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Thursday, May 7, 2015

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर

===साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को न्याय कब मिलेगा====
 साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बिना सबूतों के हिन्दू आतंकवादी होने के आरोप में 7 वर्ष से जेल में यातनाए दी जा रही हैं।
 -------------------- परिचय-------------
प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश के कछवाहाघर इलाके में ठाकुर चन्द्रपाल सिंह के घर हुआ था,ये राजावत(कुशवाहा,कछवाहा)राजपूत परिवार में जन्मी थी,इनकी आयु लगभग 38 वर्ष है,बाद में इनके अभिभावक सूरत गुजरात आकर बस गये.
आध्यात्मिक जगत की और लगातार आकर्षित होने के कारण इन्होने भौतिक जगत को अलविदा करने का निश्चय कर लिया और दिनांक 30-01-2007 को संन्यासिन हो गयी.सन्यास ग्रहण करने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की अलख जगानी शुरू कर दी और अपनी ओजस्वी वाणी से शीघ्र ही इनका नाम सारे देश में फ़ैल गया,उस समय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी जिनके इशारे पर पूरी केंद्र सरकार घूमती थी और उनके नेतृत्व की यूपीए सरकार लगातार इस्लामिक आतंकवादियों के प्रति नरम रुख अपनाए हुए थी जिसकी साध्वी प्रज्ञा ने जमकर आलोचना की...... शीघ्र ही ये आलोचना मैडम सोनिया तक पहुँच गयी और तभी से साध्वी को सबक सिखाने की रणनीति बनाई जाने लगी.……साध्वी प्रज्ञा को झूठा फसाया गया-------
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मालेगांव बम विस्फोट मामले में सरकार ने तब गिरफ्तार किया था जब सरकार ने नीति के आधार पर यह निर्णय कर लिया था कि आतंकवादी गतिविधियों में कुछ हिन्दुओं की संलिप्तता दिखाना भी जरुरी है।उस बम ब्लास्ट मे उनकी मोटर साईकल वहां पाई गई थी जबकी वो मोटर साईकिल बहुत पहले ही साध्वी जी द्वारा बेची जा चुकी थी और उसकी आर सी तक उस आदमी के नाम ट्रांसफर करवा चुकी थी
अभी तक आतंकवादी गतिविधियों में जितने लोग पकड़े जा रहे थे वे सब मुस्लिम ही थे। सोनिया कांग्रेस की सरकार को उस वक्त लगता था कि यदि आतंकवादी गतिविधियों से किसी तरह कुछ हिन्दुओं को भी पकड़ लिया जाये तो सरकार मुसलमानों के तुष्टीकरण के माध्यम से उनके वोट बैंक का लाभ उठा सकती है। इस नीति के पीछे ऐसा माना जाता है कि मोटे तौर पर दिग्विजय सिंह का दिमाग काम करता था।
विद्यार्थी परिषद से प्रज्ञा ठाकुर के संबंधों को भगवा बताने में दिग्विजय सिंह जैसे लोगों को कितनी देर लगती। अब प्रश्न केवल इतना ही था कि प्रज्ञा ठाकुर को किस अपराध के अन्तर्गत गिरफ्तार किया जाये?
2006 और 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में बम विस्फोट हुए थे। उनमें शामिल लोग गिरफ्तार भी हो चुके थे। लेकिन जांच एजेंसियों को तो अब सरकार द्वारा कल्पित भगवा आतंकवाद के सिध्दांत को स्थापित करना था, इसलिये कुछ अति उत्साही पुलिस वालों ने प्रज्ञा ठाकुर को भी मालेगांव के बम विस्फोट में ही लपेट दिया और अक्तूबर 2008 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रज्ञा को सामान्य कानूनी सहायता भी न मिल सके इसके लिये उस पर मकोका अधिनियम की विभिन्न धाराएं आरोपित कर दी गई।इस नीच काम में महाराष्ट्र के शरद पवार जैसे नेताओं ने भी अपने विश्वस्त पुलिस अधिकारीयों के माध्यम से सोनिया का भरपूर साथ दिया …

