भाई को दास बना सकते हो ,बशर्ते वो 50 साल बाद आज़ाद हो जायेगा। ---Bible (Leviticus 25:39)
खुदा / गॉड मोसेस को कहता है कि तुम पर जादू टोना असर नहीं करेगा। ---Bible (Exodus 22 :18 ,19)
दासों , तुम अपने मालिकों से इज़्ज़त और दर से ऐसे पेश आओ जैसे तुम क्राइस्ट की बंदगी कर रहे हो।Bible (Ephesians 6:5)
और वेद क्या कहते हैं शूद्रों के बारे में ----

शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्।
क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्या द्वैश्यात्तथैव च।---- अर्थात श्रेष्ठ -अश्रेष्ठ कर्मो के अनुसार शूद्र ब्राह्मण और ब्राह्मण शूद्र हो जाता है। जो ब्राह्मण ,क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के गुणों वाला हो वह उसी वर्ण का हो जाता है।
कुरान और हदीस के बारे में कुछ न ही लिखूं तो उचित रहेगा, क्योंकि मेरी मित्रमंडली में इसके अच्छे अच्छे ज्ञाता बैठे है। हाँ कुरान के विषय में एक बात ज़रूर कहूँगा की इसने मनुष्य बलि का इबादत के नाम पर समर्थन कभी नहीं किया ,वो जो गले कटे जाते हैं वो तो जिहाद का हिस्सा हैं।
उपरोक्त उद्धरण बाइबिल के सबसे परिष्कृत संस्करण जो कि 1977 में प्रकाशित किया गया और, दुनिया भर के ईसाइयत को मानने वाले Protestent, Anglicans, Roman, Catholic, and Eastern Orthodox Churches को मान्य है उसमे से लिए गए हैं। हो सकता है आपके ज़ेहन में यह सवाल आये कि सबसे परिष्कृत का क्या मतलब हुआ ??? जी वर्ष 1611 तक बाइबिल का King James Version दुनिया में चलता था और वो पत्थर की लकीर होता था। 1870 में इसमें से दोष दूर करने की दृष्टि से इसका परिष्कृतकरण शुरू हुआ जिसके बाद 1881-85 में इसका ब्रिटिश संस्करण निकला गया। 1901 में इसको धो मांझ कर अमेरिकन संस्करण निकला गया। 1937, 1946, 1952 में हर बार सुधर करके नए स्टैण्डर्ड संस्करण निकले गए। 1977 में आज तक जो कुछ भी बाइबिल के नाम पर उपलब्ध हुआ उसे इसमें डाल कर दुनिया के सामने रखा गया।

Thursday, May 28, 2015

महान नही शैतान था अकबर .AKBAR -THE GREAT DEMON


Virendra Kumar Dwivedi's photo.महान नही शैतान था अकबर
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अकबर के समय के इतिहास लेखक अहमद यादगार ने लिखा-
...
"बैरम खाँ ने निहत्थे और बुरी तरह घायल हिन्दू राजा हेमू के हाथ पैर बाँध दिये और उसे नौजवान शहजादे के पास ले गया और बोला, आप अपने पवित्र हाथों से इस काफिर का कत्ल कर दें और"गाज़ी"की उपाधि कुबूल करें, और शहजादे ने उसका सिर उसके अपवित्र धड़ से अलग कर दिया।'' (नवम्बर, ५ AD १५५६)
(तारीख-ई-अफगान,अहमद यादगार,अनुवाद एलियट और डाउसन, खण्ड VI, पृष्ठ ६५-६६)
इस तरह अकबर ने १४ साल की आयु में ही गाज़ी (काफिरों का कातिल) होने का सम्मान पाया।
इसके बाद हेमू के कटे सिर को काबुल भिजवा दिया और धड़ को दिल्ली के दरवाजे पर टांग दिया।
अबुल फजल ने आगे लिखा - ''हेमू के पिता को जीवित ले आया गया और नासिर-उल-मलिक के सामने पेश किया गया जिसने उसे इस्लाम कबूल करने का आदेश दिया, किन्तु उस वृद्ध पुरुष ने उत्तर दिया, ''मैंने अस्सी वर्ष तक अपने ईश्वर की पूजा की है; मै अपने धर्म को कैसे त्याग सकता हूँ?
