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Saturday, August 20, 2016

सम्राट मानमोरी सिंह ६५४-७२७

बाप्पा रावल के पूर्वज थे दिग्विजयी सम्राट मानमोरी सिंह ६५४-७२७ (ई.) तक सम्पूर्ण भारतवर्ष पर राज किया था तुर्क- अरब एवं सीरिया पर विजय पाया था सम्राट मानमोरी ने लगातार २७ बार दिग्विजय अभियान किया और ३१९ से अधिक छोटे-बड़े हर तरह के युद्ध लड़े हैं एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ एक प्रखर अर्थशास्त्री एवं शौर्य-पराक्रमी सम्राट थे भुजा बल एवं बुद्धि बल की परिचय देते हुए भगवा ध्वज ईराक, ईरान, सीरिया, कुह्दश्त .महरान एवं बीजिंग तक लहराया था ।

१) सम्राट मानमोरी सिंह दिग्विजय सम्राट थे तुर्की सुल्तान मलेच्छ इल्तेरिश काग्हन ६८३ (ई.) ने लोकोच्चारण राज्य पर आक्रमण किया था यह युद्ध युद्ध लड़े गए थे तुर्क के सुल्तान इल्तेरिश के ५२,००० मलेच्छो का मुकाबला सम्राट मानमोरी ने सिर्फ २,२०० से ३,००० अश्व सेना एवं १,००० से १,५०० पैदल सैनिक के साथ किया था सम्राट मानमोरी ने पराक्रम और शौर्यगाथा का नया अध्याय लिखना सुरु किये थे मानमोरी भारतगणराज्य एवं मलेच्छो को तुर्क अरब और कई राज्य से खदेड़ कर अपनी साम्राज्य फैलाये थे पूर्वी तुर्क तक फैलाया था । सम्राट मानमोरी ने इसी के साथ तुर्क विजय किया था ।
२) सन ६६५ (ई.) में गाज़ी सुफ्यान ने चम्पा राज्य पर आक्रमण किया था (चम्पा वियतनाम का प्राचीन नाम था 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अन्त हुआ) इस युद्ध का वर्णन आज भी वियतनाम के Viet Nam's Early History & Legends by C.N. Le में किया गया हैं यह एतिहासिक युद्ध था सम्राट मानमोरी सिंह ने मात्र १२०० हिन्दू शूरवीरों को साथ लेकर युद्ध किया एवं उमाय्यद साम्राज्य के ख़लीफा के ७७-८० हज़ार लश्कर को पराजित कर भगवा परचम अरदिस्तान , कुशान्षर, बकतरा, दिहिस्तान तक फैराया था (मित्रो हम हिन्दू किसी की धरती के तरफ आँख उठा कर नहीं देखतेपर जो हमारे धरती को रौंधना चाहता था हम उनसे अपनी धरती की रक्षा भी करना जानते हैं एवं उनकी धरती भी छिनने की ताक़त रखते हैं) । सम्राट मानमोरी चम्पा (वर्तमान वियतनाम) के सबसे प्रभावशाली एवं अत्यंत दयावान प्रसिद्ध एवं प्रजा हितेषी राजा थे Vietnam Chronology Of World History Database में सम्राट मानमोरी के सम्पूर्ण दस्तावेज़ में उनके राज्यकाल में चम्पा राज्य की प्रशासनिक, अध्यात्मिक, राजनीती एवं अन्य कार्यो की विस्तार जानकारी हैं . 
३) सन ६९० (ई.) में उमाय्यद साम्राज्य के सुल्तान अल-इब्न ने ३६-४७ हज़ार अश्व लश्कर एवं १-७ हज़ार पैदल-लश्कर (लुटेरी मलेच्छो) के साथ शतद्रु (सतलुज नदी) के तट पट आक्रमण किया था आक्रमण कर हिन्दू राजपूत वीरो को चुनौती दिया था सम्राट मानमोरी सिंह अत्यंत छोटी सैन्य बल के साथ अक्रमंकारियों को धुल चटाता था सम्राट मानमोरी अश्वसेना की ज्यादा प्रयोग करते थे क्योंकि अश्व तेज भागते हैं और कितनी भी कठिन चढाई आसानी से पार कर सकते हैं एवं अन्य भिन्य सुविधाओ के लिए अश्व सेना का प्रयोग करते थे यह युद्ध मात्र ४-७ हज़ार अश्वसेना के साथ इब्न जिहादी को परास्त कर सीरिया पर पुनरह हिन्दू राज स्थापित किया था (आज भी सीरिया में यज़ीदी के अन्दर हिन्दू पूर्वज के खून मिलते हैं एवं यज़िदियो ने सीरिया में हिन्दू परंपरा एवं हिन्दू संस्कृति के प्रभाव नज़र आते हैं) । 
४) सम्राट मानमोरी सिंह ने सन ६८८(ई.) बाईज़न्टाइन साम्राज्य के राजा जुस्तिनियन द्वितीय ने भारतवर्ष को ग़ुलाम बनाने का सपने को धराशायी कर दिया झेलम नदी के तट पर सम्राट मानमोरी के हाथों परास्त होकर यूरोप वापस लौटना पड़ा इस युद्ध की Later Roman Empire from Arcadius to Irene, Vol. II, MacMillan इतनी ही जानकारी मिलती हैं सम्राट मानमोरी विश्व का प्रथम राजा था जिनके हाथो परास्त होकर जुस्तिनियन द्वितीय की विजयरथ रुक गया था इस हार के बाद दुसरे राज्य को जितने का सपना छोड़कर अपना राजपाठ अपने उत्तराधिकारी लियॉनटिउस को सौप दिया था ।
५) चीन के तांग राजवंश के सम्राट ली लोंग्जी ७१४ (ई.) व्यावसायिक रिश्ते बनाने के लिए सम्राट मानमोरी के पास आये थे पर सम्राट दूरदर्शी राजनीतिज्ञ थे उन्होंने भारत गणराज्य की अर्थव्यवस्था पर चार खंड लिखे हैं भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था उस समय विश्वशिखर पर थी (भारत के समान विश्वभर में जाते थे आज हम विश्व के बनाये हुए समान को इस्तेमाल करने में खुदको आमिर और गर्वान्वित अनुभव करते हैं कितने दुःख की बात हैं भारत ने दुनिया को कपड़ा पहनना सिखाया था आज पत्ते पहनके घूमनेवाले विदेशीयों से कपड़ा पहनाना सीखना पसंद करते हैं) , सम्राट ली लोंग्जी ने ७१५ (ई.) में कृष्णगिरी ( वर्तमान लद्दाख-काराकोरम सीमा) पर भाड़ी तादात में चीनी सेना लेकर चढाई कर दिया सम्राट मानमोरी ने वीरतापूर्वक आक्रमण का प्रतिरोध किया और साथ ही साथ बीजिंग राज्य पर भगवा परचम लहरानेवाला प्रथम वीर सम्राट था भारतवर्ष का ।
अंतत; दिग्विजयी सम्राट का अंत भीषण ज्वर से हुआ था उन्होंने अविराम युद्ध किये थे भारतवर्ष के रक्षाकवच थे सम्राट मानमोरी सिंह और इनके जाने के बाद भी राज्य की सीमाए २० साल तक सुरक्षित रही यह इनकी दूरदर्शिता का परिचय देता हैं ।
मनीषा सिंह