कब्र और मजार पर जाना हिन्दुओ की सबसे बड़ी बेवकूफी:
मित्रो आज गली गली हम मजारो ,कब्रों को देखते हैं …
अक्सर मेने देखा है कुछ धर्म निरपेक्ष सेक्युलर जात के लोग अपने मंदिरो में जाने में शर्म महसूस होती है और पीर फकीरो कि मज़ारो पर ऐसे माथा टेकते है जैसे कि वही उनका असली बाप है क्या…. … ?
अरे मुर्ख हिन्दुओ जिन मज़ारो और मय्यतों पर जा कर तुम लोग कुत्तो कि तरह दुम हिलाते हो उसके बारे जान तो लो आखिर वो है
अब में उन हिन्दुओ से पूछता हु जो कुत्ते कि तरह वहाँ मन्नत मांगने पहुच जाते है
दुनिया जानती है कि हिंदुस्तान हिन्दुओ का स्थान रहा है जहा मुल्लो ने आक्रमण किया और हमारे पूर्वज उन मलेक्षों से लड़ते लड़ते शहीद हो गये जब युद्द हुआ तो उसमे हमारे पूर्वजो ने मलेक्षों को भी अल्लाह को प्यारा कर दिया अब देखो आज कि पीड़ी इन हिन्दुओ कि मूर्खता जो अपने वीर पूर्वजो को पूजने कि वजह अपने दुसमन कि कब्र पर जा कर मन्नत मांग रहे है . हमारे उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे………?
क्या इससे बड़ा मूर्खता का प्रमाण विश्व में कही देखने को मिल सकता है
……..?
अधिकतर हिन्दू अजमेर में जो मुल्ले कि कब्र बनी है उसके बारे में नही जानते होंगे कुछ मुर्ख लोग उससे संत बोलते है
परन्तु मित्रोँ, ऐतिहासिक तथ्योँ के अनुसार देश के अधिकांश तथाकथित सूफी सन्त इस्लाम के जोशीले प्रचारक थे।
हिन्दुओँ के धर्मान्तरण एवं उनके उपासना स्थलोँ को नष्ट करनेँ मेँ उन्होनेँ जोर शोर से भाग लिया था। अगर हम अजमेर के बहुचर्चित ‘सूफी’ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती कि बात करे तो ‘सिरत अल् कुतुब’ के अनुसार उसने सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाया था। ‘मजलिस सूफिया’ नामक ग्रन्थ के अनुसार जब वह मक्का मेँ हज करने के लिए गया था,तो उसे यह निर्देश दिया गया था कि वह हिन्दुस्तान जाये और वहाँ पर कुफ्र के अन्धकार को
दूर करके इस्लाम का प्रचार करे।
‘मराकत इसरार’ नामक एक ग्रन्थ के अनुसार उसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की का जबरन् धर्मान्तरण करके की थी। यह बेबस महिता एक राजा की पुत्री थी,जो कि युद्ध मेँ चिश्ती मियाँ के हाथ लगी थी। उसने इसका नाम उम्मत अल्लाह रखा, जिससे एक पुत्री बीबी हाफिज जमाल पैदा हुई. जिसका मजार इसकी दरगाह मेँ मौजूद है।
‘तारीख-ए-औलिया’ के अनुसार ख्वाजा ने अजमेर के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज को उनके गुरू अजीतपाल जोगी के माध्यम से मुसलमान बनने की दावत दी थी, जिसे उन्होनेँ ठुकरा दिया था।
इस पर ख्वाजा ने तैश मेँ आकर मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया था।
अक्सर मेने देखा है कुछ धर्म निरपेक्ष सेक्युलर जात के लोग अपने मंदिरो में जाने में शर्म महसूस होती है और पीर फकीरो कि मज़ारो पर ऐसे माथा टेकते है जैसे कि वही उनका असली बाप है क्या…. … ?
अरे मुर्ख हिन्दुओ जिन मज़ारो और मय्यतों पर जा कर तुम लोग कुत्तो कि तरह दुम हिलाते हो उसके बारे जान तो लो आखिर वो है
अब में उन हिन्दुओ से पूछता हु जो कुत्ते कि तरह वहाँ मन्नत मांगने पहुच जाते है
दुनिया जानती है कि हिंदुस्तान हिन्दुओ का स्थान रहा है जहा मुल्लो ने आक्रमण किया और हमारे पूर्वज उन मलेक्षों से लड़ते लड़ते शहीद हो गये जब युद्द हुआ तो उसमे हमारे पूर्वजो ने मलेक्षों को भी अल्लाह को प्यारा कर दिया अब देखो आज कि पीड़ी इन हिन्दुओ कि मूर्खता जो अपने वीर पूर्वजो को पूजने कि वजह अपने दुसमन कि कब्र पर जा कर मन्नत मांग रहे है . हमारे उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे………?
क्या इससे बड़ा मूर्खता का प्रमाण विश्व में कही देखने को मिल सकता है
……..?