मौलाना परी मोहम्मद ने उसके उत्तर को अनसुना कर अपनी तलवार से उसका सर काट दिया।''
(अकबर नामा, अबुल फजल : एलियट और डाउसन, पृष्ठ २१)
इस विजय के तुरन्त बाद अकबर ने काफिरों के कटे हुए सिरों से एक ऊँची मीनार बनवायी।
२ सितम्बर १५७३ को भी अकबर ने अहमदाबाद में २००० दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊँची सिरों की मीनार बनवायी और अपने दादा बाबर का रिकार्ड तोड़ दिया। (मेरे पिछले लेखों में पढ़िए) यानी घर का रिकार्ड घर में ही रहा।
Virendra Kumar Dwivedi's photo. अकबरनामा के अनुसार ३ मार्च १५७५ को अकबर ने बंगाल विजय के दौरान इतने सैनिकों और नागरिकों की हत्या करवायी कि उससे कटे सिरों की आठ मीनारें बनायी गयीं। यह फिर से एक नया रिकार्ड था। जब वहाँ के हारे हुए शासक दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में भरकर पानी पीने के लिए दिया गया।
अकबर की चित्तौड़ विजय के विषय में अबुल फजल ने
लिखा था- ''अकबर के आदेशानुसार प्रथम ८०००
राजपूत योद्धाओं को बंदी बना लिया गया, और बाद में उनका वध कर दिया गया। उनके साथ-साथ विजय के बाद प्रात:काल से दोपहर तक अन्य ४०००० किसानों का भी वध कर दिया गया जिनमें ३००० बच्चे और बूढ़े थे।''
(अकबरनामा, अबुल फजल, अनुवाद एच. बैबरिज)
चित्तौड़ की पराजय के बाद महारानी जयमाल मेतावाड़िया समेत १२००० क्षत्राणियों ने मुगलों के हरम में जाने की अपेक्षा जौहर की अग्नि में स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। जरा कल्पना कीजिए विशाल गड्ढों में धधकती आग और दिल दहला देने वाली चीखों-पुकार के बीच उसमें कूदती १२००० महिलाएँ ।
अपने हरम को सम्पन्न करने के लिए अकबर ने अनेकों हिन्दू राजकुमारियों के साथ जबरनठ शादियाँ की थी परन्तु कभी भी, किसी मुगल महिला को हिन्दू से शादी नहीं करने दी। केवल अकबर के शासनकाल में 38 राजपूत राजकुमारियाँ शाही खानदान में ब्याही जा चुकी थीं। १२ अकबर को, १७ शाहजादा सलीम को, छः दानियाल को, २ मुराद को और १ सलीम के पुत्र खुसरो को।
अकबर की गंदी नजर गौंडवाना की विधवा रानी दुर्गावती पर थी
''सन् १५६४ में अकबर ने अपनी हवस की शांति के लिए रानी दुर्गावती पर आक्रमण कर दिया किन्तु एक वीरतापूर्ण संघर्ष के बाद अपनी हार निश्चित देखकर रानी ने अपनी ही छाती में छुरा घोंपकर आत्म हत्या कर ली। किन्तु उसकी बहिन और पुत्रवधू को को बन्दी बना लिया गया। और अकबर ने उसे अपने हरम में ले लिया। उस समय अकबर की उम्र २२ वर्ष और रानी दुर्गावती की ४० वर्ष थी।''
(आर. सी. मजूमदार, दी मुगल ऐम्पायर, खण्ड VII)
सन् 1561 में आमेर के राजा भारमल और उनके ३ राजकुमारों को यातना दे कर उनकी पुत्री को साम्बर से अपहरण कर अपने हरम में आने को मज़बूर किया।
औरतों का झूठा सम्मान करने वाले अकबर ने सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिए न जाने कितनी मुस्लिम औरतों की भी अस्मत लूटी थी। इसमें मुस्लिम नारी चाँद बीबी का नाम भी है।
अकबर ने अपनी सगी बेटी आराम बेगम की पूरी जिंदगी शादी नहीं की और अंत में उस की मौत अविवाहित ही जहाँगीर के शासन काल में हुई।
सबसे मनगढ़ंत किस्सा कि अकबर ने दया करके सतीप्रथा पर रोक लगाई; जबकि इसके पीछे उसका मुख्य मकसद केवल यही था की राजवंशीय हिन्दू नारियों के पतियों को मरवाकर एवं उनको सती होने से रोककर अपने हरम में डालकर एेय्याशी करना।
राजकुमार जयमल की हत्या के पश्चात अपनी अस्मत बचाने को घोड़े पर सवार होकर सती होने जा रही उसकी पत्नी को अकबर ने रास्ते में ही पकड़ लिया।
शमशान घाट जा रहे उसके सारे सम्बन्धियों को वहीं से कारागार में सड़ने के लिए भेज दिया और राजकुमारी को अपने हरम में ठूंस दिया ।
Virendra Kumar Dwivedi's photo. इसी तरह पन्ना के राजकुमार को मारकर उसकी विधवा पत्नी का अपहरण कर अकबर ने अपने हरम में ले लिया।
