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Thursday, January 1, 2015

गोधरा कांड, TRUTH OF GODHRA, GUJRAT

वैधानिक चेतावनी : ये पोस्ट आपका मानसिक संतुलन बिगाड़ सकती है
इसलिये इस न पढ़ेँ इसे पढ़कर पागल होने वाले किसी भी ठलुये के प्रति मेरी
की कोई जबावदेही नहीँ होगी !
यह सच हर हिंदू को पता होना चाहिए... एक बार इसे पढ़े जरुर.....
दरअसल ..... जहाँ देखो वहाँ गुजरात के दंगो के बारे में ही सुनने और देखने
को मिलता है... फिर चाहे वो गूगल हो या फेसबुक .. हो या फिर
टीवी...! रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं.....रोज गुजरात की सरकार को कटघरे
में खड़ा किया जाता है...!
असल में.....सबका निशाना केवल एक नरेन्द्र भाई मोदी.....क्योंकि, वे हम
हिन्दुओं के चहेते हैं... जिस कारण मुस्लिम तथा सेकुलर जी- जान से इस काम में
जुटे हैं...! जिसे देखो... वो अपने को जज दिखाता है.... हर कोई सेकुलरता के
नाम पर एक ही स्वर में गुजरात दंगो की भर्त्सना करते हैं.....
हालाँकि, मै भी दंगो को गलत मानता हूँ क्योंकि दंगे सिर्फ दर्द दे कर
जाते हैं ...!
लेकिन...... सबसे बड़ा सवाल यह है कि.....गुजरात दंगा हुआ क्यों..........? 27
फरवरी २००२ को साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को गोधरा रेलवे स्टेशन से
करीब 826 मीटर की दुरी पर जला दिया गया था....जिसमे 57 मासूम,
निहत्थे और निर्दोष हिन्दू कारसेवकों की मौत हो गयी थी... ! प्रथम
द्रष्टा रहे वहाँ के 14 पुलिस के जवान जो उस समय स्टेशन पर मौजूद थे.. और
उनमे से 3 पुलिस वाले घटना स्थल पर पहुंचे और साथ ही पहुंचे अग्नि शमन दल के
एक जवान सुरेशगिरी गोसाई जी....! अगर हम इन चारो लोगों की मानें
तो
"म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल" भीड़ को आदेश दे रहे थे.... ट्रेन के
इंजन को जलाने का......! साथ ही साथ.... जब ये जवान आगबुझाने
की कोशिश कर रहे थे..... तब भीड़ के द्वारा ट्रेन पर पत्थरबाजी चालू कर
दी गई ......!
अब इसके आगे बढ़ कर देखें तो....
जब गोधरा पुलिस स्टेशन की टीम पहुंची तब 2 लोग 10 ,000 की भीड़
को उकसा रहे थे.... ये थे म्युनिसिपल प्रेसिडेंट मोहम्मद कलोटा और
म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल.....!अब सवाल उठता है कि.....
मोहम्मद कलोटा और हाजी बिलाल को किसने उकसाया और ये ट्रेन
को जलाने क्यों गए......?????
सवालो के बाढ़ यही नहीं रुकते हैं..... बल्कि सवालो की लिस्ट
अभी काफी लम्बी है......
अब सवाल उठता है कि .... क्यों मारा गया ऐसे राम भक्तो को......???
कुछ मीडिया ने बताया की ये मुसलमानों को उकसाने वाले नारे
लगा रहे….अब क्या कोई बताएगा कि ..... क्या भगवान राम के भजन
मुसलमानों को उकसाने वाले लगते हैं......?????
लेकिन इसके पहले भी एक हादसा हुआ 27 फ़रवरी 2002 को सुबह 7 .43 मिनट 4
घंटे की देरी से जैसे ही साबरमती ट्रेन चली और प्लेटफ़ॉर्म छोड़ा तो...
प्लेटफ़ॉर्म से 100 मीटर की दुरी पर ही 1000 लोगो की भीड़ ने ट्रेन पर
पत्थर चलाने चालूकर दिए .....! पर, यहाँ रेलवे की पुलिस ने भीड़ को तितर-
बितर कर दिया और ट्रेन को आगे के लिए रवाना कर दिया.....!
