▶महाराजा सूरजमल एक ऐसे सम्राट थे जिन्हें पूरा हिंदुस्तान एक हिंदुआ सूरज के रूप में जानता है।
▶उन्होंने मुगलों पठानों अफगानों रुहेलों ब्लुचों आदि सभी मुस्लिमो से लोहा लिया और उन्हें हराया।
▶उनका साम्राज्य राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तक फैला हुआ था।और जटवाड़ा कहलाता था।
▶उन्होंने मंदिरों, गौमाता, सनातन संस्कृति के प्रतीक पीपल के पेड़, महिलाओं व हिन्दू धर्म की जीवनपर्यंत रक्षा की।
▶उनके राज्य में गौहत्या और पीपल के पेड़ काटने पर प्रतिबंध था और मृत्युदंड का प्रावधान था।
▶कुछ मुस्लिम शासकों में उनका इतना खौफ था कि उन्होंने अपने क्षेत्र में भी गौहत्या बन्द कर दी थी व गौहत्या करने वालों को फांसी की सजा देनी शुरू कर दी थी व वे इसकी जानकारी उन्हे पत्र लिखकर सौंपते थे।
▶उनके होते हुए किसी भी महिला पर आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं होती थी।उन्होंने एक हिन्दू लड़की हरदौल की इज्जत की रक्षा के लिए दिल्ली पर आक्रमण कर दिया था व उन्हें मुगलों से बचाया।
▶उन्हें हिन्दू एकता करने के लिए जाना जाता है उनका खजांची दलित था, उनका गुरु व सलाहकार ब्राह्मण था व उनकी सेना में सब जातियों के लोग थे।उनकी स्थायी सेना के अतिरिक्त उनके राज्य का हर नागरिक अस्थाई सैनिक था।
▶उन्होंने कई दूसरे राज्यों को भी जरूरत पड़ने पर सहायता की।उन्होंने मराठा, राजपूत समेत सब हिन्दू राजाओ की सहायता की।
▶वे बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के धनी थे।उन्होंने मथुरा भरतपुर गोवर्धन आदि समेत ब्रज क्षेत्र में सैंकड़ो मन्दिर तीर्थ स्थान घाट बनवाये।
▶उन्होंने अपनी राजधानी भरतपुर का नाम भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के नाम पर रखा। वे श्री कृष्ण भगवान के वंशज थे, बजरंग बली व भगवान लक्ष्मण के बहुत बड़े भक्त थे,और शूरसेन महाराज उनके कुलदेवता है एवं केला देवी माता उनकी कुलदेवी है।
▶उनके युद्ध का झंडा कपिध्वज था जिस पर हनुमान जी की मूर्ति अंकित थी।उनकी रियासत के केसरिया झंडा हमेशा शान से लहराता रहा।
▶उन्हें दिल्ली में मुगलो का राज बीलकुल न सुहाता था उन्होंएँ दो बार दिल्ली में भगवा फहराया और मुगलो की ईंट से ईंट बजाकर बहुत बड़े क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था।
▶वे दोनों हाथों से तलवार चलाना जानते थे व उन्होंने छोटे बड़े लगभग 80 युद्ध किये थे जिनमे वे हमेशा विजयी रहे जिसके कारण उन्हें एक अजेय महाराजा के तौर पर जाना जाता है।
▶उनके बनाये गया भरतपुर का लोहागढ़ किला देश का एकमात्र अजेय किला है जिसे न मुगल जीत पाये और न ही बाद में अंग्रेज।
▶उनका राज्य बहुत ही विशाल, समृद्ध न्यायप्रिय और खुशहाल था। वे सादगी के प्रतीक थे व सिर्फ विशेष अवसरों पर ही मुकुट और राजशाही पौशाक पहनते थे।उनकी पगड़ी हमेशा मोरपंख से सजी रहती थी।
▶वो जनता के बीच रहना पसंद करते थे व ज्यादातर अपनी लोकभाषा का ही प्रयोग करते थे।
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