मुगल- अकबर की महानता के लक्षण --------------!

बामपंथी इतिहासकारों की दुनिया १५० वर्ष या १३०० वर्ष से अधिक २००० वर्ष तक ही जाती है उन्हें हिन्दू वांगमय, वैदिक वांगमय अथवा महाभारत, रामायण इतिहास दिखाई नहीं देता वे हमारी मान्यताओं की धज्जी उड़ाकर इसे इतिहास मानने को तैयार नहीं ''जैसे यदि मुर्गा वाग नहीं दे तो सुबह नहीं होगी'' ! इनके लिखने से कुछ नहीं होता उन्हें पता नहीं कि श्रुती यानी वेद लाखों वर्ष श्रुती के आधार पर सुरक्षित रहा भारत में उनकी कोई जगह नहीं, मुग़ल आक्रमणकारी थे यह सिद्ध हो चुका है भारतीय राजाओं ने लगातार संघर्ष कर मुगल (परकीय) सत्ता समाप्त करने का संकल्प लिया था, केवल कुछ चापलूस ही अकबर को शहंशाहे हिन्द कहते थे क्योंकि अकबर की सत्ता तो स्थिर थी नहीं, राजपूताना ने मुगलों को कभी स्वीकार नहीं किया यहाँ तककि राजा मान सिंह को अपना आवास आगरा में बनाना पड़ा वे राजस्थान में मुह दिखाने के लायक नहीं थे वे उसी प्रकार थे कि जैसे एक नककटे ब्यक्ति ने संप्रदाय चला पूरे राज्य के लोगो की नाक कटवा दी उसी प्रकार मानसिंह ने अपनी बेटी तो दी ही साथ में जागीर की लालच में बहुत से राजपूतों की राज कुमारियों को भी तुर्क हरम में पहुचायीं सभी एक से हो गए इस कारण कोई भी राणाप्रताप के सामने ठहर नहीं सकता था, गुजरात, मालवा, मराठा, बिहार, बंगाल असम तथा दक्षिण का कोई प्रदेश मुगलों के कब्जे में नहीं रहा फिर काहेका शहंशाहे हिन्द ! महाराणा प्रताप के स्वदेश, स्वधर्म संघर्ष ने उन्हे महान बना दिया प्रत्येक भारतीय उनके चित्र अपने घर मे लगा अपने को धन्य मानता है क्या कोई अकबर का भी चित्र लगता है! महान तो एक ही हो सकता है महाराणा अथवा अकबर---!
अकबर के पास कोई महानता का लक्षण नहीं था अकबर के हरम मे 500 बीवियाँ थीं इस्लाम मे कौन कितना वीवी रखता है उसी मे मुक़ाबला होता है अकबर की यही महानता थी, चित्तौण हमले के समय महारानी जयमल मेतावड़िया के साथ १२ हज़ार क्षत्राणियों का जौहर हुआ था क्या यही थी मु. जलालुद्दीन अकबर की महानता-? वह मीना बाज़ार लगवाता था जिसमे स्वयं महिला वेश मे जाता था जिसमे हिन्दू लडिकियाँ बेची-खरीदी जाती थी, उसने सभी क्षत्रिय राजकुमारियों से ही विवाह किया न कि किसी मुगल शाहजादी का विवाह किसी क्षत्रिय कुमार के साथ किया, मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों राजा टोडरमल, पं तानसेन, बीरबल सभी को इस्लाम स्वीकार करवाया केवल मानसिंह ही बचा था, मुगल दरबार तुर्की, ईरानी शक्ल ले चुका था भारतीयता का कहीं नाम नहीं था, वह भारत मे लुटेरा था हमलावर था जोधाबाई तड़पती रहती थी, मुगलों की हुकूमत है उसका ईमान इस्लाम है जोधाबाई ने अपनी कोख से सलीम को पैदा किया लेकिन सलीम ने कभी भी जोधा को अपनी माँ नहीं स्वीकार किया उसकी शिक्षा -दीक्षा भारतीयता बिरोधी हुई उसी जोधाबाई की कोख द्वारा गुरु अर्जुनदेव का बधिक पैदा हुआ।
मेवाड़ के हजारों निहत्थे किसानों की हत्या यही उसकी महानता ! मेवाड़ के बिरोध मे आमेर, बीकानेर इत्यादि को राजा की उपाधि देकर राणा के समानान्तर खड़ा करने का असफल प्रयास किया क्योंकि ये कोई राजा नहीं थे ये तो मेवाण राणा सांगा के रिआया यानी जागीरदार थे, राजपूतों को मांसाहार और ऐयासी की आदत डाली, मानसिंह जब मेवाण पर हमला किया तो अकबर ने कहा की कोई भी मारे दोनों तरफ हिन्दू ही हैं मानसिंह के पराजय के पश्चात कभी भी उसने महाराणा पर हमला के लिए नहीं भेजा हमेसा मुस्लिम सेनापतियों को ही भेजा, अकबर हिन्दू संतों का अपमान करने हेतु अपने दरबार मे बुलाता कुम्हन दास और संत तुलसीदास इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं विनय पत्रिका मे प्रकारांतर से वर्णन किया है, उसका मानसिंह के संत तुलसीदास से मिलने के पश्चात मान सिंह से विस्वास उठ गया था उसने मानसिंह को दूध मे जहर दिया लेकिन गिलाश बदल गया और जहर अकबर पी गया उसी से उसकी मृत्यु हो गयी।
अकबर न तो महान था न ही शहंसाहे हिन्द वह भारत के छोटे से हिस्से मे ही संघर्ष करता हुआ आत्म हत्या को मजबूर हुआ----!
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