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Tuesday, September 8, 2015

लाहिरी महाशय - संक्षिप्त परिचय

ॐ..🙏योगिराज श्यामा चरण लाहिरी महाशय - संक्षिप्त परिचय
पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट , मिलिटरी ईन्जीनीयरिंग वर्क्स का आफिस. स्थान - दानापुर.
आफिस के लाहिरी महाशय कुछ फाईलें लेकर बड़े साहब के कमरे के पास आकर कहा-``क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ, सर?``
भीतर से कोई जवाब नहीं आया तो लाहिरी महाशय ने धीरे से भीतर जाकर उनकी मेज पर फाईलें रख दी. साहब दार्शनिकों की तरह खिडकी के बाहर का दृश्य देख रहे थे.
आधे घंटे बाद पुनः कुछ फाईलें लेकर लाहिरी महाशय आये तो देखा- साहब पहले की तरह खोये खोये से हैं.
``सर``
साहब ने गौर से लाहिरी महाशय की ओर देखते हुए कहा-`` आज मन नहीं लग रहा है. आप फाईलें रख कर जा सकते हैं.``
लाहिरी महाशय ने नम्रतापूर्वक पूछा ``क्षमा करें सर. आखिर क्या बात है? मेरे योग्य कोई सेवा हो तो हुक्म कीजिए.``
साहब ने गहरी सांस लेते हुए कहा``ईनग्लेंड से पत्र आया है मेरी पत्नी सख्त बीमार है. समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ. ? वहां होता तो देखभाल करता.``
लाहिरी महाशय ने कहा-`` तभी सोच रहा हूँ कि क्या बात है जो साहब फाईल में हाथ नहीं लगा रहे हैं. मैं थोड़ी देर बाद आता हूँ.``
लाहिरी महाशय की बातें सुनकर साहब का उदास चेहरा मुस्कान में बदल गया. आफिस के सभी बाबू इस करानी बाबू को पगला बाबू कहते थे. हमेशा न जाने कहाँ खोये से रहते थे. बातें करते समय हमेशा मुस्कुराते रहते थे. आँखें ढापी ढापी सी रहती थीं. अपने में मस्त रहते थे.
थोड़ी देर बाद साहब के कमरे का दरवाजा खुला और लाहिरी महाशय भीतर आये. साहब ने कहा-``आज मैं कुछ भी नहीं करूँगा. आप कृपया मुझे तंग न करें. अब फाईलों का काम कल होगा.``
साहब की बातें सुनकर लाहिरी महाशय ने कहा-``सर, आप बिलकुल बेफिक्र रहिये. मेम साहब स्वस्थ हो गयीं हैं. वे आपको आज की तारीख में पत्र लिख रहीं हैं. अगली मेल से आपको पत्र मिल जाएगा. सिर्फ यही नहीं, टिकट मिलते ही वे अगले जहाज़ से भारत के लिए रवाना हो जायेंगी. ``
इधर लाहिरी महाशय अपनी बात कह रहे थे उधर साहब मुस्कुरा रहे थे. साहब ने कहा-`` आप तो इस तरह कह रहे हैं जैसे मेरी पत्नी से मिलकर आ रहे हों. पगला बाबू आपकी बातों से निःसंदेह मुझे सांत्वना मिली है. इसके लिए आपको धन्यवाद, अब आप अपनी टेबुल पर चले जाईये.``
लाहिरी महाशय मुस्कुरा कर अपने टेबुल पर चले गए. गोरे साहब ने बात पर ध्यान नहीं दिया.
एक महीने बाद साहब के चपरासी ने लाहिरी महाशय को कहा कि साहब ने याद किया है.
साहब इन्हें देखते ही बोले-`` पगला बाबू क्या आप ज्योतिष वगैराह जानते हैं.?? आप कमाल के आदमी हैं. आपकी बात सही निकली.``
श्यामाचरण जी अनजान बनते हुए बोले-``कौन सी बात सर जी``
साहब बड़ी प्रसन्नता से बोले-`` आपने मेरी पत्नी के बारे में जो कुछ कहा सब सच निकला. वो बिलकुल ठीक हो गयी है. और भारत के लिए रवाना हो चुकी हैं. मैं बहुत चिंता में था. मैडम को आने दो. उनकी मुलाक़ात आपसे करवाऊंगा. ``
इस घटना के २०-२५ दिन बाद एक दिन लाहिरी महाशय को फिर साहब ने बुलवा भेजा. साहब के कमरे में पहुँचते ही साहब बोले-``आओ पगला बाबू येही हैं मेरी मैडम और ये हैं.......``
``माई गाड``कहने के साथ ही मेम साहिबा अपनी कुर्सी से उछल पड़ी जैसे करेंट लगा हो.
साहब ने चौंक कर पूछा``क्या बात है?``
मेम साहब लाहिरी महाशय को देखते बोली-``आप कब आये?``
साहब ने कहा-``ये क्या कह रही हो, क्या मजाक है? पगला बाबू कब आये मतलब. ये तो यहीं काम करते हैं.``
लाहिरी महाशय मुकराते हुए बिना कुछ बोले बाहर निकल गए. उनके जाने के बाद मेम साहिबा बोलीं-`` बड़े आश्चर्य की बात है जैसे मैं यहाँ आकर जादू देख रही हूँ. घर में जब बीमार थी तब एक दिन यही आदमी मेरे सिरहाने खडा होकर सर पर हाथ फेरता रहा. मुझे घोर आश्चर्य हुआ कि ये आदमी आखिर घर में घुस कैसे गया. लेकिन दुसरे ही क्षण इसने मुझे सहारा देकर बिस्तर पर जब बैठाया तो मेरी सारी बीमारी दूर हो गयी. मुझे अजीब सा लगा. इसने कहा- बेटी तुम बिलकुल ठीक हो गयी हो. अब तुम्हें कोई कष्ट नहीं होगा. भारत में तुम्हारे पति बड़े बेचैन हैं. उन्हें अभी पत्र लिख कर पोस्ट कर दो. कल ही जहाज़ का टिकट बुक करा कर भारत चली जाओ, वरना साहब नौकरी छोड़ कर वापिस आ जायेंगे.- इतना कहकर आपके पगला बाबू गायब हो गए. और आज इस आदमी को यहाँ देख कर डर गयी हूँ.``
मेम साहिबा की बातें सुनकर साहब को भी कम आश्चर्य नहीं हुआ.