अकबर औरतों के लिबास में मीना बाज़ार जाता था जो हर नये साल की पहली शाम को लगता था। अकबर अपने दरबारियों को अपनी स्त्रियों को वहाँ सज-धज कर भेजने का आदेश देता था। मीना बाज़ार में जो औरत अकबर को पसंद आ जाती, उसके महान फौजी उस औरत को उठा ले जाते और कामी अकबर की अय्याशी के लिए हरम में पटक देते। अकबर महान उन्हें एक रात से लेकर एक महीने तक अपनी हरम में खिदमत का मौका देते थे। जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम
की औरतें जानवरों की तरह महल में बंद कर दी जाती थीं।
अकबर ने अपनी अय्याशी के लिए इस्लाम का भी दुरुपयोग किया था। चूँकि सुन्नी फिरके के अनुसार एक मुस्लिम एक साथ चार से अधिक औरतें नहीं रख सकता और जब अकबर उस से अधिक औरतें रखने लगा तो काजी ने उसे रोकने की कोशिश की। इस से नाराज होकर अकबर ने उस सुन्नी काजी को हटा कर शिया काजी को रख लिया क्योंकि शिया फिरके में असीमित और अस्थायी शादियों की इजाजत है , ऐसी शादियों को अरबी में "मुतअ" कहा जाता है।
अबुल फज़ल ने अकबर के हरम को इस तरह वर्णित किया है-
“अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं और ये पांच हजार औरतें उसकी ३६ पत्नियों से अलग थीं। शहंशाह के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था। वहाँ इतनी वेश्याएं इकट्ठी हो गयीं कि उनकी गिनती करनी भी मुश्किल हो गयी। अगर कोई दरबारी किसी नयी लड़की को घर ले जाना चाहे तो उसको अकबर से आज्ञा लेनी पड़ती थी। कई बार सुन्दर लड़कियों को ले जाने के लिए लोगों में झगड़ा भी हो जाता था। एक बार अकबर ने खुद कुछ वेश्याओं को बुलाया और उनसे पूछा कि उनसे सबसे पहले भोग किसने किया”।
बैरम खान जो अकबर के पिता जैसा और संरक्षक था,
उसकी हत्या करके इसने उसकी पत्नी अर्थात अपनी माता के समान स्त्री से शादी की ।
इस्लामिक शरीयत के अनुसार किसी भी मुस्लिम राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिमों को अपनी संपत्ति और स्त्रियों को छिनने से बचाने के लिए इसकी कीमत देनी पड़ती थी जिसे जजिया कहते थे। कुछ अकबर प्रेमी कहते हैं कि अकबर ने जजिया खत्म कर दिया था। लेकिन इस बात का इतिहास में एक जगह भी उल्लेख नहीं! केवल इतना है कि यह जजिया रणथम्भौर के लिए माफ करने की शर्त रखी गयी थी।
रणथम्भौर की सन्धि में बूंदी के सरदार को शाही हरम में औरतें भेजने की "रीति" से मुक्ति देने की बात लिखी गई थी। जिससे बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि अकबर ने युद्ध में हारे हुए हिन्दू सरदारों के परिवार की सर्वाधिक सुन्दर महिला को मांग लेने की एक परिपाटी बना रखी थीं और केवल बूंदी ही इस क्रूर रीति से बच पाया था।
यही कारण था की इन मुस्लिम सुल्तानों के काल में हिन्दू स्त्रियों के जौहर की आग में जलने की हजारों घटनाएँ हुईं
जवाहर लाल नेहरु ने अपनी पुस्तक ''डिस्कवरी ऑफ इण्डिया'' में अकबर को 'महान' कहकर उसकी प्रशंसा की है। हमारे कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने भी अकबर को एक परोपकारी उदार, दयालु और धर्मनिरपेक्ष शासक बताया है।
अकबर के दादा बाबर का वंश तैमूरलंग से था और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। इस प्रकार अकबर की नसों में एशिया की दो प्रसिद्ध आतंकी और खूनी जातियों, तुर्क और मंगोल के रक्त का सम्मिश्रण था। जिसके खानदान के सारे पूर्वज दुनिया के सबसे बड़े जल्लाद थे और अकबर के बाद भी जहाँगीर और औरंगजेब दुनिया के सबसे बड़े दरिन्दे थे तो ये बीच में महानता की पैदाईश कैसे हो गयी।
अकबर के जीवन पर शोध करने वाले इतिहासकार विंसेट स्मिथ ने साफ़ लिखा है की अकबर एक दुष्कर्मी, घृणित एवं नृशंश हत्याकांड करने वाला क्रूर शाशक था।
विन्सेंट स्मिथ ने किताब ही यहाँ से शुरू की है कि “अकबर भारत में एक विदेशी था. उसकी नसों में एक बूँद खून भी भारतीय नहीं था । अकबर मुग़ल से ज्यादा एक तुर्क था”।
चित्तौड़ की विजय के बाद अकबर ने कुछ फतहनामें प्रसारित करवाये थे। जिससे हिन्दुओं के प्रति उसकी गहन आन्तरिक घृणा प्रकाशित हो गई थी।
उनमें से एक फतहनामा पढ़िये-
