Friday, October 30, 2015

हिन्दू समाज अपने इतिहास के प्रति ही नकारात्मक

हिन्दू समाज अपने इतिहास के प्रति ही नकारात्मक
हो गया है। जिस को देखो वो 800 साल या 1300 साल
की गुलामी की बात करता है।
लोग अपने इतिहास से इतने अनभिज्ञ है की भले
ही उनके पूर्वज गुलाम न रहे हो लेकिन वो खुद
मानसिक रूप से गुलाम हो गए है। ये मानसिक
गुलामी 800 साल या 1300 साल
नही बल्कि 60 साल
पुरानी ही हैँ।
भारत अगर 800 या 1300 साल ग़ुलाम रहता तो आज देश में
हिन्दुओ का नामो निशान ना होता। लेकिन दुर्भाग्य है
की औपनिवेशिक और वामपंथी इतिहास पढ़
पढ़ के हमारी मानसिकता अपने
ही पूर्वजो के गौरवशाली संघर्ष को अपमानित
करने की हो गई हैँ।
दुनिया की किसी और सभ्यता ने इस्लाम
का इतनी सफलतापूर्वक
सामना नही किया जैसा हमने किया है।
भारत में इस्लाम के आगमन के 1100 वर्ष के बाद
भी 1800ई में भारतीय उपमहाद्विप में
मुसलमानों की संख्या 15% से भी कम
थी, बटवारे के समय यह 25% तक पहुँच गई
थी जो आज 40% से ऊपर है। साफ़ है भारत में
मुस्लिम जनसँख्या के बढ़ने का कारण धर्म परिवर्तन से
ज्यादा उनकी जन्म दर है। बहरहाल, हमें
हमेशा 800 साल या 1300
की ग़ुलामी का पाठ जो अँगरेज़ हमे पढ़ा गये,
हम उसे ही पढ़े जा रहे है और इसमें वामपंथियो और
AMU वालोँ ने ये और जोड़ दिया की भारत में इस्लाम के
आगमन से ही आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक
क्रांति हुई, उससे पहले भारत में घोर अंधकार युग था।
हमारी पाठ्य पुस्तकों में
7वीं शताब्दी में सिंध पर अरबो का आक्रमण
और हिंदुओं की हार पढ़ाया जाता है,फिर
सीधे 12वीं शताब्दी में
तुर्को की जीत। बीच में ये जरूर
बता दिया जाता है की इस काल में बहुत सारे राजपूत
राज्य थे जो आपस में लड़ते रहते थे। लेकिन ये
नहीँ बताया जाता की स्पेन तक विजय करने
वाले अरब 7वीं शताब्दी में सिंध में आकर
आगे क्यों नही बढ़ पाए? सिंध में पहली बार
मुसलमानों के आक्रमण के बाद उन्हें 500 साल क्यों लग गए
दिल्ली तक पहुँचने में? अनगिनत बार
राजपूतों द्वारा अरबो और तुर्को की पराजय के बारे में
नही बताया जाता। हां महमूद ग़जनी के
आक्रमणों की चर्चा जरूर होती है लेकिन
उनकी नही जिसमे उसकी हार
हो।
फिर 1204 से 1526 के युग को भारत में सल्तनत युग बता कर
पढ़ाया जाता है जबकि इस काल में इस सल्तनत का वास्तविक शाशन
दिल्ली से 100 कोस तक ही था और इस
100 कोस की सल्तनत का इतिहास
ही भारत का इतिहास बन जाता है। इस दौरान अनेक छोटे
छोटे राज्य स्थापित हुए। लेकिन उनके बारे में बहुत कम
बताया जाता है। उस काल में उत्तर भारत में हिंदुओं का सबसे
बड़ा राज्य मेवाड़ था। उसके बारे में पहला उल्लेख मिलता है जब
ख़िलजी के हाथो मेवाड़ का विध्वंस होता है, उसके बाद
सीधे 1526 में अचानक से राणा सांगा पैदा हो जाते हैँ,
जो दिल्ली की मुस्लिम
सत्ता को चुनौती दे रहे होते हैं। ये मेवाड़
जिसका विध्वंस हो गया था ये इतना ताकतवर कब हो गया?
मालवा और ग्वालियर में इतने ताकतवर हिन्दू राज्य कब और कैसे बन
गए? मारवाड़ और आमेर का उतथान कब हुआ? कितने अनगिनत
युद्धों में राजपूतो ने मुस्लिम शाशकों को हराया,
13वीं सदी के setback के बाद
14वीं-15वीं सदी में कितने
संघर्षो के बाद उत्तर और दक्षिण भारत में सफलतापूर्वक हिन्दू
राज्य बनाए गए, इनके बारे में
कहीँ नही बताया जाता। हम लोगो को सिर्फ
हमारी हार पढाई जाती है।
ना हमारी उससे ज्यादा मिली हुई
जीत के बारे में बताया जाता और ना हमारे सफल संघर्ष के
बारे में।
जागो हिन्दू जागो।

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