Thursday, December 4, 2014

GAHLOT,SISODIYA,GOHIL -ANCESTOR IS SURYAVANSH- LAV OF SRI RAM JI

Photo: गेहलोत / गोहिल / सिसोदिया क्षत्रिय भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र लव के वंशज हैं। सूर्यवंश के आदि पुरुष की 65 वीं पीढ़ी में भगवान राम हुए 195 वीं पीढ़ी में वृहदंतक हुये। 125 वीं पीढ़ी में सुमित्र हुये। 155 वीं पीढ़ी अर्थात सुमित्र की 30 वीं पीढ़ी में गुहिल हुए जो गहलोत वंश की संस्थापक पुरुष कहलाये। गुहिल से कुछ पीढ़ी पहले कनकसेन हुए जिन्होंने सौराष्ट्र में सूर्यवंश के राज्य की स्थापना की। गुहिल का समय 540 ई. था।

गुह्यदत्त के वंश में बाप्पा रावल हुए बप्पा रावल ने सन 734 ई० में मान मोरी(मौर्य)  से चित्तौड
की सत्ता छीन  कर मेवाड में गहलौत वंश के शासक का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त किया। इनका काल सन 734  ई० से 753 ई० तक था।  

1. रावल बप्पा ( काल भोज ) - 734 ई० मेवाड राज्य के गहलौत शासन के सूत्रधार।
2. रावल खुमान - 753 ई०
3. मत्तट - 773 - 793 ई०
4. भर्तभट्त - 793 - 813 ई०
5. रावल सिंह - 813 - 828 ई०
6. खुमाण सिंह - 828 - 853 ई०
7. महायक - 853 - 878 ई०
8. खुमाण तृतीय - 878 - 903 ई०
9. भर्तभट्ट द्वितीय - 903 - 951 ई०
10. अल्लट - 951 - 971 ई०
11. नरवाहन - 971 - 973 ई०

12. शालिवाहन - 973 - 977 ई० (शालिवाहन जी के पुत्रो का खैरगढ़ पर राज था और उनकी  23 वी पीढ़ी में सेजकजी हुए जो  खैरगढ़ से गुजरात गए वहा उनके वन्सज गोहिल कहलाये और भावनगर ,पालिताना आदि राज्य कायम किये)

13. शक्ति कुमार - 977 - 993 ई०
14. अम्बा प्रसाद - 993 - 1007 ई०
15. शुची वरमा - 1007- 1021 ई०
16. नर वर्मा - 1021 - 1035 ई०
17. कीर्ति वर्मा - 1035 - 1051 ई०
18. योगराज - 1051 - 1068 ई०
19. वैरठ - 1068 - 1088 ई०
20. हंस पाल - 1088 - 1103 ई०
21. वैरी सिंह - 1103 - 1107 ई०
22. विजय सिंह - 1107 - 1127 ई०
23. अरि सिंह - 1127 - 1138 ई०
24. चौड सिंह - 1138 - 1148 ई०
25. विक्रम सिंह - 1148 - 1158 ई०

26. रण सिंह ( कर्ण सिंह ) - 1158 - 1168 ई० (वागड़ क्षेत्र में डूंगरपुर बांसवाड़ा राज्य कायम किया गहलोत वंश कहलाये) 

27. क्षेम सिंह - 1168 - 1172 ई०
28. सामंत सिंह - 1172 - 1179 ई०
29. कुमार सिंह - 1179 - 1191 ई०
30. मंथन सिंह - 1191 - 1211 ई०
31. पद्म सिंह - 1211 - 1213 ई०
32. जैत्र सिंह - 1213 - 1261 ई०
33. तेज सिंह -1261 - 1273 ई०

34. समर सिंह - 1273 - 1301 ई० (एक पुत्र कुम्भकरण नेपाल चले गए नेपाल के राणा राज वंश के शासक कुम्भकरण के ही वंशज हैं) 

35.रतन सिंह ( 1301-1303 ई० ) - इनके कार्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौडगढ पर अधिकार कर लिया। प्रथम जौहर पदमिनी रानी ने सैकडों महिलाओं के साथ किया। गोरा - बादल का प्रतिरोध और युद्ध भी प्रसिद्ध रहा।

36. महाराणा हमीर सिंह ( 1326 - 1364 ई० ) - हमीर ने अपनी शौर्य, पराक्रम एवं कूटनीति से मेवाड राज्य को तुगलक से छीन कर उसकी खोई प्रतिष्ठा पुनः स्थापित की और अपना नाम अमर किया महाराणा की उपाधि धारं किया। इसी समय से ही मेवाड नरेश महाराणा उपाधि धारण करते आ रहे हैं। इनके वंसज सिसोदिया कहलाये (इनके छोटे पुत्र सज्जन सिंह सत्तार दक्षिण (महाराष्ट्र) में चले गए जो  भोंसले वंश से प्रशिद हुए ) और (बड़े पुत्र के वंसज सिसोदिया नाम से 