''अल्लाह की खयाति बढ़े इसके लिए हमारे कर्तव्य परायण मुजाहिदीनों ने अपवित्र काफिरों को अपनी बिजली की तरह चमकीली कड़कड़ाती तलवारों द्वारा वध कर दिया। ''हमने अपना बहुमूल्य समय और अपनी शक्ति घिज़ा (जिहाद) में ही लगा दिया है और अल्लाह के सहयोग से काफिरों के अधीन बस्तियों, किलों, शहरों को विजय कर अपने अधीन कर लिया है, कृपालु अल्लाह उन्हें त्याग दे और उन सभी का विनाश कर दे। हमने पूजा स्थलों उसकी मूर्तियों को और काफिरों के अन्य स्थानों का विध्वंस कर दिया है।"
(फतहनामा-ई-चित्तौड़ मार्च १५८६,नई दिल्ली)
महाराणा प्रताप के विरुद्ध अकबर के अभियानों के लिए
सबसे बड़ा प्रेरक तत्व था इस्लामी जिहाद की भावना जो उसके अन्दर कूट-कूटकर भरी हुई थी।
अकबर के एक दरबारी इमाम अब्दुल कादिर बदाउनी ने अपने इतिहास अभिलेख, 'मुन्तखाव-उत-तवारीख' में लिखा था कि १५७६ में जब शाही फौजें राणाप्रताप के खिलाफ युद्ध के लिए अग्रसर हो रहीं थीं तो मैनें (बदाउनीने) ''युद्ध अभियान में शामिल होकर हिन्दुओं के रक्त से अपनी इस्लामी दाढ़ी को भिगोंकर शाहंशाह से भेंट की अनुमति के लिए प्रार्थना की।''मेरे व्यक्तित्व और जिहाद के प्रति मेरी निष्ठा भावना से अकबर इतना प्रसन्न हुआ कि उन्होनें प्रसन्न होकर मुझे मुठ्ठी भर सोने की मुहरें दे डालीं।" (मुन्तखाब-उत-तवारीख : अब्दुल कादिर बदाउनी, खण्ड II, पृष्ठ ३८३,अनुवाद वी. स्मिथ, अकबर दी ग्रेट मुगल, पृष्ठ १०८)
बदाउनी ने हल्दी घाटी के युद्ध में एक मनोरंजक घटना के बारे में लिखा था-
''हल्दी घाटी में जब युद्ध चल रहा था और अकबर की सेना से जुड़े राजपूत, और राणा प्रताप की सेना के राजपूत जब परस्पर युद्धरत थे और उनमें कौन किस ओर है, भेद कर पाना असम्भव हो रहा था, तब मैनें शाही फौज के अपने सेना नायक से पूछा कि वह किस पर गोली चलाये ताकि शत्रु ही मरे।
तब कमाण्डर आसफ खाँ ने उत्तर दिया कि यह जरूरी नहीं कि गोली किसको लगती है क्योंकि दोनों ओर से युद्ध करने वाले काफिर हैं, गोली जिसे भी लगेगी काफिर ही मरेगा, जिससे लाभ इस्लाम को ही होगा।''
(मुन्तखान-उत-तवारीख : अब्दुल कादिर बदाउनी,
खण्ड II,अनु अकबर दी ग्रेट मुगल : वी. स्मिथ पुनः मुद्रित १९६२; हिस्ट्री एण्ड कल्चर ऑफ दी इण्डियन पीपुल, दी मुगल ऐम्पायर :आर. सी. मजूमदार, खण्ड VII, पृष्ठ १३२ तृतीय संस्करण)
जहाँगीर ने, अपनी जीवनी, ''तारीख-ई-सलीमशाही'' में लिखा था कि ' 'अकबर और जहाँगीर के शासन काल में पाँच से छः लाख की संख्या में हिन्दुओं का वध हुआ था।''
(तारीख-ई-सलीम शाही, अनु. प्राइस, पृष्ठ २२५-२६)
जून 1561- एटा जिले के (सकित परंगना) के 8 गावों की हिंदू जनता के विरुद्ध अकबर ने खुद एक आक्रमण का संचालन किया और परोख नाम के गाँव में मकानों में बंद करके १००० से ज़्यादा हिंदुओं को जिंदा जलवा दिया था।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार उनके इस्लाम कबूल ना करने के कारण ही अकबर ने क्रुद्ध होकर ऐसा किया।
थानेश्वर में दो संप्रदायों कुरु और पुरी के बीच पूजा की जगह को लेकर विवाद चल रहा था. अकबर ने आदेश
दिया कि दोनों आपस में लड़ें और जीतने वाला जगह पर कब्ज़ा कर ले। उन मूर्ख लोगों ने आपस में ही अस्त्र शस्त्रों से लड़ाई शुरू कर दी। जब पुरी पक्ष जीतने लगा तो अकबर ने अपने सैनिकों को कुरु पक्ष की तरफ से लड़ने का आदेश दिया. और अंत में इसने दोनों ही तरफ के लोगों को अपने सैनिकों से मरवा डाला और फिर अकबर महान जोर से हंसा।
एक बार अकबर शाम के समय जल्दी सोकर उठ गया तो उसने देखा कि एक नौकर उसके बिस्तर के पास सो रहा है। इससे उसको इतना गुस्सा आया कि नौकर को मीनार से नीचे फिंकवा दिया।
अगस्त १६०० में अकबर की सेना ने असीरगढ़ का किला घेर लिया पर मामला बराबरी का था।विन्सेंट स्मिथ ने लिखा है कि अकबर ने एक अद्भुत तरीका सोचा। उसने किले के राजा मीरां बहादुर को संदेश भेजकर अपने सिर की कसम खाई कि उसे सुरक्षित वापस जाने देगा। जब मीरां शान्ति के नाम पर बाहर आया तो उसे अकबर के सामने सम्मान दिखाने के लिए तीन बार झुकने का आदेश दिया गया क्योंकि अकबर महान को यही पसंद था।
