Thursday, May 1, 2014

10 जनपथ से जुड़े मोइन के तार


4 केन्द्रीय मंत्री और एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी जांच के दायरे में
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को एक और करारा झटका लगा है। आयकर विभाग की छापेमारी में मांस व हवाला कारोबारी मोइन कुरैशी पर कसे शिकंजे में कई अहम राज उजागर होने के संकेत मिले हैं। विभाग ने 15 अप्रैल को अपनी जांच खत्म की है। इस कार्रवाई के तहत कुरैशी के यहां से करीब 6 करोड़ की नकद राशि जब्त हुई है और उसके 20 लॉकर सील किए हैं। खासबात यह है पिछले 60 दिनों में हुई 520 घंटे फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग में 10 जनपथ से जुड़े एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, 4 केन्द्रीय मंत्री और 2जी घोटाले में संलिप्त कई उद्योगपतियों की भूमिका भी संदिग्ध जतायी जा रही है।
आयकर विभाग की टीम फोन पर हुई बातचीत के आधार पर जल्द ही उन केन्द्रीय मंत्रियों और उद्योगपतियांे से पूछताछ शुरू करने वाली है। ऐसे में माना जा रहा है कि कई अहम राज सामने आ सकते हैं। आयकर विभाग की टीम काफी पहले से कुरैशी पर नजर रखे हुई थी। सूत्रों के अनुसार इस सिलसिले में गत 16 फरवरी को आयकर विभाग ने कुरैशी के दिल्ली में छतरपुर, गुड़गांव और नोएडा के विभिन्न ठिकानों पर पहली बार छापेमारी की थी। डिजिटल फॉरमेट वाली यह रिकॉर्डिंग झंडेवालान स्थित आयकर विभाग के महानिदेशक कार्यालय में जमा है। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान कुरैशी ने बताया है कि सील किए गए लॉकर उसी के हैं जिनमें वह मोटी रकम जमा कराता था। जांच में यह भी पता लगा है कि एक पूर्व सीबीआई अधिकारी का डिफेंस कॉलोनी स्थित मकान, जो कि उनकी मां के नाम है, उसमें कुरैशी ने अपना दफ्तर खोला हुआ था।
कुरैशी द्वारा उस पूर्व सीबीआई अधिकारी को 2जी घोटाला मामले की जांच के दौरान दुबई-लंदन यात्रा के वक्त रिश्वत की रकम भी मुहैया करवाई गई थी। आयकर विभाग की टीम डिफेंस कॉलोनी स्थित दो अन्य मकानों की भी छानबीन कर रही है। इनमें से एक मकान में दून स्कूल के पूर्व छात्रों की संस्था का कार्यालय चलाया जा रहा है, जिस संस्था का कुरैशी अध्यक्ष भी है। यही नहीं केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह उस संस्था के उपाध्यक्ष हैं। पिछले एक दशक में कुरैशी ने अपार धन-संपत्ति अर्जित की है। उसने मांस निर्यात का सालाना कारोबार 167 करोड़ का बताया है, जबकि आयकर विभाग का मानना है कि यह वास्तविकता से काफी कम है यानी उसने गलत जानकारी दी है। कुरैशी ने लंदन और दुबई में अपने खातों में भी लेन-देन में सही जानकारी मुहैया नहीं कराई है। आयकर विभाग की टीम पिछले दो माह में एकत्रित किए गए तथ्य और कुरैशी से हुई पूछताछ की बारीकी से जांच कर रही है। हवाला की रकम मिलने की वजह से मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय को भी सौंपी जा सकती है। प्रतिनिधि
तंजौर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी पर हमला
तमिलनाडु में तंजौर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी श्री करुपू मुरगानाथम पर गत 14 अप्रैल को मल्लीपट्टीनम में प्रचार के दौरान जिहादियों ने हमला कर दिया। सोशल डेमोके्रटिक पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े ये हमलावर हथियारों से लैस होकर आए थे। उन्होंने वहां पहंुचते ही प्रत्याशी पर हमला बोल दिया, इस दौरान उनकी कार भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दी गई। वहां मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रत्याशी को बचाने का काफी प्रयास किया, जिस दौरान वे भी बुरी तरह से घायल हो गए। हैरानी की बात यह है कि प्रत्याशी मुरगानाथम पर पुलिस की उपस्थिति में ही हमला किया गया। मुरगानाथम ने किसी तरह वहां से निकलकर अपनी जान बचाई। यह हमला तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के उस भाषण के कुछ ही घंटों बाद किया गया जिसमें उन्होंने भाजपा पर तीखे प्रहार किए थे। जयललिता ने कहा था, भाजपा प्रत्याशियों की चुनाव में जमानत जब्त होगी। एक विशेषज्ञ के अनुसार पूरे राज्य में भाजपा प्रत्याशियों पर ऐसे हमले आगे भी कराए जा सकते हैं। प्रतिनिधि
तमिलनाडु में कट्टरवादियों को मिल रहा पुलिस से संरक्षण
तमिलनाडु पुलिस के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने पुलिस महानिदेशक को पिछले वर्ष एक हैरान करने वाला पत्र लिखा था जिसमें मुस्लिम मुखबिर और पुलिस के गुप्तचर विभाग के बीच साठगांठ का आरोप लगाया गया था। अधिकारी का कहना था कि वर्ष 2011 में मदुरै में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के मार्ग में मुस्लिम मुखबिर ने ही उच्च क्षमता वाला विस्फोटक रखा था।
मदुरै के पूर्व पुलिस अधीक्षक वी. बालाकृष्णन ने महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक को मार्च और अगस्त 2013 में लिखे अपने दो गोपनीय पत्रों में यह संवेदनशील प्रकरण उठाया था। गत 10 अप्रैल को चेन्नै उच्च न्यायालय में मदुरै पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता पीटर रमेश कुमार ने इन पत्रांे के माध्यम से तथ्य प्रस्तुत किए, जो कि अलग-अलग पाए गए विस्फोटकों में मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
बालाकृष्णन ने दलील देते हुए पीठ के समक्ष कहा कि पुलिस के मुखबिर मुस्लिम समुदाय के हैं, जो कि पुलिस के भरोसे का लाभ उठाकर गुप्तचर विभाग में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों के साथ सक्रिय हैं। बालकृष्णन ने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि 29 मार्च, 2013 को अवनियापुरम पुलिस द्वारा सैयद वहाब और इस्मत के खिलाफ रंगदारी का एक मामला दर्ज किया गया था। इस्मत ही वह मुखबिर था जिसने रथयात्रा के रास्ते में विस्फोटक रखा था। इसके अलावा हवलदार विजय पेरुमल, जो कि मदुरई पुलिस के गुप्तचर विभाग में तैनात था। विजय वहाब के साथ मिला हुआ था और ये जमीन की खरीद-फरोख्त में शामिल थे।
23 अगस्त, 2013 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को लिखे दूसरे पत्र का जिक्र करते हुए बालाकृष्णन ने कहा कि विस्फोटक मामले की जांच से जुड़े एसआईटी में तैनात एक निरीक्षक मदासमी का भी तबादला कर दिया गया था। ऐसा करना मुस्लिम कट्टरवादियों की विध्वंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने का संकेत था। याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय में यह भी कहा कि पुलिस की मिलीभगत और दखल की वजह से ही मुख्य आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश आर. सुभया कर रहे हैं। प्रतिनिधि

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