लेकिन, जैसे ही ट्रेन मुश्किल से 800 मीटर चली...... अलग-अलग बोगियों से
कई बार चेन खींची गई....! बाकी की कहानी जिस पर
बीती उसकी जुबानी.......... उस समय मुश्किल से से
15-16 की बच्ची की जुबानी......... ये बच्ची थी कक्षा 11 में पढने
वाली गायत्री पंचाल जो कि उस समय अपने परिवार के साथ
अयोध्या से लौट रही थी .... उसकी मानें तो... ट्रेन में राम धुनचल
रहा था और ट्रेनजैसे ही गोधरा से आगे बढ़ी ..... एक दम से चेन खींच कर रोक
दिया गया ...! उसके बाद देखने में आया कि ... एक भीड़ हथियारों से लैस
हो कर ट्रेन की तरफ बढ़ रही है.....! हथियार भी कैसे....... लाठी-
डंडा नहीं बल्कि.... तलवार, गुप्ती, भाले, पेट्रोल बम्ब, एसिड बम और
पता नहीं क्या क्या.........! भीड़ को देख कर ट्रेन में सवार यात्रियों ने
खिड़की और दरवाजे बंद कर लिए.......! पर भीड़ में से जो अन्दर घुस आए
थे ...वो कार सेवको को मार रहे थे और उनके सामानों को लूट रहे थे और
साथ ही बाहर खड़ी भीड़ मारो -काटो के नारे लगा रही थी....! एक
लाउड स्पीकर जो कि पास के मस्जिद पर था.उससे बार बार ये आदेश
दिया जा रहा था कि ..... “मारो... काटो.. लादेन ना दुश्मनों ने
मारो” ! इसके साथ ही.... साथ ही बहार खड़ी भीड़ ने पेट्रोल डाल कर
आग लगाना चालू कर दिया... जिससे कोई जिन्दा ना बचे....! ट्रेन
की बोगी में चारो तरफ पेट्रोल भरा हुआ था....! दरवाजे बाहर से बंद कर
दिए गए थे , ताकि कोई बाहर ना निकल सके...! एस-6 और एस-7 के वैक्यूम
पाइप काट दिए गए थे ...... ताकि ट्रेन आगे बढ़ ही नहीं सके......! जो लोग
जलती ट्रेन से किसी प्रकार बाहर निकल भी गए तो.... उन्हें तेज
हथियारों से काट दिया गया .... कुछ गहरे घाव की वजह से वहीँ मारे गए
और कुछ बुरी तरह घायल हो गए....!
अब सवाल उठता है कि.... हिन्दुओं ने सुबह 8 बजे ही दंगा क्यों नहीं शुरू कर
किया बल्कि हिन्दू उस दिन दोपहर तक शांत बना रहा (ये बात आज तक
किसी को नहीं दिखी है)....????????
असल में..... हिन्दुओं ने जवाब देना तब चालू किया जब उनके घरों , गावों ,
मोहल्लो में वो जली और कटी फटी लाशें पहुंची......!
क्या ये लाशें हिन्दुओं को को मुसलमानों की तरफ से गिफ्ट
थी जो हिन्दुओं को शांत बैठना चाहिए था .....
सेकुलर बन कर ???????
हिन्दू सड़क पर उतरे 27 फ़रवरी 2002 की दोपहर से.....! पुरे एक दिन हिन्दू
शांति से घरो में बैठे रहे....| अगर वो दंगा हिन्दुओं ने या मोदी ने
करना था तो 27 फ़रवरी 2002 की सुबह 8 बजे से ही क्यों नहीं चालू
हुआ....???
मोदी ने 28 फ़रवरी 2002 की शाम को ही आर्मी को सडको पर लाने
का आदेश दिया जो कि अगले ही दिन १ मार्च २००२ को हो गया और
सडको पर आर्मी उतर आयी ..... गुजरात को जलने से बचाने के लिए....! पर
भीड़ के आगे आर्मी भी कम पड़ रही थी तो १ मार्च २००२ को ही मोदी ने
अपने पडोसी राज्यों से सुरक्षा कर्मियों की मांग करी...!