तो इसी तरह बाप्पा रावल (कालभोज) के वंशजो के गुजरात महाराष्ट्र नेपाल मेवाड़ गुजरात में अपने राज्य कायम किये 

1) बाप्पा रावल के 12 वे पुत्र  शालिवाहन जी के पुत्रो का खैरगढ़ पर राज था और उनकी  23 वी पीढ़ी में सेजकजी हुए जो  खैरगढ़ से गुजरात गए वहा उनके वन्सज गोहिल कहलाये और भावनगर ,पालिताना आदि राज्य कायम किये ) 

2) बाप्पा रावल के 26 वे पुत्र कर्ण  सिंह से वागड़ क्षेत्र में डूंगरपुर बांसवाड़ा राज्य बने जो  गहलोत वंश कहलाये
 
 3)  बाप्पा रावल के 34 वे पुत्र समर सिंह के एक पुत्र कुम्भकरण नेपाल चले वह नेपाल में अपना राज्य कायम किया वहां वे  राणा वंश से विख्यात हुए 

4) बाप्पा रावल के 36 वे पुत्र हमीर सिंह के बड़े पुत्र के नाम से सिसोदिया शाखा चली जिनका राज्य विश्व प्रशिद्ध मेवाड़ रहा 

5) बाप्पा रावल के 36 वे पुत्र हमीर सिंह के छोटे  पुत्र सज्जन सिंह जो दखन (महाराष्ट्र) चले गए उनके नाम से वह भोसले वंश चला सज्जन सिंह जी के चौथे पुत्र भोसजी के नाम से भोसले वंश चला जिनके कोल्हापुर ,मुधोल,सावंतवाड़ी,सातारा आदि राज्य थे (इसको लेकर अन्य जातिया विवादित रहती है पर महाराष्ट्र के भोंसले ,घोरपडे राजवंश खुद अपने को सिसोदिया मानते है और पूर्वज सज्जन सिंह को छत्रपति शिवजी के राजतिलक के समय राजतिलक करने वाले वाराणसी के पंडित गंगा भट्ट ये बात प्रमाणित कर चुके है)
गेहलोत / गोहिल / सिसोदिया क्षत्रिय भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र लव के वंशज हैं। सूर्यवंश के आदि पुरुष की 65 वीं पीढ़ी में भगवान राम हुए 195 वीं पीढ़ी में वृहदंतक हुये। 125 वीं पीढ़ी में सुमित्र हुये। 155 वीं पीढ़ी अर्थात सुमित्र की 30 वीं पीढ़ी में गुहिल हुए जो गहलोत वंश की संस्थापक पुरुष कहलाये। गुहिल से कुछ पीढ़ी पहले कनकसेन हुए जिन्होंने सौराष्ट्र में सूर्यवंश के राज्य की स्थापना की। गुहिल का समय 540 ई. था।

गुह्यदत्त के वंश में बाप्पा रावल हुए बप्पा रावल ने सन 734 ई० में मान मोरी(मौर्य) से चित्तौड
की सत्ता छीन कर मेवाड में गहलौत वंश के शासक का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त किया। इनका काल सन 734 ई० से 753 ई० तक था।

1. रावल बप्पा ( काल भोज ) - 734 ई
० मेवाड राज्य के गहलौत शासन के सूत्रधार।
2. रावल खुमान - 753 ई०
3. मत्तट - 773 - 793 ई०
4. भर्तभट्त - 793 - 813 ई०
5. रावल सिंह - 813 - 828 ई०
6. खुमाण सिंह - 828 - 853 ई०
7. महायक - 853 - 878 ई०
8. खुमाण तृतीय - 878 - 903 ई०
9. भर्तभट्ट द्वितीय - 903 - 951 ई०
10. अल्लट - 951 - 971 ई०
11. नरवाहन - 971 - 973 ई०

12. शालिवाहन - 973 - 977 ई० (शालिवाहन जी के पुत्रो का खैरगढ़ पर राज था और उनकी 23 वी पीढ़ी में सेजकजी हुए जो खैरगढ़ से गुजरात गए वहा उनके वन्सज गोहिल कहलाये और भावनगर ,पालिताना आदि राज्य कायम किये)

