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Saturday, October 3, 2015

शास्त्री की 'मौत' पर गहराती हैं शक,Lal Bahadur Shastri, earlier PM of India was ? murdered by Gandhi?

ये आठ वजहें शास्त्री की 'मौत' पर गहराती हैं शक
के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी के नजदीक मुगलसराय में हुआ था। शास्त्री के 110वीं जयंती पर देश की जनता एक बार फिर उनको याद कर रही है। उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचय तो हम 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में देख ही चुके हैं।
हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी खुफिया फाइलें सार्वजनिक किए जाने के बाद यह उम्मीद किया जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री से जुड़े दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया जाएगा। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे अनिल शास्त्री अपने पिता की मौत से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक किए जाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह कर चुके हैं।
हाल के दिनों में कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने शास्त्री की मौत से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी मांगी लेकिन उन सबको अलग-अलग जवाब दिया गया। जिससे उनकी मौत से जुड़े राज और गहराते जाते हैं। इनमें लेखक अनुज धर और कुलदीप नायर के आरटीआई का मिला जवाब शामिल है। गौरतलब है कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 1966 में रूस के ताशकंद में हुए एक समझौते के दौरान दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हो गई थी। कुछ लोग तो उनकी मौत को एक राजनीतिक साजिश मानते थे। शास्त्री जी के जन्मदिन के अवसर पर आइए हम उन संभावित 8 षड़यंत्रों को जानने की कोशिश करते हैं जो उनकी मौत से जुड़े हुए हैं। शास्त्री जी के मौत के राज पर से पर्दा उठाने के लिए बनाए गए जांच समिति की रिपोर्ट संसद के लाइब्रेरी में नहीं है। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर वह रिपोर्ट कहां गई। क्या उसे गायब कर दिया गया या फिर नष्ट कर दिया गया? उनके व्यक्तिगत डॉक्टर आरएन छुग के मुताबिक वह पूरी तरह से स्वस्थ थे और उन्हें पहले कभी दिल से संबंधित कोई बीमारी नहीं हुई। उन्होंने पोस्ट मॉर्टम नहीं कराने की बात पर सवाल खड़े किए और इस बात की भी आशंका जताई की उनके शरीर पर जो निशान बने हैं वह जहर की वजह से भी हो सकते हैं। रूस के ताशकंद में शास्त्री जी की मौत के बाद उनका पोस्ट मॉर्टम नहीं कराया गया। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री के मुताबिक उनके शरीर नीला पड़ गया था बावजूद इसके किसी ने (रूस और भारत) पोस्ट मॉर्टम कराने की जरुरत नहीं समझी। आखिर ऐसा क्यों?
जिस रात शास्त्री जी की मौत हुई उसके दो गवाह थे। पहला डॉ. आरएन छुग और दूसरा उनका नौकर राम नाथ। 1977 में संसदीय दल के सामने दोनों को तलब किया गया लेकिन वहां जाते वक्त अचानक एक ट्रक ने उन्हें धक्का मार दिया जिससे उनकी मौत हो गई।
वहीं दूसरे गवाह राम नाथ के बारे में शास्त्री जी के परिवार वालों ने बताया जाता है कि संसदीय दल के के सामने पेश होने से पहले वह उनके घर आया था और 'सब कुछ बता देने की बात कही थी।' लेकिन उसी दिन उन्हें एक कार ने कुचल दिया जिससे उनके दोनों पैरों को काटना पड़ा और उनकी याददाश्त भी चली गई।
एक सवाल यह भी उठता है कि जिस रूसी नौकर ने लाल बहादूर शास्त्री को खाना परोसा था आखिर उसे गिरफ्तार करने के बाद भी क्यों छोड़ दिया गया। शास्त्री जी की मौत जहर देने से हुई थी इस अफवाह के बाद तो उससे कड़ी पूछताछ होनी चाहिए थी लेकिन उसे यह कहते हुए छोड़ दिया गया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी।
वहीं एक सीआईए एजेंट ने इस बात का खुलासा किया था कि लाल बहादुर शास्त्री और डॉ होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे सीआईए का ही हाथ है। उन्होंने यह बयान पत्रकार ग्रेगरी डगलस के साथ हुए एक इंटरव्यू में दिया था।
शास्त्री जी के मौत के जांच की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को दे दी गई। जिस पर उनके बेटे ने सवाल उठाते हुए कहा था कि यह एकदम बचकानी हरकत है। एक प्रधानमंत्री के मौत की जांच राज्य पुलिस कैसे कर सकती है? जबकि देश में दूसरी बड़ी जांच एजेंसियां मौजूद थीं।

