Thursday, December 18, 2014

COMBODIA

कम्बोडिया का संस्थापक
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चीनी पुस्तक "लिआं शु" (Leang Shu) मेंं लिखा है कि ईसा के बाद की प्रथम शताब्दी में कौण्डिन्य नाम का एक ब्राह्मण भारत से कम्बोडिया आया।

कम्बोडिया "कम्बोज" का अपभ्रंश है और इसे चीनी में "फुनान" (Funan) कहते हैं। वह द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा से भेंट लाया था। चीनी पुस्तक में लिखा है कि उसे आकाशवाणी हुई थी कि तुम फुनान (कम्बोडिया) जाओ।

डॉक्टर बी. आर. चटर्जी "Indian Contribution to World Thought And Culture" में लिखते हैं कि कौण्डिन्य ने कम्बोज आकर वहाँ की रानी को शास्त्रार्थ में पराजित करके उससे विवाह कर लिया और फुनान में अपने वंश की नींव डाली।

फुनान का अर्थ है---पहाडी। संस्कृत में पहाड के लिए "शैल" शब्द का भी प्रयोग होता है। इसीलिए कम्बोज के इतिहास की परम्परा में कम्बोज के कौण्डिन्य के वंशज राजाओं को "शैलेन्द्र-वंश" कहा जाता है।

उक्त चीनी पुस्तक में लिखा है कि कौण्ड़िन्य को देश की सम्पूर्ण जनता ने बडे उत्साह से देश का राजा स्वीकार किया और उसने देशी की पहले से चली आ रही सारी राज्य-व्यवस्था तथा शासन-प्रणाली को बदलकर नया रूप दिया।

कौण्डिन्य-वंश के राजा की सूचीः---
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(1.) कम्बु स्वायंभुव,
(2.) श्रुतवर्मन्,
(3.) श्रेष्ठवर्मन्,
(4.) कौण्डिन्य,
(5.) रुद्रवर्मन् प्रथम,
(6.) भववर्मन्,
(7.) महेन्द्रवर्मन्,
(8.) ईशानवर्मन्, प्रथम,
(9.) जयवर्मन्, प्रथम,
(10.) जयवर्मन् द्वितीय,
(11.) जयवर्मन् तृतीय,
(12.) रुद्रवर्मन् द्वितीय,
(13.) पृथिवीन्द्र वर्मन्,
(14.) इन्द्रवर्मन्,
(15.) यशोवर्मन्,
(16.) ईशान वर्मन् द्वितीय,
(17.) हर्षवर्मन् प्रथम,
(18.) जयवर्मन् चतुर्थ,
(19.) हर्षवर्मन्, द्वितीय,
(20.) राजेन्द्र वर्मन्,
(21.) जयवर्मन् पंचम,
(22.) उदयादित्य वर्मन् प्रथम,
(23.) जयवीर वर्मन्,
(24.) उदयादित्य वर्मन् द्वितीय,
(25.) हर्षवर्मन् तृतीय,
(26.) उदयार्क वर्मन्,
(27.) जयवर्मन् षष्ठ,
(28.) धरणीन्द्र वर्मन् प्रथम,
(29.) सूर्य वर्मन्,
(30.) धरणीन्द्र वर्मन् द्वितीय,
(31.) जयवर्मन् सप्तम,

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