शारीरिक व मानसिक यातनाएं------------
जेल में साध्वी को शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी गई। उनकी केवल पिटाई ही नहीं कि गई बल्कि उन पर फब्तियां कसी गई। उन्हें जबरन अंडा और मांसाहारी भोजन खिलाया गया और पीट पीट कर पोर्न फिल्मे देखने को विवश किया गया,बेहोशी की हालत में इनके कपड़े तक बदले गए,जब साध्वी जी की माता बिमार हुई तो उनको साध्वी जी से मिलने तक नही दिया इन सत्ता धारीयो ने क्यो? क्या संविधान मे ये लिखा हुआ है कि जेल मे रहने वालो को उनकी मरणासन माता पिता से नही मिलने दिए जाना चाहिए?
डराने धमकाने का जो सिलसिला चला, उसको तो भला क्या कहा जाये?
इन अत्याचारों से जेल में ही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कैंसर के रोग ने घेर लिया। प्रज्ञा ठाकुर ने जमानत के लिये एक बार फिर आवेदन दिया। वे बाहर अपना कैंसर का इलाज करवाया चाहती थीं। लेकिन सरकार ने इस बार भी उनकी जमानत का जी जान से विरोध किया। उनकी जमानत नहीं हो सकी। इसे ताज्जुब ही कहना होगा कि जिन राजनैतिक दलों ने जाने-माने आतंकवादी मौलाना मदनी को जेल से छुड़ाने के लिये केरल विधानसभा में बाकायदा एक प्रस्ताव पारित कर अपने पंथ निरपेक्ष होने का राजनैतिक लाभ उठाने का घटिया प्रयास किया वही राजनैतिक दल साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को फांसी पर लटका देने के लिये दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करते हैं।यहाँ तक कि एक बार कोर्ट को भी कहना पड़ा कि क्या सरकार साध्वी को जिन्दा भी देखना चाहती है या नहीं???????????
सोनिया कांग्रेस का षडयंत्र--------
लेकिन एक दिक्कत अभी भी बाकी थी। एक ही अपराध और एक ही घटना। उसके लिये पुलिस ने दो अलग-अलग केस तैयार कर लिये। एक साथ ही दो अलग-अलग समूहों को दोषी ठहरा दिया। पुलिस की इस हरकत से विस्फोट में संलिप्तता का आरोप भुगत रहे तथाकथित आतंकवादियों को बचाव का एक ठेस रास्ता उपलब्ध हो गया। इन विस्फोटों के लिये पकड़े गये मुस्लिम युवकों ने अदालत में जमानत की अर्जी लगा दी।पुलिस की जांच यह कहती है कि इन विस्फोटों के लिये मुसलमान दोषी हैं तो प्रज्ञा ठाकुर को क्यों पकड़ा हुआ है? लेकिन जेल में बन्द मुसलमानों ने तो यही तर्क दिया कि पुलिस ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि मालेगांव विस्फोट के लिये प्रज्ञा और उनके साथी जिम्मेदार हैं, इसलिये उन्हें कम जमानत पर छोड़ दिया जाय।
लेकिन पुलिस तो जानती थी कि प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी तो मात्र सोनिया कांग्रेस के दिग्विजय सिंह बिग्रेड की राजनीतिक पहल रंग भरने के मात्र के लिए उसका माले गांव के विस्फोट से लेना देना नहीं है। इसलिए पुलिस ने इन मुस्लिम आतंकवादियों की जमानत की अर्जी का डट कर विरोध किया। विधि के जानकार लोगों को तभी ज्ञात हो गया था कि सोनिया कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण के अभियान को पूरा करने के लिये साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की बलि चढ़ाई जा रही है।उसका बम विस्फोट से कुछ लेना देना नहीं है।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बिना किसी अपराध के भी जेल में पड़े हुये लगभग छह साल हो गए हैं। प्रश्न है कि बिना मुकदमा चलाये हुये किसी हिन्दू स्त्री को, केवल इसलिये कि मुसलमान खुश हो जायेंगे, भला कितनी देर जेल में बंद रखा जा सकता है? पुलिस अपनी तोता-बिल्ली की कहानी को और कितना लम्बा खींच सकती है? लेकिन ताज्जुब है अब पुलिस ने जब देखा कि प्रज्ञा सिंह के खिलाफ और किसी भी अपराध में कोई सबूत नहीं मिला तो उसने सुनील जोशी की हत्या के मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जोड़ना शुरू कर दिया।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जेल में पड़े हुये छह साल पूरे हो गये हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी उस पर कोई केस नहीं बना सकी। उसके खिलाफ तमाम हथकंडे इस्तेमाल करने के बावजूद कोई प्रमाण नहीं जुटा सकी। एक स्टेज पर तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी को कहना ही पड़ा कि साध्वी के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने के कारण इन पर लगे आरोप निरस्त कर देने चाहिये। यदि सही प्रकार से कहा जाये तो प्रज्ञा ठाकुर का केस अभी प्रारंभ ही नहीं हुआ है। पर सरकार उसकी जमानत की अर्जी का डट कर विरोध करती है।
किस्सा यह है कि जांच एजेंसियों ने उस वक्त सोनिया कांग्रेस को खुश करने के लिये और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए प्रज्ञा सिंह ठाकुर को पकड़ लिया और अपनी कारगुजारी दिखाने के लिये उसके इर्द-गिर्द कपोल कल्पित कथाओं का ताना-बाना भी बुन लिया। पुलिस अपने आप को निर्दोष सिध्द करने के लिये अभी भी प्रज्ञा सिंह के इर्द गिर्द झूठ का ताना-बाना बुनती ही जा रही है। कैंसर की मरीज प्रज्ञा ठाकुर क्या दिग्विजय सिंह,मैडम सोनिया के बुने हुये फरेब के इस जाल से निकल पायेगी या उसी में उलझी रह कर दम तोड़ देगी?
इस प्रश्न का उत्तर तो भविष्य ही देगा, लेकिन एक साध्वी के साथ किये इस जुल्म की जिम्मेदारी तो आखिर किसी न किसी को लेनी ही होगी।
मोदी सरकार की उदासीनता----------
जब मोदी सरकार आई तो सबको लगा क़ि चलो अब हिंदुत्ववादी सरकार आई है तो साध्वी जी को न्याय मिलेगा और उन्हें फ़साने वालो को कड़ा दंड मिलेगा,मगर हाय दुर्भाग्य,मोदी जी भी साध्वी को न्याय नही मिल पाया है,
अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि साध्वी के खिलाफ कोई भी आरोप सिद्ध नही होता,पर तभी केंद्र सरकार के अधीन एनआईए ने फिर जमानत का विरोध कर दिया,और तब सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी याचिका ख़ारिज कर दी और इन्हे निचली कोर्ट में अपील करने को कहा.……
साध्वी जी कैंसर जैसी बिमारी से जूझ रही है और उन्होने इस कथित हिन्दुवा सरकार को पत्र लिखकर उन पर जेल मे हो रहे अत्याचारो को लिखित मे पीएम तक पहुंचाया कि कैसे जेल मे उनको पुलिस वाले जबरदस्ती उनके मुंह मे मांस ठूसते है और कैसे वो उनके कपडे भी सार्वजनिकता से बदलते है उनको गंदा पानी पीने पर मजबूर करते है जबकी उन्होने कोई अपराध तक भी नही किया?तब भी मोदी सरकार ने उनकी कोई मदद नही की.…