Friday, May 2, 2014

INDIRA GANDHI was a muslim converted for marriage --इंदिरा गाँधी या मैमुना बेगम

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सोनिया गांधी के द्वारा 34 बर्ष पहले किये गए एक फर्जीवाड़े का सबूत ....!!!भारत की नागरिकता लिये बिना दिल्ली की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया था सोनिया ने ...आजकल सोनिया के बेटे राहुल के शैक्षिक प्रमाणपत्रो में फर्जीवाड़े का मसला चर्चा में है .. पहले के समय में इस खानदान द्वारा किये गए फर्जीवाड़े की एक लंबी श्रंखला रही है .. मारुति उद्योग में सोनिया की हिस्सेदारी .. भारतीय जीवन बीमा निगम की एजेंसी .. आदि बहुत से बिषय पुराने समय में चर्चा में रहे ..ऐसा माना जाता है की इन सब कामो के दौरान सोनिया ने भारत की नागरिक नहीं थी ..खैर एक बिषय की चर्चा .. वर्ष 1980 में सोनिया भारत की नागरिक नहीं थी लेकिन उन्होंने दिल्ली की मतदाता सूची में फर्जी तरीके से अपना नाम दर्ज करा रक्खा था लगभग तीन वर्ष तक सोनिया का नाम भारत की मतदाता सूची में गैरकानूनी तौर से दर्ज रहा था ..उसके बाद जब मीडिया की नजर में ये मसला आया तो सोनिया का नाम दिल्ली की मतदाता सूची से हटाया गया था .....अब आप सोचिये की बड़ी बड़ी बाते करने बाले इस संदेहास्पद खानदान के बारे में आपकी क्या राय है ....!!!.......

प्लीज दोस्तों इस शेयर करेइंदिरा गाँधी या मैमुना बेगम
इस नालायक सरकार ने इंदिरा गाँधी को एक बहुत ही जिम्मेदार ,
ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं , चलिए इसकी कुछ
कडवी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाती हूँ !!!
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर
पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में
भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन
के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन
विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ
टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया. शान्तिनिकेतन से
बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में
पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में
मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के
व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे
मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और
इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन
राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के
साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और
इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म
का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में
फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने
नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से
काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी.
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के
प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने
युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उप नाम खान से गांधी कर लो.
परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना -
देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक
मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह
बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत
की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे,
एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित
किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम
गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट
अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनीअसली पहचान छुपाने के
लिए नाम बदले. .. कैथरीन
फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN:
9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर
प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन
में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के
सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह
(विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.पूर्व
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में
एक दिलचस्परहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and
letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है
कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में
अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवरसिंह एक
आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के
कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर
जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,इंदिरा गांधी बाबर
की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस
यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. अफगान
सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर
इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह
एक सुनसान जगहथी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद
करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने
उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज
मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our
brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे की बाबर मुग़ल
साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य
से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे में है की नेहरु
एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य है..... इस तरह इन
नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में
तब्दील हो गया हैं , जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओ ने
माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया हैं ,,यह मेरा एक प्रयास हैं
आज ,,कि आज इस सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही मगर हकीकत
से रूबरू करवा सकू !!! ,,,बाकी देश के प्रति यदि आपकी भी कुछ
जिम्मेदारी बनती हो , तो अबआप लोग '' निःशब्द '' ना बनियेगा ,, इसे
फैला दीजिए हर घर में !!!! वन्देमातरम..

इंदिरा गाँधी या मैमुना -
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर
पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में
भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन
के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन
विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ
टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया. शान्तिनिकेतन से
बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में
पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में
थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे
मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और
इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन
राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के
साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और
इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म
का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में
फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने
नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से
काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी.
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के
प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने
युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उप नाम खान से गांधी कर लो.
परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना -
देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक
मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह
बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत
की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे,
एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित
किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम
गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट
अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनीअसली पहचान छुपाने के
लिए नाम बदले. .. कैथरीन
फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN:
9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर
प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन
में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के
सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह
(विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.पूर्व
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में
एक दिलचस्परहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and
letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है
कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में
अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवरसिंह एक
आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के
कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर
जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,इंदिरा गांधी बाबर
की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस
यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. अफगान
सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर
इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह
एक सुनसान जगहथी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद
करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने
उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज
मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our
brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे की बाबर मुग़ल
साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य
से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे में है की नेहरु
एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य है..... इस तरह इन
नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में
तब्दील हो गया हैं
 वर्ष 1980 में सोनिया भारत की नागरिक नहीं थी लेकिन उन्होंने दिल्ली की मतदाता सूची में फर्जी तरीके से अपना नाम दर्ज करा रक्खा था लगभग तीन वर्ष तक सोनिया का नाम भारत की मतदाता सूची में गैरकानूनी तौर से दर्ज रहा था ..उसके बाद जब मीडिया की नजर में ये मसला आया तो सोनिया का नाम दिल्ली की मतदाता सूची से हटाया गया था