Showing posts with label बुलेट चले बिना सवार ॐ बन्ना के प्रत्यक्ष चमत्कार. Show all posts
Showing posts with label बुलेट चले बिना सवार ॐ बन्ना के प्रत्यक्ष चमत्कार. Show all posts

Tuesday, October 20, 2015

बुलेट चले बिना सवार ॐ बन्ना के प्रत्यक्ष चमत्कार

बुलेट चले बिना सवार ॐ बन्ना के प्रत्यक्ष चमत्कार
राजस्थान वीरो की भूमि ऐसा कोई गाव नही जहा झुंझार के देवालय न हो ऐसी कोई जगह नही जो राजपूतो के रक्त से सिंचित न हो
यहाँ की मिट्टी में हजारो नही लाखो कहानिया दबी पड़ी है पर सन् 1988 में पाली जिले में घटी एक विचित्र घटना ने पुरे देश को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया
एक दिव्य आत्मा जो मारने के बाद भी अमर हो गयी और आज भी करती है राहगिरो की सेवा नाम है '""ओम् सिंह राठौड उर्फ़ ॐ बन्ना"""
सदूर राजस्थान के पाली जिले का एक गाव "चोटीला" यहाँ ठाकुर जोग। सिंह जी के घर 5 मई को जन्म हुआ
ओम सिंह राठौड का .. आप 2 दिसम्बर 1988 को वाहन दुर्घटना में देवलोक गमन हो गये। इसके बाद में ओम बन्ना की बुलेट को पुलिस प्रशासन अपने साथ नजदीक रोहिट थाने (पाली) थाने में ले आई। चमत्कार कहो या अजूबा वो बुलेट थाने से रात को उसी स्थान पहुंच गई जहां दुर्घटना हुई थी। इसी घटना की चार बार पुनरावर्ति हुई। ठाकुर साहब व गाँववालों के निवेदन पर ओम बन्ना की अन्तिम इच्छा समझकर पुलिस प्रशासन ने बुलेट को उसी स्थान पर रख दिया। धीरे-धीरे यह चर्चा सुनकर आस पास के गाँवों व शहरों के लोग उनके दर्शनों के लिए आने लगे। रोहर हाइवे पर कई दुर्घटनाएं घटित होती थी पर बाद में ओम बन्ना उस हाइवे पर दुर्घटनाओं को बचाते दिखाई देते रहते थे। लोगों में आस्था बढती गई और अपनी मन्नते मागने लगे।
पाली शहर से 17 किलोमीटर दूर जोधपुर-अहमदाबाद राजमार्ग, पाली जिले के बांडाई गांव के पास ओम बन्ना की मोटर साइकिल को भी उन्हीं के साथ पूजा जाता है। यह बात भले ही आपको आश्चर्यजनक लगे मगर यह सच है। मोटर साइकिल की पूजा के पीछे कुछ चमत्कारिक कारण भी है जिसके कई लोगों के साथ पुलिसकर्मी भी प्रत्यक्षदर्शी हैं। बात आज से करीब 27 साल पहले दिंनाक 2 दिसम्बर 1988 की है। राजमार्ग पर बसे पाली से जाते समय बांडाई गांव के पास ओम बन्ना का सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया। जानकार बताते हैं कि घोर अंधेरी रात्रि के समय ओम बन्ना अपनी बुलेट मोटर साईकिल पर गांव लौट रहे थे। चोटिला के पास जब वे पहुंचे तो अचानक उनके सामने दिव्य प्रकाश हुआ यह देखकर उनकी आंखें चौंधिया सी गई और ऐसी स्थिति में उन्हें कुछ न समझ आया तो और उनकी बुलेट एक। पेड़ से जा भीड़ी और ओम बन्ना का देहावसान हो गया।
1988 में हादसे की खबर पाकर पुलिस वहां पहुंची और शव का पंचनामा कर आवश्यक खानापूर्ति के बाद उसे उनके परिजनों को सौंप दिया। पुलिस बुलेट मोटर साइकिल को लेकर थाने आ गई। इसी के साथ शुरू हो गया चमत्कारों का सिलसिला। अगली सुबह मोटर साइकिल फिर हादसे वाली जगह पर पायी गई। पुलिस ने दुबारा मोटर साइकिल घटनास्थल से उठवाकर थाने के एक कमरे के अन्दर बंद कर दी और बाहर से मजबूत ताला लगवा दिया चाबी थानाधिकारी ने अपने पास रख ली। परन्तु दूसरे दिन जब मोटर साइकिल वाला कमरा देखा गया तो ताला व मोटर साइकिल हादसे वाली जगह पर खड़ी पायी गई।