उसको अब पकड़ लिया गया और आज्ञा दी गयी कि अपने सेनापति को कहकर आत्मसमर्पण करवा दे। मीराँ के सेनापति ने इसे मानने से मना कर दिया और अपने लड़के को अकबर के पास यह पूछने भेजा कि उसने अपनी प्रतिज्ञा क्यों तोड़ी? अकबर ने उसके बच्चे से पूछा कि क्या तेरा पिता आत्मसमर्पण के लिए तैयार है? तब बालक ने कहा कि चाहे राजा को मार ही क्यों न डाला जाए उसका पिता समर्पण नहीं करेगा। यह सुनकर अकबर महान ने उस बालक को मार डालने का आदेश दिया। यह घटना अकबर की मृत्यु से पांच साल पहले की ही है।
हिन्दुस्तानी मुसलमानों को यह कह कर बेवकूफ बनाया जाता है कि अकबर ने इस्लाम की अच्छाइयों को पेश किया. असलियत यह है कि कुरआन के खिलाफ जाकर ३६ शादियाँ करना, शराब पीना, नशा करना, दूसरों से अपने आगे सजदा करवाना आदि इस्लाम के लिए हराम है और इसीलिए इसके नाम की मस्जिद भी हराम है।
अकबर स्वयं पैगम्बर बनना चाहता था इसलिए उसने अपना नया धर्म "दीन-ए-इलाही - ﺩﯾﻦ ﺍﻟﻬﯽ " चलाया। जिसका एकमात्र उद्देश्य खुद की बड़ाई करवाना था। यहाँ तक कि मुसलमानों के कलमें में यह शब्द "अकबर खलीफतुल्लाह - ﺍﻛﺒﺮ ﺧﻠﻴﻔﺔ ﺍﻟﻠﻪ " भी जुड़वा दिया था।
उसने लोगों को आदेश दिए कि आपस में अस्सलाम वालैकुम नहीं बल्कि “अल्लाह ओ अकबर” कहकर एक दूसरे का अभिवादन किया जाए। यही नहीं अकबर ने हिन्दुओं को गुमराह करने के लिए एक फर्जी उपनिषद् "अल्लोपनिषद" बनवाया था जिसमें अरबी और संस्कृत मिश्रित भाषा में मुहम्मद को अल्लाह का रसूल और अकबर को खलीफा बताया गया था। इस फर्जी उपनिषद् का उल्लेख महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में किया है।
उसके चाटुकारों ने इस धूर्तता को भी उसकी उदारता की तरह पेश किया। जबकि वास्तविकता ये है कि उस धर्म को मानने वाले अकबरनामा में लिखित कुल १८ लोगों में से केवल एक हिन्दू बीरबल था।
अकबर ने अपने को रूहानी ताकतों से भरपूर साबित करने के लिए कितने ही झूठ बोले। जैसे कि उसके पैरों की धुलाई करने से निकले गंदे पानी में अद्भुत ताकत है जो रोगों का इलाज कर सकता है। अकबर के पैरों का पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगवाई जाती थी। उसके दरबारियों को तो इसलिए अकबर के नापाक पैर का चरणामृत पीना पड़ता था ताकि वह नाराज न हो जाए।
अकबर ने एक आदमी को केवल इसी काम पर रखा था कि वह उनको जहर दे सके जो लोग उसे पसंद नहीं।
अकबर महान ने न केवल कम भरोसेमंद लोगों का कतल
कराया बल्कि उनका भी कराया जो उसके भरोसे के आदमी थे जैसे- बैरम खान (अकबर का गुरु जिसे मारकर अकबर ने उसकी बीवी से निकाह कर लिया), जमन, असफ खान (इसका वित्त मंत्री), शाह मंसूर, मानसिंह, कामरान का बेटा, शेख अब्दुरनबी, मुइजुल मुल्क, हाजी इब्राहिम और बाकी सब जो इसे नापसंद थे। पूरी सूची स्मिथ की किताब में दी हुई है।
अकबर के चाटुकारों ने राजा विक्रमादित्य के दरबार की कहानियों के आधार पर उसके दरबार और नौ रत्नों की कहानी गढ़ी। पर असलियत यह है कि अकबर अपने
सब दरबारियों को मूर्ख समझता था। उसने स्वयं कहा था कि वह अल्लाह का शुक्रगुजार है कि उसको योग्य दरबारी नहीं मिले वरना लोग सोचते कि अकबर का राज उसके दरबारी चलाते हैं वह खुद नहीं।
अकबरनामा के एक उल्लेख से स्पष्ट हो जाता है कि उसके हिन्दू दरबारियों का प्रायः अपमान हुआ करता था। ग्वालियर में जन्में संगीत सम्राट रामतनु पाण्डेय उर्फ तानसेन की तारीफ करते-करते मुस्लिम दरबारी उसके मुँह में चबाया हुआ पान ठूँस देते थे। भगवन्त दास और दसवंत ने सम्भवत: इसी लिए आत्महत्या कर ली थी।
प्रसिद्ध नवरत्न टोडरमल अकबर की लूट का हिसाब करता था। इसका काम था जजिया न देने वालों की औरतों को हरम का रास्ता दिखाना। वफादार होने के बावजूद अकबर ने एक दिन क्रुद्ध होकर उसकी पूजा की मूर्तियाँ तुड़वा दी।
जिन्दगी भर अकबर की गुलामी करने के बाद टोडरमल ने अपने जीवन के आखिरी समय में अपनी गलती मान कर दरबार से इस्तीफा दे दिया और अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए प्राण त्यागने की इच्छा से वाराणसी होते हुए हरिद्वार चला गया और वहीं मरा।
लेखक और नवरत्न अबुल फजल को स्मिथ ने अकबर का अव्वल दर्जे का निर्लज्ज चाटुकार बताया। बाद में जहाँगीर ने इसे मार डाला।
फैजी नामक रत्न असल में एक साधारण सा कवि था जिसकी कलम अपने शहंशाह को प्रसन्न करने के लिए ही चलती थी।