पर ये सच है कि इस देश मे राजपूतो को सिर्फ राजनीती मे एक ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा है जहां कही भी बदनामी का डर हो वहां राजपूतो को आगे कर दिया जाता है चाहे वो वी.के.सिंह जी का पाकिस्तानी दिवस मे जाना हो या कांधार मे आताकंवादीयो को छोडकर जाने के लिए जसवंंत सिंह जी हो और तो और इस देश की गंदी राजनीती ने हमारी बहन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जी को भी नही बख्शा ,
चुनाव से पहले बीजेपी ने वही अपना हिन्दुत्व का राग गाया और साध्वीप्रज्ञा जी पर जेल मे हो रहे अत्याचारो को बखान करके लोगो की भावनाए ऐसे जगाई जैसे की इनकी सरकार बनते ही दूसरे दिन साध्वी जी को जेल से रिहा करके उचित सम्मान दिया जाएगा मगर अफसोस फिर से सरकार ने धोखा ही दिया जैसे पहले से ही हमारे साथ होता आया है,जब सरकार को पता है कि मालेगांव बम बलास्ट मे साध्वी जी निर्दोष है तो क्यो उनको अभी तक बाहर नही निकाला गया? चलो पहले तो बीजेपी के पास बहाना था कि महाराष्ट्र मे उनकी सरकार नही है पर अब तो वहां इन कथित ठेकेदारो की ही सरकार है तो क्यो ये बाहर नही निकाल रहे ?
इसका कारण ये है कि ये सरकार हमेशा हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओ को ढाल बनाकर सत्ता मे आती है पहले इन्होने राम मंदिर का मुद्दा उठाकर हिन्दुओ की वोटो को लूटा और सरकार बनाई क्या इन्होने राम मंदिर बनाया था?
मोदी की एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर की जमानत का विरोध किया और वहीँ बीजेपी अध्यक्ष और अमित शाह को क्लीन चिट देने में देर नही लगाइ.कोर्ट से हर दो महीने बाद संजय दत्त को पैरोल मिल जाती है,सलमान खान को आज  सजा मिल पाई.…
way-for-bail-for-most-of-the-accused-in-2008-malegaon-blasts-case