थाने में चार बार मोटर साइकिल को जंजीर से बांधकर भी रखा गया, लेकिन हर बार वह दुर्घटना स्थल पर ही मिलती। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कई ग्रामीणों ने मोटर साइकिल को बिना चालक राजमार्ग की ओर दौड़ते हुए भी देखा। अंतत: बन्ना के पिता ठाकुर जोगसिंह और प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों के भावना की कद्र करते हुए पुलिस ने मोटर साइकिल को हादसे वाली जगह पर रखने की इजाजत दी। कुछ दिन पश्चात ओम बन्ना ने अपनी दादीसा श्रीमती समंदर कंवर को सपने में दर्शन दिए और कहा कि जहां पर मेरी दुर्घटना हुई, वहां पर मुझे स्थान दिया जाए, इसके लिए वहां मेरा चबूतरे नुमा स्थान बनाया जाए तभी मुझे शांति मिलेगी। उसके बाद वहां पर एक चबूतरा बनवाया गया और ओम बन्ना की इच्छानुसार मोटर साइकिल को भी उनके स्थान के पास रखवा दिया गया। कहते है कि जिस तारीख व समय पर ओम बन्ना दुर्घटना का शिकार हुए थे उस दिन खडी मोटर साइकिल का इंजन कुछ देर के लिए चालू हो जाता है। अब आराध्यदेव यानि भौमियाजी का दर्जा पा चुकी मोटरसाइकिल को लेकर पेशोपेश थी कि इस अजूबे को फूल माला कहां पहनाई जाये और चंदन टीका कहां लगाया जाए। काफी सलाह मशवरा व आपसी सोच विचार के बाद तय किया गया कि हेडलाइट पर माल्यार्पण हो और पहियों के पास जमीन पर दीया-धूप-बत्ती की जाए। तब से लेकर आज दिन तक यह सिलसिला जारी है। मोटर साइकिल को किसी ने वहां से हिलाया तक नहीं है। हां इतना अवश्य है कि इसकी साफ सफाई नियमित तौर पर की जाती है और नम्बर प्लेट जिस पर आर. एन. जे. 7773 नम्बर पड़ा है। प्रतिवर्ष नए रंग रोगन से मोटर साइकिल सजती है। धार्मिक भावना का यह आलम है कि हर साल हादसे वाली रात को इस स्थान पर भजन कीर्तन के दौरान ओम बन्ना भी वहां अदृश्य होते हुए भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाते हैं।
ये क्षेत्र पहले राजस्थान के दुर्घटना संभावित क्षेत्र था पर ॐ बन्ना के मंदिर के बाद यहाँ दुर्घटंना न के बराबर हुयी है
एक नही सैकड़ो चालको को दावा है की ॐ बन्ना ने उनको बहुत से दुर्घटनाओ से बचाया है
कहा यह भी जाता है कि उस दिन बुलेट मोटर साइकिल बिना सवारी के थाने के चारों और चक्कर काटकर अपनी श्रद्धा ‘ओम बन्ना’ को अर्पित करती है।
ओम बन्ना आज भी अपने अनुयायियों के दिलों में इस कदर जगह बनाए हुए है कि मानों अब भी उनके साथ ही रहते हो, ओम बन्ना के देहावसान के बाद ज्यों-ज्यों उनके चमत्कार सामने आने लगे तो दुर्घटनास्थल पर ही उनका स्थान देवालय का सा दर्जा पा गया, जो आज तक जारी है। वर्तमान में यह स्थान काफी विकसित हो गया है। यहां दो तीन धर्मशालाएं बनी हुई है व छोटी बड़ी घुमटियों में जोत जलती रहती है और पूजा अर्चना के लिए पुजारी की नियुक्ति की गई है।दिन रात गाव के ढोली जी यहाँ रहते है मारवाड क्षेत्र ही नहीं ओम बन्ना के भक्त अन्य कई स्थानों से यहां प्रसाद चढ़ाने आते हैं खासतौर से जोधपुर मार्ग पर यहां से गुजरने वालों में से शायद ही कोई ऐसा होगा जो यहां रूककर ओम बन्ना के दर्शन किये बिना चला जाये। कई लोगों की ओम बन्ना के प्रति ऐसी श्रद्वा व आस्था है। यहां रोजाना ही भीड लगी रहती है लेकिन हर वर्ष उनके दिवस पर बहुत बडे मेले का आयोजन किया जाता है।