अधिकतर हिन्दू अजमेर में जो मुल्ले कि कब्र बनी है उसके बारे में नही जानते होंगे कुछ मुर्ख लोग उससे संत बोलते है
परन्तु मित्रोँ, ऐतिहासिक तथ्योँ के अनुसार देश के अधिकांश तथाकथित सूफी सन्त इस्लाम के जोशीले प्रचारक थे।
हिन्दुओँ के धर्मान्तरण एवं उनके उपासना स्थलोँ को नष्ट करनेँ मेँ उन्होनेँ जोर शोर से भाग लिया था। अगर हम अजमेर के बहुचर्चित ‘सूफी’ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती कि बात करे तो ‘सिरत अल् कुतुब’ के अनुसार उसने सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाया था। ‘मजलिस सूफिया’ नामक ग्रन्थ के अनुसार जब वह मक्का मेँ हज करने के लिए गया था,तो उसे यह निर्देश दिया गया था कि वह हिन्दुस्तान जाये और वहाँ पर कुफ्र के अन्धकार को
दूर करके इस्लाम का प्रचार करे।
‘मराकत इसरार’ नामक एक ग्रन्थ के अनुसार उसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की का जबरन् धर्मान्तरण करके की थी। यह बेबस महिता एक राजा की पुत्री थी,जो कि युद्ध मेँ चिश्ती मियाँ के हाथ लगी थी। उसने इसका नाम उम्मत अल्लाह रखा, जिससे एक पुत्री बीबी हाफिज जमाल पैदा हुई. जिसका मजार इसकी दरगाह मेँ मौजूद है।
‘तारीख-ए-औलिया’ के अनुसार ख्वाजा ने अजमेर के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज को उनके गुरू अजीतपाल जोगी के माध्यम से मुसलमान बनने की दावत दी थी, जिसे उन्होनेँ ठुकरा दिया था।
इस पर ख्वाजा ने तैश मेँ आकर मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने के लिए उकसाया था।
हमारे प्रश्न- मित्रो, मैँ पूछना चाहता हूँ कि यदि चिश्ती वास्तव मेँ सन्त था और सभी धर्मो को एक समान मानता था, तो उसे सात लाख हिन्दुओँ को मुसलमान बनाने की क्या जरूरत थी?
क्या यह मानवता है कि युद्ध मेँ पराजित एक किशोरी का बलात् धर्मान्तरण कर निकाह किया जाये?
यदि वह सर्व धर्म की एकता मेँ विश्वास रखता था, तो फिर उसने मोहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने और हिन्दू मन्दिरोँ को ध्वस्त करने लिए क्योँ प्रेरित किया था…..?
क्या यह मानवता है कि युद्ध मेँ पराजित एक किशोरी का बलात् धर्मान्तरण कर निकाह किया जाये?
यदि वह सर्व धर्म की एकता मेँ विश्वास रखता था, तो फिर उसने मोहम्मद गोरी को भारत पर हमला करने और हिन्दू मन्दिरोँ को ध्वस्त करने लिए क्योँ प्रेरित किया था…..?
क्या हिन्दुओ के ब्रह्मा, विष्णु .. महेश समेत ३३ करोड़ देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं ….जो उन्हें मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं………??? ?
जब गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने खुले रूप में कहा है कि… कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या””गधे का अंडा””हासिल होगा………?? ????
क्या आज तक किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं …….जो हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम हिन्दू शीश झुकाते हैं………??? ??
हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति …….. मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रहीं हैं ………. जो हमारे वेदों- उपनिषदों में नहीं कही गई हैं…?
कब्र पूजा को हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताने वाले लोग………… अमरनाथ…. तिरुपति … या महाकालेश्वर मंदिर में मुस्लिमों को पूजा कर हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करने को क्यों नहीं बोलते हैं….???????
जो मन्नत के फेर में किसी को भी पूजते है उनके लिए भगवान् कृष्ण कहते है, ” जो पुरुष शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परमगति को और न सुख को ही ”
आपको शर्म आनी चाहिए आप अपने पुर्वजो का अपमान करते हो जिन्होंने हमारे पूर्वजों को मारा काटा उनकी कब्र पर आप मन्नत मांगते हो इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कुछ तो शर्म करो मजार और दरगाह पर जाने वालो …
आशा हैं कि…… मुस्लिमों के कब्र को अपना अराध्य मान कर पूजा करने वाले बुद्धिजीवी प्राणी….. मुझे उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर दे कर मेरे ज्ञान में भी प्रकाश संचारित करेंगे…! अगर…… आपको भी लगता है कि…. उपरोक्त प्रश्न उचित हैं और सेकुलरों को पकड़-पकड़ कर इन प्रश्नों के उत्तर पूछे जाने चाहिए ……. अगर आप आर्य राजा राम और कृष्ण की संतान तथा गौरवशाली हिन्दू धर्म का हिस्सा हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में बता कर उनका अंध विश्वास दूर करें …!
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