Tuesday, October 20, 2015

जैसलमेर दुर्ग

जैसलमेर दुर्ग
यह किला जैसलमेर मे स्थित है।इस किले का निर्माण 1155 ईँ मे राव जैसल ने किया था। राजस्थान लोक कव्य मे इस किले को जयसनगढ कहा गया है। इस किले के निर्माण मे चुने का उपयोग नही किया गया। इस किले का निर्माण पिले पत्थरो से किया गया है।
विदेशी आक्रमणकारियो से देश कि उतरी-पशिचमी सीमा कि रक्षा करने के कारण इसे उतरी भडकिवाड के नाम से जाना गया ।
ये किला त्रिभुजकार पहाडी पर बना हुआ है। इसलिए इसे त्रिकुट के नाम से भी जाना जाता है। यह किला दुर से ऐसा लगता मानो रेत के समुन्दर मे विशाल जहाज लंगर डाले खडा हो।
इस किले के चार दरवाजे है जिनके नाम अक्षयपोल,सुरजपोल,गणेशपोल और हवापोल।
यह किला राज्य का दुसरा सबसे बडा लिविँग किला है जिसके चारो और 99 ब्रुज है।
फिल्म निदेशक सत्यजित राय ने इस इतिहासिक किले पर "सोनार किला" नामक फिल्म बनाई थी।
किले के अन्दर जयसुल कुँआ स्थित है। माना जाता है कि इसका निर्माण श्रीक्रष्ण ने सुदर्शन चक्र से किया था।
किले के अन्दर आदिनाथ जी का मन्दिर भी है। किले के पशिचमी गेट के पास "बादल महल" स्थित है।
इस किले के बारे मे एक दोहा प्रसिद्ध है।

"गढ दिल्ली,गढ आगरो,अदगढ बीकानेर।
भलो चुनयो भाटीयो,सिरे तो जैसलमेर।
 

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