बडाई गांव के लोग भी मोटर साइकिल वाले ‘ओम बन्ना की वजह से गांव को मिल रही पहचान से खुश है। वजह साफ है इससे पहले सैकड़ों मीटर लम्बे राजमार्ग पर सन्न सन्न निकलते वाहनों के लिए इसकी अहमियत रास्ते में पडऩे वाले दूसरे गांवों से ज्यादा न थी, और अब यह ऐसा आस्था स्थल बन चुका है जहां दिन हो या रात हमेशा काफी भीड़ लगी रहती है। एक गुमनाम मील के पत्थर की जगह यह स्थान इस राजमार्ग पर अपनी एक पहचान बना चुका है।
बचपन में ही भविष्यवाणी हो गई थी उनके चमत्कारी होने की
ओम बन्ना राठौड वंश से जुडे राजपूत है ओम बन्ना का जन्म विक्रम सम्वत २०२१ में वैशाख सुदी अष्ठमी का चमकी चांदनी रात में हुआ था। कहते है जब ओम बन्ना की जन्म कुंडली बनवाने ज्योतिषी आए तो उन्होंने ओम बन्ना की ठुड्डी व ललाट देखकर भविष्यवाणी की कि यह एक चमत्कारी बालक है, यह बडा होकर दशों दिशाओं में राठौड़ वंश का नाम उज्ज्वल करेगा। ठाकुर जोग सिंह व मां सरूप कंवर के पुत्र ओम बन्ना को मोटर गाडी चलाने का काफी शौक था बचपन में जब भी वह गांव में स्कूटर या मोटर साइकिल देखते थे तो वह अपने माता-पिता या दादी सा की गोद से कूदकर अपने छोटे-छोटे हाथों से मोटर साइकिल की आकृति बनाते और मुंह से गाडी की आवाज निकालकर सडक पर तेजी से दौडऩे लग जाते थे। शायद यही कारण है कि मोटर साइकिल से उनका नाता आज भी जुड़ा हुआ है।
* जोधपुर के राजकुमार शिवराज सिंह की पोलो खेलते वक़्त घोड़े पर गिरने से चोट लगी थी सभी डॉक्टर ने मना कर दिया था तभी महारानी हेमलता राजे के यहा की मन्नत मांगी और अगले ही क्षण अमेरिका से खबर आती की अब हालात खतरे से बहार है मन्नत पूरी होने पर जोधपुर महारानी हेमलता राजे यहाँ दर्शन को आई थी
*प्रवासी सिद्धान्त और उनकी पत्नी का एक्सीडेंट ॐ बन्ना के समीप जोधपुर मार्ग पर होता है सिंद्धांत सीरियस होता है हालात खतरे में होती है उनकी पत्नी में बहुत मदद मांगी पर एक भी गाडी नही रुकी ओर जैसा की उनकी पत्नी खुद Mano ya na mano Star Tv को बताया की तभी एक बुलेट सवार वहा आता है और उन्हें जोधपुर ले जाता और अपना नाम ॐ सिंह बातके जाते है वापसी में जब ये लौट रहे थे तभी वो ॐ बन्ना के दर्शन को रुके वहा लगी तस्वीर और बुलेट को देख वो सकते में आ जाते है तस्वीर होती है उस बुलेट सवार की जिन्होंने उन्हें बचाया और बुलेट भी वही

तब से हर अंतराल के बाद ये बड़े शहर में पढ़ा लिखा जैन दंपति यहाँ माथा टेकने आते है
* वक़्त 2011 पाली से जोधपुर शहर के बीच चलने वाली प्राइवेट बस गर्मियों की भरी दोपहर शहर से एक चारण महिला चढ़ती है और ॐ बन्ना स्थान के जाने के लिये पूछती है बस चलती है तभी कंडेक्टर। मनमाने किराये लेता है ॐ बन्ना के लिए और ये कहता है की। इतने रूपये नही दिया तो बस वहा नही रुकेगी
वहा यात्रियों चारण महिला और कन्डेक्टर की तू तू मै मै होती है महिला ने सबके सामने बस ईतना ही कहा की ओम बन्ना की मर्जी के बिना तुम आगे नही जा सकते आज ही चमत्कार मिल जायेगा तभी बस आगे बड़ी और ॐ बन्ना के मंदिर से कुछ 20 मीटर पहले चलती बस के आगे वाले दोनो कांच वही मन्दिर के सामने फुट जाते है इस घटना का प्रत्यक्ष दर्शी में खुद रहा था
* जाखड़ ट्रैवल की बस का ॐ बन्ना के थान के सामने ही 3 बार पलटना और चमत्कारिक रूप से एक भी यात्री का घायाल न होना सभी को 3 घंटे के भीतर प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी
ऐसे ही हजारो चमत्कार जिसके हजारो प्रत्यक्षदर्शी है
Source :- Rajputana Soch