
के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी के नजदीक मुगलसराय में हुआ था। शास्त्री के 110वीं जयंती पर देश की जनता एक बार फिर उनको याद कर रही है। उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचय तो हम 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में देख ही चुके हैं।
हाल ही में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी खुफिया फाइलें सार्वजनिक किए जाने के बाद यह उम्मीद किया जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री से जुड़े दस्तावेजों को भी सार्वजनिक किया जाएगा। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे अनिल शास्त्री अपने पिता की मौत से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक किए जाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह कर चुके हैं।
हाल के दिनों में कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने शास्त्री की मौत से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी मांगी लेकिन उन सबको अलग-अलग जवाब दिया गया। जिससे उनकी मौत से जुड़े राज और गहराते जाते हैं। इनमें लेखक अनुज धर और कुलदीप नायर के आरटीआई का मिला जवाब शामिल है। गौरतलब है कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 1966 में रूस के ताशकंद में हुए एक समझौते के दौरान दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हो गई थी। कुछ लोग तो उनकी मौत को एक राजनीतिक साजिश मानते थे। शास्त्री जी के जन्मदिन के अवसर पर आइए हम उन संभावित 8 षड़यंत्रों को जानने की कोशिश करते हैं जो उनकी मौत से जुड़े हुए हैं। शास्त्री जी के मौत के राज पर से पर्दा उठाने के लिए बनाए गए जांच समिति की रिपोर्ट संसद के लाइब्रेरी में नहीं है। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर वह रिपोर्ट कहां गई। क्या उसे गायब कर दिया गया या फिर नष्ट कर दिया गया? उनके व्यक्तिगत डॉक्टर आरएन छुग के मुताबिक वह पूरी तरह से स्वस्थ थे और उन्हें पहले कभी दिल से संबंधित कोई बीमारी नहीं हुई। उन्होंने पोस्ट मॉर्टम नहीं कराने की बात पर सवाल खड़े किए और इस बात की भी आशंका जताई की उनके शरीर पर जो निशान बने हैं वह जहर की वजह से भी हो सकते हैं। रूस के ताशकंद में शास्त्री जी की मौत के बाद उनका पोस्ट मॉर्टम नहीं कराया गया। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री के मुताबिक उनके शरीर नीला पड़ गया था बावजूद इसके किसी ने (रूस और भारत) पोस्ट मॉर्टम कराने की जरुरत नहीं समझी। आखिर ऐसा क्यों?
जिस रात शास्त्री जी की मौत हुई उसके दो गवाह थे। पहला डॉ. आरएन छुग और दूसरा उनका नौकर राम नाथ। 1977 में संसदीय दल के सामने दोनों को तलब किया गया लेकिन वहां जाते वक्त अचानक एक ट्रक ने उन्हें धक्का मार दिया जिससे उनकी मौत हो गई।
वहीं दूसरे गवाह राम नाथ के बारे में शास्त्री जी के परिवार वालों ने बताया जाता है कि संसदीय दल के के सामने पेश होने से पहले वह उनके घर आया था और 'सब कुछ बता देने की बात कही थी।' लेकिन उसी दिन उन्हें एक कार ने कुचल दिया जिससे उनके दोनों पैरों को काटना पड़ा और उनकी याददाश्त भी चली गई।
एक सवाल यह भी उठता है कि जिस रूसी नौकर ने लाल बहादूर शास्त्री को खाना परोसा था आखिर उसे गिरफ्तार करने के बाद भी क्यों छोड़ दिया गया। शास्त्री जी की मौत जहर देने से हुई थी इस अफवाह के बाद तो उससे कड़ी पूछताछ होनी चाहिए थी लेकिन उसे यह कहते हुए छोड़ दिया गया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी।
वहीं एक सीआईए एजेंट ने इस बात का खुलासा किया था कि लाल बहादुर शास्त्री और डॉ होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे सीआईए का ही हाथ है। उन्होंने यह बयान पत्रकार ग्रेगरी डगलस के साथ हुए एक इंटरव्यू में दिया था।

शास्त्री जी के मौत के जांच की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को दे दी गई। जिस पर उनके बेटे ने सवाल उठाते हुए कहा था कि यह एकदम बचकानी हरकत है। एक प्रधानमंत्री के मौत की जांच राज्य पुलिस कैसे कर सकती है? जबकि देश में दूसरी बड़ी जांच एजेंसियां मौजूद थीं।
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