बीरबल शर्मनाक तरीके से एक लड़ाई में मारा गया। बीरबल अकबर के किस्से असल में मन बहलाव की बातें हैं जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं। ध्यान रहे
कि ऐसी कहानियाँ दक्षिण भारत में तेनालीराम के नाम से
भी प्रचलित हैं।
एक और रत्न शाह मंसूर दूसरे रत्न अबुल फजल के हाथों अकबर के आदेश पर मार डाला गया ।
मान सिंह जो देश में पैदा हुआ सबसे नीच गद्दार था, ने अपनी बेटी तो अकबर को दी ही जागीर के लालच में कई और राजपूत राजकुमारियों को तुर्क हरम में पहुँचाया। बाद में जहांगीर ने इसी मान सिंह की पोती को भी अपने हरम में खींच लिया।
मानसिंह ने पूरे राजपूताने के गौरव को कलंकित किया था। यहाँ तक कि उसे अपना आवास आगरा में बनाना पड़ा क्योंकि वो राजस्थान में मुँह दिखाने के लायक नहीं था। यही मानसिंह जब संत तुलसीदास से मिलने गया तो अकबर ने इस पर गद्दारी का संदेह कर दूध में जहर देकर मरवा डाला और इसके पिता भगवान दास ने लज्जित होकर आत्महत्या कर ली।
इन नवरत्नों को अपनी बीवियां, लडकियां, बहनें तो अकबर की खिदमत में भेजनी पड़ती ही थीं ताकि बादशाह सलामत उनको भी सलामत रखें, और साथ ही अकबर महान के पैरों पर डाला गया पानी भी इनको पीना पड़ता था जैसा कि ऊपर बताया गया है। अकबर शराब और अफीम का इतना शौक़ीन था, कि अधिकतर समय नशे में धुत रहता था।
अकबर के दो बच्चे नशाखोरी की आदत के चलते अल्लाह को प्यारे हो गये।
हमारे फिल्मकार अकबर को सुन्दर और रोबीला दिखाने के लिए रितिक रोशन जैसे अभिनेताओं को फिल्मों में पेश करते हैं परन्तु विन्सेंट स्मिथ अकबर के बारे में लिखते हैं-
“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था। उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था। उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था। उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी। उसके नाक के नथुने ऐसे दिखते थे जैसे वो गुस्से में हो। आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था।
अकबर का दरबारी लिखता है कि अकबर ने इतनी ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी कि वह मेहमानों से बात
करता करता भी नींद में गिर पड़ता था। वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था और पागलों जैसी हरकतें करने लगता।
अकबर महान के खुद के पुत्र जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना पढ़ना नहीं जानता था पर यह दिखाता था कि वह बड़ा भारी विद्वान है।
अकबर ने एक ईसाई पुजारी को एक रूसी गुलाम का पूरा परिवार भेंट में दिया। इससे पता चलता है कि अकबर गुलाम रखता था और उन्हें वस्तु की तरह भेंट में दिया और लिया करता था।
कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम बनाया क्योंकि उन्होंने १५८१-८२ में इसकी किसी नीति का विरोध किया था। बाद में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए ।
अकबर बहुत नए तरीकों से गुलाम बनाता था। उसके आदमी किसी भी घोड़े के सिर पर एक फूल रख देते थे। फिर बादशाह की आज्ञा से उस घोड़े के मालिक के सामने दो विकल्प रखे जाते थे, या तो वह अपने घोड़े को भूल जाये, या अकबर की वित्तीय गुलामी क़ुबूल करे।
जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरे के किले में थीं। इसी तरह के और
खजाने छह और जगह पर भी थे। इसके बावजूद भी उसने १५९५-१५९९ की भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया।
अकबर के सभी धर्म के सम्मान करने का सबसे बड़ा सबूत-
अकबर ने गंगा,यमुना,सरस्वती के संगम का तीर्थनगर "प्रयागराज" जो एक काफिर नाम था को बदलकर इलाहाबाद रख दिया था। वहाँ गंगा के तटों पर रहने वाली सारी आबादी का क़त्ल करवा दिया और सब इमारतें गिरा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो वहाँ की हिन्दू जनता ने उसका इस्तकबाल नहीं किया। यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारत नहीं है। अकबर ने हिन्दू राजाओं द्वारा निर्मित संगम प्रयाग के किनारे के सारे घाट तुड़वा डाले थे। आज भी वो सारे साक्ष्य वहाँ मौजूद हैं।
