Monday, April 18, 2016

नागपाश, Nagpash,-Weapon of mass destruction was a chemical weapon

नागपाश एक ‘तनुकृत और कम शक्ति’ वाला रसायन अस्त्र था जिसका प्रयोग पूरी तरह से वर्जित नहीं था| उसकी मार मैं एक या दो व्यक्ति ही आ सकते थे|NAGPASH was an extremely toned down CHEMICAL weapon, perhaps then not totally prohibited
“विज्ञान का विकास कोइ अस्माकित घटना नहीं होती ! उसके लिये यह आवश्यक है कि अनुकूल वातावरण हो, शिक्षा का स्थर विज्ञान सम्बंधित शोघ को समाज तक पहुचाने की क्षमता रखता हो, तथा समाज और शासन की, विज्ञान से जो आधुनिकरण सम्बंधित लाभ हो रहे हो, या हो सकते हैं , उसक...ी मांग हो !
"सत्ययुग मैं और त्रेता युग मैं श्री राम से पूर्व अनेक युद्ध हुए थे , लेकिन कभी भी सृष्टी का विनाश इस तरह से नहीं होपाया , जैसे की महाभारत के बाद हूआ था ! यह सत्य है की अधिकाँश आधुनीकरण रामायण युद्ध में ही हुए हैं !
"यह एक तथ्य है जिसे नक्कारा नहीं जा सकता ! पूर्ण विनाश , महाभारत की तरह नहीं हो पाया, इस लिये समाज उन्नंती करता गया! उसका एक उद्धारण तो हम सब को मालुम है; शिव धनुष जो की प्रलय स्वरूप, विनाशकारी था(WEAPON OF MASS DESTRUCTION), और जिसको बनाने के लिये विकसित विज्ञान की आवश्यकता थी , वोह श्री राम से पूर्व त्रेता युग मैं था !
"सारे संकेत यह दर्शाते हैं कि विज्ञान उस समय आज से कहीं ज्यादा विकसित था ! कुछ उन्ही संकेतों पर हम यहाँ पर चर्चा करेंगें ! लेकिन इससे पहले यह आवश्यक है कि हम यह समझ लें कि उन संकेतो को अब तक नक्कारा कैसे गया है !
" पुराने समय मैं विज्ञान सम्बंधित सुचना का आभाव था, लेकिन आज क्यूँ ?”
स्पष्ट है की यदि प्रलय स्वरूपि शस्त्र श्री राम से पहले त्रेता युग मैं थे, और विमान भी थे, तो वह समय विज्ञानिक स्थर से विकसित था ! यहाँ तक विकास हो गया था की प्रलय स्वरूपि शस्त्र , जैसे की शिव धनुष को विघटित करा जाने लगा था ; अथार्थ विकास कम से कम आज के समय से अधिक विकसित था ! और हमारी सोच की सीमा है, जितना विकास हमने देखा है , उससे आगे हमें कल्पना का सहारा लेना होता है !

निश्चय ही रसायन शस्त्र मैं भी अंकुश लगाए गए होंगे ! नागपाश एक ‘तनुकृत और कम शक्ति’ वाला रसायन अस्त्र था जिसका प्रयोग संभवत पूरी तरह से वर्जित नहीं था ! उसकी मार मैं एक या दो व्यक्ति ही आ सकते थे !
युद्ध मैं मेघनाथ ने नागपाश रसायन अस्त्र का प्रयोग करा , तो गरुर्ड देव जो कि “हवाई स्वास्थ्य सेवा” थी संभवत: आज के रेड क्रोस जैसी(जिसे अंतररास्ट्रीय मान्यता , युद् छेत्र मैं स्वास्थ सेवा प्रदान करने कि प्राप्त हो), को समय से ले आय, और दोनों , श्री राम और लक्ष्मण के प्राण बचा लिए !
रामायण के विज्ञान का उपयोग नासा और इसरो ने कई अनुसंधान किया है विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव रामायण का विज्ञान २१ वीं सदी एवं ६इथ जेनरेशन से भी कई ज़्यादा विकसित और आधुनिक विज्ञान होने का परिचय देता है I
जय श्री राम, जय माता सीता

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