13. शक्ति कुमार - 977 - 993 ई०
14. अम्बा प्रसाद - 993 - 1007 ई०
15. शुची वरमा - 1007- 1021 ई०
16. नर वर्मा - 1021 - 1035 ई०
17. कीर्ति वर्मा - 1035 - 1051 ई०
18. योगराज - 1051 - 1068 ई०
19. वैरठ - 1068 - 1088 ई०
20. हंस पाल - 1088 - 1103 ई०
21. वैरी सिंह - 1103 - 1107 ई०
22. विजय सिंह - 1107 - 1127 ई०
23. अरि सिंह - 1127 - 1138 ई०
24. चौड सिंह - 1138 - 1148 ई०
25. विक्रम सिंह - 1148 - 1158 ई०

26. रण सिंह ( कर्ण सिंह ) - 1158 - 1168 ई० (वागड़ क्षेत्र में डूंगरपुर बांसवाड़ा राज्य कायम किया गहलोत वंश कहलाये)

27. क्षेम सिंह - 1168 - 1172 ई०
28. सामंत सिंह - 1172 - 1179 ई०
29. कुमार सिंह - 1179 - 1191 ई०
30. मंथन सिंह - 1191 - 1211 ई०
31. पद्म सिंह - 1211 - 1213 ई०
32. जैत्र सिंह - 1213 - 1261 ई०
33. तेज सिंह -1261 - 1273 ई०

34. समर सिंह - 1273 - 1301 ई० (एक पुत्र कुम्भकरण नेपाल चले गए नेपाल के राणा राज वंश के शासक कुम्भकरण के ही वंशज हैं)

35.रतन सिंह ( 1301-1303 ई० ) - इनके कार्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौडगढ पर अधिकार कर लिया। प्रथम जौहर पदमिनी रानी ने सैकडों महिलाओं के साथ किया। गोरा - बादल का प्रतिरोध और युद्ध भी प्रसिद्ध रहा।

36. महाराणा हमीर सिंह ( 1326 - 1364 ई० ) - हमीर ने अपनी शौर्य, पराक्रम एवं कूटनीति से मेवाड राज्य को तुगलक से छीन कर उसकी खोई प्रतिष्ठा पुनः स्थापित की और अपना नाम अमर किया महाराणा की उपाधि धारं किया। इसी समय से ही मेवाड नरेश महाराणा उपाधि धारण करते आ रहे हैं। इनके वंसज सिसोदिया कहलाये (इनके छोटे पुत्र सज्जन सिंह सत्तार दक्षिण (महाराष्ट्र) में चले गए जो भोंसले वंश से प्रशिद हुए ) और (बड़े पुत्र के वंसज सिसोदिया नाम से

तो इसी तरह बाप्पा रावल (कालभोज) के वंशजो के गुजरात महाराष्ट्र नेपाल मेवाड़ गुजरात में अपने राज्य कायम किये

1) बाप्पा रावल के 12 वे पुत्र शालिवाहन जी के पुत्रो का खैरगढ़ पर राज था और उनकी 23 वी पीढ़ी में सेजकजी हुए जो खैरगढ़ से गुजरात गए वहा उनके वन्सज गोहिल कहलाये और भावनगर ,पालिताना आदि राज्य कायम किये )

2) बाप्पा रावल के 26 वे पुत्र कर्ण सिंह से वागड़ क्षेत्र में डूंगरपुर बांसवाड़ा राज्य बने जो गहलोत वंश कहलाये

3) बाप्पा रावल के 34 वे पुत्र समर सिंह के एक पुत्र कुम्भकरण नेपाल चले वह नेपाल में अपना राज्य कायम किया वहां वे राणा वंश से विख्यात हुए

4) बाप्पा रावल के 36 वे पुत्र हमीर सिंह के बड़े पुत्र के नाम से सिसोदिया शाखा चली जिनका राज्य विश्व प्रशिद्ध मेवाड़ रहा

5) बाप्पा रावल के 36 वे पुत्र हमीर सिंह के छोटे पुत्र सज्जन सिंह जो दखन (महाराष्ट्र) चले गए उनके नाम से वह भोसले वंश चला सज्जन सिंह जी के चौथे पुत्र भोसजी के नाम से भोसले वंश चला जिनके कोल्हापुर ,मुधोल,सावंतवाड़ी,सातारा आदि राज्य थे (इसको लेकर अन्य जातिया विवादित रहती है पर महाराष्ट्र के भोंसले ,घोरपडे राजवंश खुद अपने को सिसोदिया मानते है और पूर्वज सज्जन सिंह को छत्रपति शिवजी के राजतिलक के समय राजतिलक करने वाले वाराणसी के पंडित गंगा भट्ट ये बात प्रमाणित कर चुके है)

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