२८ फरवरी १५८० को गोवा से एक पुर्तगाली मिशन अकबर के पास पंहुचा और उसे बाइबल भेंट की जिसे इसने बिना खोले ही वापस कर दिया।
4 अगस्त १५८२ को इस्लाम को अस्वीकार करने के कारण सूरत के २ ईसाई युवकों को अकबर ने अपने हाथों से क़त्ल किया था जबकि इसाईयों ने इन दोनों युवकों को छोड़ने के लिए १००० सोने के सिक्कों का सौदा किया था। लेकिन उसने क़त्ल ज्यादा सही समझा । सन् 1582 में बीस मासूम बच्चों पर भाषा परीक्षण किया और ऐसे घर में रखा जहाँ किसी भी प्रकार की आवाज़ न जाए और उन मासूम बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी वो गूंगे होकर मर गये । यही परीक्षण दोबारा 1589 में बारह बच्चों पर किया ।
सन् 1567 में नगर कोट को जीत कर कांगड़ा देवी मंदिर की मूर्ति को खण्डित की और लूट लिया फिर गायों की हत्या कर के गौ रक्त को जूतों में भरकर मंदिर की प्राचीरों पर छाप लगाई ।
जैन संत हरिविजय के समय सन् 1583-85 को जजिया कर और गौ हत्या पर पाबंदी लगाने की झूठी घोषणा की जिस पर कभी अमल नहीं हुआ।
एक अंग्रेज रूडोल्फ ने अकबर की घोर निंदा की।
कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ डाली और उस स्थान पर नमाज पढ़ी।
1587 में जनता का धन लूटने और अपने खिलाफ हो रहे विरोधों को ख़त्म करने के लिए अकबर ने एक आदेश पारित किया कि जो भी उससे मिलना चाहेगा उसको अपनी उम्र के बराबर मुद्राएँ उसको भेंट में देनी पड़ेगी।
जीवन भर इससे युद्ध करने वाले महान महाराणा प्रताप जी से अंत में इसने खुद ही हार मान ली थी यही कारण है कि अकबर के बार बार निवेदन करने पर भी जीवन भर जहाँगीर केवल ये बहाना करके महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह से युद्ध करने नहीं गया की उसके पास हथियारों और सैनिकों की कमी है..जबकि असलियत ये थी की उसको अपने बाप का बुरा हश्र याद था।
विन्सेंट स्मिथ के अनुसार अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया। हमजबान की जबान ही कटवा डाली। मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं। उसके 300 साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरों पर अजीबोगरीब तरीकों से गधों, भेड़ों और कुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया।
मुग़ल आक्रमणकारी थे यह सिद्ध हो चुका है। मुगल दरबार तुर्क एवं ईरानी शक्ल ले चुका था। कभी भारतीय न बन सका। भारतीय राजाओं ने लगातार संघर्ष कर मुगल साम्राज्य को कभी स्थिर नहीं होने दिया।

Monday, April 27, 2015

Dara Shikoh and Sirr-e-akbar -Original Islamic influence of Hinduism

Dara Shikoh was eldest son pf Islamic ruler King Shah Jehan ,who happens to translate UPNISHAD of Indian Vedas and basically telling that Islam book, that is called Hidden book is basically Quran.
“After gradual research; I have come to the conclusion that long before all heavenly books, God had revealed to the Hindus, through the Rishis of yore, of whom Brahma was the Chief, His four books of knowledge, the Rig Veda, the Yajur Veda, the Sama Veda and the Atharva Veda.”
He had learned Sanskrit and studied the Hindu scriptures in the original.
He translated the Upanishads, Bhagavad Gita and Yoga-Vasishta into Persian directly from Sanskrit and called it Sirr-e-Akbar (The Great Mystery). Titled “The Upanishads: God’s Most Perfect Revelation” and then into Latin by Anquetil Duperron (1801 and 1802) under the title Oupnekhat, contained about fifty. The Quran itself, he said, made veiled references to the Upanishads as the “first heavenly book and the fountainhead of the ocean of monotheism.”
In his Majma-al-Bahrain, he sought to reconcile the Sufi theory with the Vedanta.
He was able to affirm that Sufism and Advaita Vedantism (Hinduism) are essentially the same, with a surface difference of terminology.