ये पडोसी राज्य थे महाराष्ट्र (कांग्रेस शासित- विलास राव देशमुख -
मुख्य मंत्री), मध्य प्रदेश (कांग्रेस शासित- दिग्विजय सिंह -मुख्य मंत्री),
राजस्थान (कांग्रेस शासित- अशोक गहलोत- मुख्य मंत्री) और पंजाब
(कांग्रेस शासित- अमरिंदर सिंह मुख्य मंत्री) ...! क्या कभी किसी ने
भी.......... इन माननीय मुख्यमंत्रियों से एक बार भी पुछा है कि ........ अपने
सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं भेजे गुजरात में जबकि गुजरात ने आपसे
सहायता मांगी थी..........??????? या ये एक सोची समझी गूढ़
राजनितिक विद्वेष का परिचायक था.... इन प्रदेशो के
मुख्यमंत्रियों का गुजरात को सुरक्षा कर्मियों का ना भेजना...????
उसी 1 मार्च 2002 को हमारे राष्ट्रीय मानवाधिकार (National Human
Rights) वालो ने मोदी को अल्टीमेटम दिया ३ दिन में पुरे घटनाक्रम
का रिपोर्ट पेश करने के लिए ...! लेकिन... कितने आश्चर्य की बात है कि...
यही राष्ट्रीय मानवाधिकार वाले २७ फ़रवरी २००२ और २८ फ़रवरी २००२
को गायब रहे ..... इन मानवाधिकार वालो ने तो पहले दिन के ट्रेन के फूंके
जाने पर ये रिपोर्ट भी नहीं माँगा कि क्या कदम उठाया गया गुजरात
सरकार के द्वारा...!
एक ऐसे ही सबसे बड़े घटना क्रम में दिखाए गए या कहे तो बेचे गए........
“गुलबर्ग सोसाइटी” के जलने की.......
इस गुलबर्ग सोसाइटी ने पुरे मीडिया का ध्यान अपने तरफ खींच लिया |
यहाँ एक पूर्व सांसद एहसान जाफरी साहब रहते थे......! इन महाशय
का ना तो एक भी बयान था २७ फरवरी २००२ को और ना ही ये डरे थे उस
समय तक.......! लेकिन...... जब २८ फरवरी २००२ की सुबह जब कुछ लोगो ने इनके
घर को घेरा जिसमे कुछ तथाकथित मुसलमान भी छुपे हुए थे..... तो एहसान
जाफरी जी ने भीड़ पर गोली चलवा दिया ........ अपने लोगो से जिसमे 2
हिन्दू मरे और 13 हिन्दू गंभीर रूप से घायल हो गए.....! जब इस घटनाक्रम के
बाद इनके घर पर भीड़ बढ़ने लगी तो ये अपने यार-दोस्तों को फ़ोन करने लगे
और तभी गैस सिलिंडर के फटने से कुल 42 लोगों की मौत हो गयी....!
यहाँ शायद भीड़ के आने पर ही एहसान साहब को पुलिस को फ़ोन
करना चाहिए था ना कि खुद के बन्दों के द्वारा गोली चलवाना चाहिए
था....! पर इन्होने गोली चलाने के बाद फ़ोन किया डाइरेक्टर जेनेरल ऑफ़
पुलिस (DGP ) को......!
यहाँ एक और झूठ सामने आया..... जब अरुंधती रॉय जैसी लेखिका तक ने
यहाँ तक लिख दिया कि ... एहसान जाफरी की बेटी को नंगा करके
बलात्कार के बाद मारा गया और साथ ही एहसान जाफरी को भी.....!
लेकिन.....यहाँ एहसान जाफरी के बड़े बेटे ने ही पोल खोल दी कि .... जिस
दिन उसके पिता की जान गई उस दिन उसकी बहन तो अमेरिका में थी और
अभी भी रहती है.....! तो यहाँ.......... कौन किसको झूठे केस में
फंसाना चाह रहा है ये साफ़ है....! अब यहाँ तक
तो सही था..............पर............. गोधरा में साबरमती को कैसे इस दंगे से
अलग किया जाता और हिन्दुओं को इसके लिए आरोपित
किया जाता ...! इसके लिए लोग गोधरा के दंगे को ऐसे तो संभाल
नहीं सकते थे ...अपने शब्दों से....