US funds NGO to help christianity in name of AID in NEPAL.

US Government funded Christian Evangelical groups reach Nepal to provide relief
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Hinduism DeMystified's photo. While there isn’t any reasonable data to conclude that conversions are actually on, there is cause for concern and the situation needs to be monitored. We say this because solely based on their internet activity, it is easy to establish that Christian evangelical groups have reached Nepal, and although they aren’t converting people yet, they are actively providing aid and relief.
Samaritan’s Purse, is one such organisation. In it’s Mission Statement it clearly says it is an “evangelical Christian organization providing spiritual and physical aid to hurting people around the world” … “with the purpose of sharing God’s love through His Son, Jesus Christ.”. As per reports on its own site and updates on its Twitter Account, they already have people in Nepal providing relief material, in as many as four districts. As of now, they are only providing help and aid to Nepalis. But along with their stated Mission, their past records show they are active in proselytisation.
In 2012, a UK based organization revealed that Samaritan’s Purse was engaged in a covert operation of influencing children in poor countries, to convert to Christianity by enticing them with gifts and toys under a “Shoebox Gifts” program officially called “Operation Christmas Child”. Along with the gifts, they give a pamphlet which is “a direct attempt at religious conversion of young children, complete with a “sinner’s prayer” of conversion and a pledge card.” Soon, the local church invites these children to “share the Gospel” under a course called “The Greatest Journey”. See the booklet distributed here.
As per their own site :”In the past four years, more than 4.6 million children in 88 countries have enrolled in the discipleship program. More than 2.1 million of them have made decisions for Christ, and 2.2 million have committed to share their faith with family and friends”
And there is more. Samaritan’s Purse is experienced in “helping” people hit by earthquakes. In 2001, there was an earthquake in El Salvador. The victims of this tragedy had then complained that the organization “held half-hour prayer meetings before showing them how to build temporary homes of metal and plastic”. The President of this organization, had unabashedly said:
“When we go into these villages and help people get back into their homes, we hope we’ll be able to plant new churches all over this country,”
It also must be noted that at that point in time, Samaritan’s Purse had received more than $200000 from the US Government, thus making the Government a party to conversions.
In 2005 again, Samaritan’s Purse was once again under scrutiny for using aid as a tool to convert Muslims in Indonesia, which was ravaged in the Tsunami. Once again, they had received donations form the US Government, which went upto $300000 that year.
In 2010, Haiti was struck by an Earthquake, and there again Samaritan’s Purse was quick to reach. Once again, providing medical help and proselytisation crossed paths, with one the medical volunteers and also Director of the organization said “We came to Haiti not just to extend people’s physical lives, but to point the way to eternal life through faith in Jesus Christ” as per their own annual report. If Doctors themselves declare that they have come to convert people, what else is left to say?
This trend of rushing to help people in disaster zones is a regular feature with Samaritan’s Purse, be it the earthquake in Costa Rica, hurricane in Nicaragua, tsunami in Samoa, cyclone in Vanuatu or typhoons in Philippines.
In 2013, after Cyclone Phailin, reached Odisha & West Bengal, and its partners “distributed relief supplies in Jesus’ Name”. Contuniuing with their “Shoebox Gifts” program, in 2014, Samaritan’s Purse distributed such “Gifts” to almost 5 lakh children in India. On their site, they even mention real stories of Indian’s getting converted to Christianity, including those of fatherless children. Watch this video on their initiatives in India, how they target children from slums and “present the gospel” to them via gift boxes. A child named Samir, from West Bengal says:
When I received my shoebox, I was very happy. I learned that Jesus loves me and that he sent me the box. After I got the box I started coming to the church and my parents started coming with me.
The organisations head in India says, via this program “The children who are the harvest, become the harvesters”
Samaritan’s Purse knows how to go about their work. They target people when they are most vulnerable: either in the midst of a natural disaster, or when they are children from economically backward families. It probably is the easiest to get such people in the fold. And that is why, this organization has reached Nepal. As usual, the plan will be to start with providing physical aid, and then slowly moving on to spiritual aid. While there will be no direct proof of conversions for some time, at least until the dust settles, slowly the real agenda will surface.
Nepal is no stranger to Samaritan’s Purse. When there was a drought in the area where Nepal’s Chepang tribe resides, Samaritan’s Purse was working with a Christian partner in Nepal to provide emergency food to the tribe.
We know for sure Samaritan’s Purse has already begun their work in Nepal. But are they alone? Is this the only evangelical organization there? Probably not:
1. A team from Baptist Global Response, a partner of International Mission Board (an evangelizing organization), have left for Nepal
2. A team from Children’s Hunger Fund (whose mission is to deliver hope to suffering children by equipping local churches for gospel-centered mercy ministry) is already in Nepal. (Also supported by US Government)
3. The International Nepal Fellowship (formerly known as Nepal Evangelistic Band ) is already providing relief in Nepal
4. The Salvation Army, “an evangelical part of the universal Christian Church”, already has teams in Nepal, with more coming. (Also supported by US Government)
Given all of the above, and the fact that Nepal legally allowed conversions only in 2008, Nepalis need to be alert and should see to it that if they were to choose to change their religion, it should not be under any sort of force from or moral obligation to these evangelical relief groups.
http://www.opindia.com/…/us-government-funded-christian-ev…/

