Tuesday, April 7, 2015

समुद्र मंथन का प्रमाण

जयपुर
धरती रहस्य का भंडार है। समय-समय पर इससे कई अनोखी और अद्भुत चीजें निकलती हैं जो मनुष्य के लिए किसी करिश्मे से कम नहीं होतीं। कई बार ऐसे प्रमाण भी मिलते हैं जो हजारों साल पहले हुई पौराणिक घटनाओं की पुष्टि करते हैं।

इसी सिलसिले में एक और नाम जुड़ गया है। एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन का प्रमाण मिल गया है। उनके मुताबिक प्रसिद्ध मंदराचल पर्वत मिल गया है जहां देवताओं व दानवों ने नागराज वासुकी को लपेटकर समुद्र मंथन किया था।


यह दक्षिण गुजरात के समुद्र में मिला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिंजरत गांव के पास समुद्र में मिला यह पर्वत कई विशेषताओं के कारण अनोखा है।। पर्वत के बीच में नाग की आकृति भी बताई जाती है।

आर्कियोलॉजिस्ट मितुल त्रिवेदी का कहना है कि कार्बन परीक्षण से कई दावों की पुष्टि होगी, लेकिन अब तक मिले प्रमाणों से इस मान्यता को बल मिलता है कि समुद्र मंथन में इस्तेमाल किया गया पर्वत यही है।

गौरतलब है कि पिंजरत गांव के समुद्र में 1988 में किसी प्राचीन नगर के अवशेष भी मिले थे। लोगों की यह मान्यता है कि वे अवशेष भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका के हैं। वहीं, शोधकर्ता डाॅ. एसआर राव का कहना है कि वे और उनके सहयोगी 800 मीटर की गहराई तक अंदर गए थे। इस पर्वत पर घिसाव के निशान भी हैं।

उल्लेखनीय है कि देव और दानवों ने समुद्र मंथन किया था। मंथन में मंदराचल पर्वत को केंद्र बनाया गया। मंथन के बाद कई अलौकिक वस्तुएं निकलीं। इनमें विष भी शामिल था। भगवान शिव ने जगत के कल्याण के लिए विषपान कर लिया था।
राजस्तान पत्रिका

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