तो एक कहानी प्रकाश में आई.....! कहानी थी कि ....कारसेवक
गोधरा स्टेशन पर चाय पीने उतरे और चाय देने वाला जो कि एक मुसलमान
था उसको पैसे नहीं दिए… जबकि गुजराती अपनी ईमानदारी के लिए
ही जाने जाते हैं…! चलिए छोडिये ये धर्मान्धो की कहानी में
कभी दिखेगा ही नहीं....
आगे बढ़ते हैं...|
अब कारसेवको ने पैसा तो दिया नहीं बल्कि मुसलमान की दाढ़ी खींच
कर उसको मारने लगे तभी उस बूढ़े मुसलमान की बेटी जो की 16 साल
की बताई गई वो आई तो कारसेवको ने उसको बोगी में खींच कर
बोगी का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया ..! और इसीके के प्रतिफल
में.......मुसलमानों ने ट्रेन में आग लगा दी और 58 लोगो को मार दिया.....
जिन्दा जलाकर या काट कर.....!
अब अगर इस मनगढ़ंत कहानी को मान भी लें तो कई सवाल उठते हैं:-
क्या उस बूढ़े मुसलमान चाय वाले ने रेलवे पुलिस
को इत्तिला किया...??????? रेलवे पुलिस उस ट्रेन को वहाँ से जाने
नहीं देती या लड़की को उतार लिया जाता..... उस बूढ़े चाय वाले ने 27
फ़रवरी 2002 को कोई FIR क्यों नहीं दाखिल किया...????? 5 मिनट में
ही सैकड़ो लीटर पेट्रोल और इतनी बड़ी भीड़ आखिर जुटी कैसे....????????
सुबह 8 बजे सैकड़ो लीटर पेट्रोल आखिर आया कहाँ से...................?????????
एक भी केस 27 फ़रवरी २००२ की तारीख में मुसलमानों के
द्वारा क्यों नहीं दाखिल हुआ..........??????? अब रेलवे पुलिस कि जांच में
ये बात सामने आई कि ...... उस दिन गोधरा स्टेसन पर कोई ऐसी घटना हुई
ही नहीं थी...! ना तो चाय वाले के साथ कोई झगडा हुआ था और
ना ही किसी लड़की के साथ में कोई बदतमीजी या अपहरण
की घटना हुई.....!
इसके बाद आयी नानावती रिपोर्ट में कहा गया है कि .... जमीअत-
उलमा-इ-हिंद का हाथ था उन 58 लोगो के जलने में और ट्रेन के जलने में....!
उससे भी बड़ी बात कि.....दंगे में 720 मुसलमान मरे तो 250 हिन्दू भी मरे.....!
मुसलमानों के मरने का सभी शोक मनाते हैं........चाहे वो सेकुलर हिन्दू हो....
चाहे वो मुसलमान हो या चाहे वो राजनेता या मीडिया हो ! पर दंगे में
250 मरे हुए हिन्दुओं और साबरमती ट्रेन में मरे ५८ हिंदुवो को कोई
नहीं पूछता है....कोई बात तक नहीं करता है ..! सभी को केवल मरे हुए
मुसलमान ही दिखते हैं...!
एक और बात काबिले गौर है क्या किसी भी मुस्लिम लीडर का बयान
आया था साबरमती ट्रेन के जलने पर....??????? क्या किसी मुस्लिम लीडर
ने साबरमती ट्रेन को चिता बनाने के लिए खेद प्रकट किया.....?????????
इसीलिए सच को जानिए...... और जो भी गुजरात दंगे की बात करे
अथवा नरेन्द्र मोदी के बारे में बोले....... उसे उसी की भाषा में जबाब दें....!
गुजरात दंगा..... मुस्लिमों के द्वारा शुरू किया गया था..... और हम
हिन्दुओं को उनसे इस बात का जबाब मांगना चाहिए..... और उन्हें
जिम्मेदार ठहराना चाहिए....!
अथवा... क्या वे लाशें हिन्दुओं को को मुसलमानों की तरफ से गिफ्ट
थी जो हिन्दुओं को शांत बैठना चाहिए था .....?????? जय महाकाल...!!!
स्रोत: जय हिंद हिन्दू भारत का लेख... dated 2 may 2012 नोट: इस पोस्ट
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हो जाए..... तथा हिन्दुओं के बच्चे-बच्चे की जुबान पर ये सच आ जाये......
जय महाकाल