Thursday, April 23, 2015

Ford Foundation-CIA, USA TROZEN HORSE is now leashed for Anti-India activities

CIA-Trojan-Horse-Ford-Aam-Aadmi-Party-AAP-IndiaIt is same Ford company that funds NGO who blocks developmental project in all developing countries. It is same foundation that has many CIA active and it is a dark organization started to stall development in developing countries by many means. It has created problem in Ukraine by supporting activities that has come to war situation in Ukraine. It is same FORD foundation that has paid multimillion to organization Aam Admi Party and Kejriwal, Manish Singh sisodiya's Kabir foundation that has been doing antiindia activities for sole purpose of bringinhg Christianity to other nations. Finally Modi has stalled its trozen horse.

Ford Foundation put under MHA watchlist in "national interest and security" of India

The Narendra Modi government has suspended the Foreign Contribution (Regulation) Act, or FCRA, license that allows Greenpeace India to get funds from overseas.

The suspension of Greenpeace's FCRA licence came after the government prevented a member of the organisation from travelling to the UK to speak to lawmakers there about the rights of indigenous communities. NGOs have been on their guard after a leaked 2014 Intelligence Bureau report said such organisations were creating hurdles to development.

To be sure, the foundation has been on the radar of Indian intelligence agencies for decades, on account of which the finance ministry was mandated to clear each grant that it made to NGOs. This scrutiny intensified after it became known that the Anna Hazare-led anti-corruption movement of 2011 got a boost from the foundation with Arvind Kejriwal's NGO Kabir getting about $400,000.
Read more-
AAP+KEJRIWAL+KASMIR+ANTIINDIA ACTIVITY are connected
Kejriwal is controlled by Ford Foundation
NGO'S AGENDA TO STALL DEVELOPMENT
timesofindia
LINK OF CHURCH AND WESTERN NGO-ANTIINDIA ACIVITY
CIA'S plan to christianise India by Ford foundation
Christian missionary and NGO converting in name of fund
 