Sirr-i-Akbar by Dara,Image.jpgAnd in introduction to this work he says that one finds in Upanishads the concept of tawhid (the doctrine of Unity of God, the most fundamental doctrine of Islam) after the Qur’an and perhaps the Qur’an refers to Upanishad when it refers to Kitab al-Maknun (The Hidden Book). His work Majma-al-Bahrain (Mingling of the Two Oceans i.e. Hinduism and Islam) is very seminal work in the history of composite culture of India.
Two years after the completion of the Sirr-i-Akbar, Dara was executed on the orders of his younger brother Aurangzeb, most cruel Muslim king of that time with help of all who wanted to hide facts from fiction created by Mohammed.

Other source-
Dara Shukoh-download
Sirr-e-Akbar English Translation Download.
Citation.
http://www.veda.harekrsna.cz/connections/Islam.php
http://en.wikipedia.org/wiki/Dara_Shikoh
http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-features/tp-sundaymagazine/forgotten-link/article1437587.ece

Thursday, February 12, 2015

Sufism is no less than wahabi islam,just a PIG WITH LIPSTICK .

Emperor Aurangzeb
Emperor Aurangzeb
Although Sufism faction of Islam is considered more tolerant with some stolen ideas and philosophy from many old books of Zoostronism, Zoonism, Judaism, Hindusim, it's object  remained same- CONVERSION. Although people of sufism has produced real tolerant kind of islam like Bulle Shah but he was put to rest by real Saudi Wahabi islamist. It is nonetheless better and tolerant to other religions.Sufis could be as fanatic as any mullah or army on the march of jihad. The history of Islam in South Asia demonstrates this very clearly. Like David Livingstone was to do in Africa these missionaries for the one true jealous male demiurge called ‘God’, acted as sappers and miners for the colonialism which was devastating ancient civilisations without mercy.
Now ,have a look at Sufism ~12 th century.
Muin-ud-din, who started Chisti sect of sufism,  came from Saudi Arab in 12 th century and Rajput King  Prithviraj Chauhan was gracious enough to let him be in Ajmer,but he started converting Hindus to islam.Many Hindus started acting as as his agents. He then made special demands from Prithvi Raj Chauhan TO LET HIM SLAUGHTER COWS, WHICH WAS AUSPICIOUS TO HINDUS,and when they were ignored he immediately invited Muhammad Ghuri to invade and despoil the land in the name of Islam. Literature on the true fanatic nature of Sufis such as that of the Chisti order abound. Sculpted stones, apparently from a Hindu temple, are incorporated in the Buland Darwãza of Muin-ud-din’s shrine and his tomb is built over a series of cellars formed part of an earlier temple. A tradition, first recorded in the ‘Anis al-Arwãh, suggests that the Sandal Khãna is built on the site of Shãdî Dev’s temple. Four Islamic mystics namely Moinuddin (d. 1233 in Ajmer ), Qutubuddin (d. 1236 in Delhi ), Nizamuddin (d.1335 in Delhi ) and Fariduddin (d.1265 in Pattan now in Pakistan ) accompanied the Islamic invaders in India . All of them were from the Chistiya order of Islamic mysticism.
Although Amir Khusru is considered one of among Chisti sufi saint,Yet in his own words he glorified how Islamic hordes had despoiled India , sacking the infidel Hindu shrines for the glory of the true faith, saturated the land with the blood of idol-worshippers, and jizya imposed. Khusro lamented that the sultans had adopted the Hanafi code because it allowed them to categorise Hindus as dhimmis; which meant a third-class existence as opposed to outright extermination. Amir Khusro, full name Muhammad Hassan Yaminuddin (1253-1325) said to be a great human being because, he was the father of Qawwali, and he is even said to have invented tabla, he loved India, and of course was tolerant.
Another The Sufi preacher Sayyid Ali Hamdani came from Hamdan in fourteenth century to Kashmir to convert and stop Hindus building temples and restrict their religious practices as they were forced into dhimmi status, including payment of jizya.
All Sufis supported the oppression and forcible conversion of Hindus to Islam, accepted gifts of adolescent boys and young women to their khanqahs and dargahs AS SEX SLAVES.
Dara Shikoh, eldest son of Shah Jahan and rightful heir to the Mughal throne was  exception amongst sufis who translating the Upanishads into Persian. He was killed by his younger brother Aurangzeb who was himself a Sufi, a follower of the Naqshbandi-Mujaddidi method and disciple of Khwaja Muhammad Masoom, the third son and successor of the founder of Mujaddidi order Shaykh Ahmad Sirhindi. That shaykh sent his fifth son, Khwaja Saif ad-Din Sirhindi, to instruct Aurangzeb in the strict application of sharia law such as banning musical instruments.
When it comes to conversion, Sheria law,destruction of temples-Sufi is same as other islamic cult following Quran , a book of satanic cult order.
Aurangzeb or Alamgir is notorious in history as the Mughal who tried to annihilate Hinduism completely, destroying temples and suppressing religious practices. Guru Tegh Bahadur and his two close companions Bhai Matti Das and Bhai Fateh Das were executed for refusing to convert to Islam.
Modified from From Chakranews