
यह घटना १८८० से पहले की इसलिए है क्यूंकि इसके बाद गांववाले साईं के प्रचार प्रसार में जुट गए थे,और कोई भी किसी चीज के लिए साईं को मन नहीं कर सकता था.सन १८९० से मस्जिद में चिराग जलाने का काम अब्दुल बाबा करते थे, अपने जीवन पर्यन्त वे मस्जिद में और बाद में बाबा की कब्र पर चिराग जलाते रहे. इस घटना में सिर्फ एक ही चिराग जलाया गया था क्यूंकि जैसा आपलोग जानते हैं बाबा १९१० के पहले मस्जिद में किसी भी तरह की हिन्दू गतिविधि का विरोध करते थे यह बात बाबा के प्रसिद्ध भक्त श्री हरी विनायक साठे ने अपने एक inerview में साईं प्रचारक बी.वि.नार्सिम्हास्वमी को बताई थी (पेज न १२२, Devotee’s Experience) ,इसलिए यह अतिश्योक्ति(exaggretion ) हे की बहुत से दिए जलाये.
चमत्कार तो भगवान स्वयं भी नहीं करते क्यूंकि हर घटना प्रकृति के नियमो के अनुसार होती है और यह नियम भगवान के ही बनाये हुए हैं और भगवान अपने बनाये हुए नियमो को स्वयं कैसे तोड़ सकते हैं.जब भगवान प्रकृति नियमों के विरुद्ध नहीं जाते तो साईं जैसों की औकात ही क्या है चमत्कार करने की.
आँखे खोलो साईं भक्तों यह एक बहुत बड़ा षड़यंत्र है पैसे कमाने के लिए.
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