Saturday, January 17, 2015

JESUS BLUFF =STOP CHRISTIAN MISSIONARY ALL OVER WORLD.GRAND HINDUISM NEEDS A KING

"मैं इन हिन्दुओं को मंदिरों में चढ़ाव और प्रसाद चढाते देखता हूँ।
मैं प्रभु ईशु से प्रार्थना करता हूँ की वो इन हिन्दुओं का विशवास ख़त्म करें,उनकी इस दिनचर्या पे रोक लगायें।
हिन्दुओं को इनके राक्षसी देवी - देवों की पूजा से मुक्ति दिलाएं और उन्हें ईशु की प्रभुता में प्रवेश करवाएं ।"
-- एकेबालो ईशु प्रोजेक्ट भारत ।
बड़े दुःख की बात है की यह वो भाषा एवं भाव है जो इसाई मिशनरी भारतियों के लिए भारत में प्रयोग करते हैं।
अजीब बात ये है की १५ सदी (जब ये पहली बार भारत आये थे), से आज तक कुछ भी नहीं बदला।
अभी भी उतनी ही घृणा एवं हेय दृष्टिकोण है दूसरे मनुष्यों के लिए ।
उससे भी बड़ी दुःख की बात है की यही भाव और यही सोच ये भारत के कोने-कोने में प्रसारित कर रहे हैं ।
क्या कोई भी अच्छा इसाई इनका समर्थन करेगा ?
संभवतः नहीं , लेकिन पता नहीं क्यों आजतक किसी भी इसाई संगठन ने इन सब का विरोध नहीं किया।
ये जो धर्मपरिवर्तन की जल्दबाजी है,जो दूसरे पंथों के लिए द्वेष है - यह विकसित देशों में प्रायः देखने को नहीं मिलता लेकिन अविकसित देशों में अब आम बात होती जा रही है, इस विषय पे भारत के सन्दर्भ में बात करें तो पायेंगे की विदेशी चंदा जो की FCRA पालिसी के तहत आता है, उसमें देश के सर्वोच्च 10 संगठनों में से 8 इसाई संगठन हैं (गृह मंत्रालय के अनुसार )।
इस हज़ारों करोड़ों के विदेशी चंदे, चर्च की संपत्ति एवं धर्मान्तरण में सीधा सम्बन्ध दिखता है।
और ये धार्मिक कट्टरता ठीक वैसे ही है जैसे आज से सदियों पहले श्वेत नस्ल के कुछ लोग कहा करते थे "प्रभु ने दुनिया को सभ्यता देने का बोझ उनके कन्धों पे डाला है।"
उनके इस कट्टरता का एक उदहारण देखने को तब मिला जब कुछ समाजसेवी पाकिस्तान से विस्थापित शरणार्थियों से मिलने गए।
उन्होंने इस सन्दर्भ में अपना अनुभव बताया, कहा की जब वे अत्यंत विकट परिस्थितियों में घिरे थे तब समीप के चर्च से कुछ इसाई एजेंट उनके पास आये तथा उन्हें रुपये, नौकरी,धन-जायदाद आदि का आश्वाशन दिया था । यह आश्वासन सुन के सभी शरणार्थी अत्यंत प्रसन्न हुए किन्तु तब ज्ञात हुआ की एक शर्त है - उन्हें अपना धर्म परिवर्तित कर इसाई बनाना होगा; परधार्मियों के लिए कोई सहायता नहीं की जाएगी।
उन्हें अपने हिन्दू भगवानो की भर्त्सना भी करनी होगी।
जो शरणार्थी पकिस्तान से भीषण धर्मभेद देख कर आये थे उनके लिए ये पुनः वही तालिबानी मानसिकता थी! उसे कहने वाले बाहर से उतना सख्त नहीं दीखते थे, परन्तु अन्दर से वैसा ही परधार्मियों से घृणा करने वाला, उन्हें हेय दृष्टि से देखने वाला मन साफ़ झलकता था ।
शरणार्थीयों ने स्पष्ट मना कर दिया, उस पे जाते-जाते इसाई मिशनरी कहते गए की "देखना कोई तुम्हारी सहायता नहीं करने वाला"।
विडियो लिंक : https://www।youtube।com/watch?v=Ev4sRIVtwKk
विडियो में एक शरणार्थी को दुःख एवं क्रोध से कहते देखा जा सकता है की "एक और दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म की और परिवर्तित के लिए करोड़ों व्यय करने को तत्पर हैं लेकिन दूसरी और हमारे हिन्दू भाई हैं जो दुसरे धर्म में जाने वालों की घर वापसी करवाना तो दूर, जो मात्र धन की आवश्यकता हेतु धर्मान्तरण को प्रेरित किये जा रहे हैं उनके भी सहायता करने के लिए सामने नहीं आ रहे ।
