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Wednesday, March 11, 2015

Mata temple of jaisalmer protected Indian Army


Tannot Mata saved indian army soldiers in India Pakistan war in 1965 and 1971
जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर भारत-पाक सीमा से पास है मंदिर, भाटी राजा ने रखी थी मंदिर की नींव
यूं तो भारतीय सेना दुनिया की सर्वाधिक सक्षम 5 सेनाओं में एक हैं परन्तु भारतीय सेना के पास कुछ ऎसी भी चीजें है जो दुनिया की किसी सेना के पास नहीं है और जिनके दम पर भारतीय सेना हमेशा जीतती रही है। इन्हीं में एक है तन्नौट माता का आर्शीवाद। जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर भारत पाक सीमा पर स्थित एक मन्दिर में विराजमान तन्नौट माता ने 1965 के युद्ध में पाक सेना के 3000 से भी अधिक गोलों को बेअसर कर भारतीय सेना को बचाया था। किंवदंती है कि उस समय पाक सेना ने जितने भी गोले मन्दिर परिसर के आस-पास दागे उनमें से एक भी नहीं फटा और हमारे देश की सेना का कोई नुकसान नहीं हुआ।

कहा जाता है संवत 847 में भाटी राजपूत राजा तनु राव ने तन्नौट को अपनी राजधानी बनाया था। उसी समय इस मन्दिर की नींव रखी गई थी और मां की मूर्ति की स्थापना की गई। बदलते समय के साथ भाटी राजाओं की राजधानी तन्नौट से जैसलमेर हो गई, लेकिन मन्दिर वहीं का वहीं रहा। वर्तमान में मन्दिर बीएसएफ और आर्मी के जवानों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाता है। तन्नौट माता को देवी हिंगलाज का अवतार माना जाता है। उल्लेखनीय है कि देवी हिंगलाज का मन्दिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है।


1965 में दिया था सेना के जवानों को बचाने का वचन
बीएसएफ के जवानों के अनुसार अक्टूबर 1965 में पाकिस्तान ने जैसलमेर पर हमला कर दिया। उस समय तन्नौट माता ने सेना के कुछ जवानों को स्वप्न में दर्शन दिए और आश्वासन दिया कि मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी। दूसरी तरफ पाकिस्तान ने किशनगढ़ और साढ़ेवाला पर कब्जा कर तन्नौट को दोनों तरफ से घेर लिया और भारी बमबारी की। बीएसएफ के अनुसार पाक सेना ने लगभग 3000 से अधिक गोले दागे पर मां के आशीर्वाद के चलते अधिकांश गोले या तो फटे ही नहीं या खुले में जाकर ब्लास्ट हो गए, जिसके चलते जान-माल का कोई नुकसान नहीं हो पाया। इसी दौरान भारतीय सेना की एक टुकड़ी वहां आ पहुंची और पाक सेना को भागने पर मजबूर होना पड़ा। इस युद्ध में पाक सेना के काफी जवान मारे गए।


वर्ष 1971 में भी मां ने भारतीय सेना के जवानों की रक्षा की
4 दिसम्बर 1971 की रात पाक सेना ने अपनी टैंक रेजीमेंट के साथ भारत की लोंगेवाला चौकी पर हमला कर दिया। उस समय वहां पर बीएसएफ और पंजाब रेजीमेंट की एक-एक कम्पनी तैनात थी। परन्तु तन्नौट मां के आशीर्वाद से इन दोनों कम्पनियों ने पाक सेना के सभी आक्र मणकारी टैंकों को खत्म कर दिया। सुबह होते ही भारतीय वायु सेना ने भी हमला कर दिया, जिसके चलते पाक सेना के कुछ ही जवान जीवित लौट सके जबकि भारतीय सेना का एक जवान शहीद हुआ। लोंगेवाला का युद्ध पूरे विश्व का अपने तरह का अकेला युद्ध था, जिसमें आक्रमणकारी सेना का एकतरफा खात्मा हो गया। बाद में भारतीय सेना ने यहां पर विजय स्तंभ का निर्माण करवाया।

मां तन्नौट के मंदिर ने युद्ध में सुरक्षा बलों को कवच बनकर बचाया। युद्ध के बाद सुरक्षा बलों ने मन्दिर की जिम्मेदारी पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली। मंदिर में एक संग्रहालय भी है जहां वे गोले रखे हुए हैं। मंदिर में पुजारी भी सैनिक ही है। प्रतिदिन सुबह-शाम आरती होती है तथा मंदिर के मुख्य द्वार पर एक सिपाही तैनात रहता है। कुछ इसी तरह की कहानी भारत के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल और चार धामों में से एक द्वारिकाधीश मंदिर की भी है। इस मंदिर पर 7 सितम्बर 1965 को पाकिस्तान की नौसेना ने जमकर बमबारी की थी। इस मिशन को पाकिस्तान ने मिशन द्वारिका नाम दिया था। पाक रेडियो पर जारी एक समाचार में पाक नौसैनिकों ने कहा, "मिशन द्वारिका कामयाब हुआ, हमने द्वारिका का नाश कर दिया। हमने कुछ ही मिनटों के अंदर मंदिर पर 156 बम फेंककर मंदिर को तबाह कर दिया।"

हालांकि यह उनकी गहतफहमी ही थी। पाक नौसेना के दागे अधिकतर गोले द्वारिकाधीश मंदिर तक पहुंच ही नहीं सके थे। वे समुद्र में गिरकर डिफ्यूज हो गए थे। हाला ंकि कुछ बमों से मंदिर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिसका बाद में पुनरूद्धार कर दिया गया। - 
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