उनका धर्म रुपये के लालच के सामने नष्ट हो रहा है, क्या ये उन्हें स्वीकार है ?"
हिन्दुओं की ये समस्या मात्र इच्छा के कमी की नहीं होकर सूचना एवं ज्ञान के लोप की भी है।
वैसे तो हिन्दू अपने धर्म के नाम पर मंदिरों - मठों में हजारों लाखों दान करते हैं ; उनका सोचना है की ऐसा करने से अपने धर्म-समाज का कल्याण हो जायेगा। मंदिर संचालन एवं मठाधीश सभी हिन्दुओं के लिए कल्याण कार्य करेंगे । इन दान-दक्षिनाओं के पश्चात ज्यादातर हिन्दुओं के पास बचा धन घर-गृहस्थी इत्यादि के लिए ही बाख पाटा है इसलिए उनसे और की अपेक्षा करना व्यर्थ होगा ।
लेकिन यहीं पे हिन्दुओं की समस्या का आरम्भ होता है।
मंदिरों में दिए गए धन का सबसे बड़ा हिस्सा मंदिर बोर्ड के द्वारा सरकार को चला जाता है, बचे हुए धन का एक बड़ा भाग मंदिर के महन्तों-पुजारियों में बंट जाता है। अतः इन सब के पश्चात मंदिरों में आसपास के निर्धन हिन्दुओं के लिए ज्याद कुछ शेष नहीं बचता।
और यही कारण है की इतने दान दक्षिणा के पश्चात भी आपका धन निर्धन और असहाय के पास नहीं पहुँच पाता, आपके धर्म की रक्षा के लिए उपयोग नहीं होता।
मठों में भी यही विधान है , बस अंतर ये है की यहाँ थोडा हिस्सा सरकार को जाता है और बड़ा हिस्सा बाबा एवं मठाधीशों को जाता है।
इन्हीं सब कारणों से हिन्दू समाज के निम्न वर्ग में धन का सदा अभाव बना रहता है जिस बात का लाभ उठा कर अन्य धर्म हिंसा अथवा धन के बल पे उन्हें धर्मान्तरित कर देते हैं।
तो इस समस्या से कैसे निबटा जाए ?
समाधान ये है की या तो हिन्दू मंदिर - मठों में दान तो करे परन्तु कुछ धन को अपने आस पास के निर्धन हिन्दुओं को, गौशालाओं को एवं अन्य धर्म कार्यों में भी दान दें ।
(मंदिर में दिया तो सरकार उठा ले जाएगी ।)
अथवा,हिन्दुओं के मंदिरों का सरकार द्वारा अधिग्रहण बंद करवाना होगा।
सभी मंदिरों को हिन्दुओं के प्रति जवाबदेह बनाने की व्यवस्था स्थापित करवानी होगी । उनमें आनेवाला धन और उनके द्वारा किया जाने वाला व्यय का लेखा जोखा होना चाहिए जिसे जो भी चाहे जांच सके।
यही सनातन धर्म की रीत है की मंदिर अथवा धर्मस्थल धन उपार्जन का कार्य नहीं करेंगे,उनका कार्य है आते हुए धन-दान से समाजकल्याण करना। समय आ गया है की इस नियम का पालन हो,यही धर्मोचित है ।
एक समाज जो सच्चे रूप में स्वतंत्र हो उसमें किसी को भी अपने विश्वास एवं आस्था (या आस्था के अभाव) के पालन का सम्पूर्ण अधिकार होना चाहिए।
लेकिन इसके साथ ही किसी धर्म के लोगों का धर्मान्तरण सिर्फ इसलिए हो जाये क्योंकि उनके पास खाने के पैसे नहीं थे, तो ये देश के मूलधर्म एवं उनके अनुयायियों के लिए लज्जा का विषय है।
समाज के इसी विपन्नता, असमानता का लाभ कुछ धर्म के ठेकेदार उठा ले जाते हैं जिनका उद्देश्य धर्म तक सीमित नहीं रह जाता - देर सवेर अर्थ एवं राजनीति का समावेश हो ही जाता है।
ऐसे में जोमो केन्याटा की कही हुई बात स्मरण
हो जाती है :"..जब इसाई मिशनरी अफ्रीका में आये तो उनके पास बाइबिल थी और हमारे पास जमीन।
उन्होंने हमसे कहा प्रभु ईशु की आँख बंद कर प्रार्थना करो।
जब हमने आँखें खोली तो पाया, हमारे पास बाइबिल थी और उनके पास जमीन।"
JESUS BLUFF