Tuesday, May 31, 2016

Rajput fought after head was cut- बाबा मतीजी मिन्हास, Veer Baba Matiji Minhas

बाबा मतीजी मिन्हास
ऐसी मिसाल पुरी दुनिया में मिलनी मुश्किल है,जब मजलुमों की पुकार सुनकर ओर धर्म युद्ध के लिए अपनी शादी अधूरी छोड़कर अपने जीवन की आहुती भेंट करदी हो, ऐसी मिसाल एक महावीर राजपूत ही पेश कर सकता है ! धन्य हों मतीजी मनहास जिनका सर काटने के बाद भी धड़ दुश्मनों के सर काटता रहा।
There are many sagas in rajput history singing glories of the brave men who kept fighting even after they were beheaded. One of such sagas is of the Veer Baba Matiji Minhas.
बाबा मतीजी मिन्हास ...और उनके परिवार का इतिहास :- बीरम देव मिन्हास जी ने बाबर के खिलाफ युद्ध की थी ! इनका एक पुत्र श्री कैलाश देव पंजाब के गुरदासपुर के इलाके में बस गया ! कैलाश देव मिन्हास जी के दो पुत्र कतिजी और मतिजी जसवां ( दोआबा का इलाका जहां जस्वाल राजपूत राज करते थे) में विस्थापित हो गए ! यहाँ पर दोनों भाई जस्वाल राजा की सरकार में ऊँचे ओधे पर काम करने लगगए ! जसवां के जस्वाल राजा ने इनकी बहादुरी और कामकाज को देख कर इनाम में जागीर दी , जो की होशिारपुर का हलटा इलाका है ! कहा जाता है की , मतिजी जो शादी का दिन था , और वह अपनी शादी में फेरे ले रहे थे ,तभी एक ब्राह्मण लड़की ने शादी में ही गुहार लगाई की उसका गाओ मुस्लमान लुटेरे लूट रहे है , गोऊ को काट रहे है , लड़कीओ को बेआबरु कर रहे है , गाओ को तहस नहस कर रहे है ! मतिजी ने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए , और एक सच्चे क्षत्रिय की भांती आधे फेरे बीच में ही छोड़कर उन मुस्लमान लुटेरों को मार भगाया , लेकिन इस बीच एक दुश्मन के वार से उनका सर धड़ से अलग हो गया , लेकिन वह फिर भी बिना सर के ही उनसे लड़ते रहे , यह नज़ारा देख दुश्मन भागने लगे , मतिजी ने उनका कुछ दूर तक बिना सर के पीछा किया लेकिन वह सब मैदान छोड़ कर दौड़ गए !
बाबा मतिजी दरोली के स्थान पर वीर गति को प्राप्त हुए ! उनकी होने वाली पत्नी ( क्यूंकि शादी पूरी नही हुए थी ) श्रीमती सम्पूर्णि जी (जो की नारू राजपूत थी ) भी उनके साथ ही अलग चिता में सती होगई ! क्युकी उनकी शादी अधूरी थी इस लिया उन्हें अलग चीता में बिलकुल मतिजी की चीता के साथ सती होने की अनुमति दी गई थी ! आज उन दोनो के स्थान दरोली में साथ साथ है जहां उन्हें अग्नि दी गई थी !
इस प्रकरण के बाद उनके भाई कतीजी ने अपनी जागीर को बदलवाकर दरोली ले ली थी , जहां उनके भाई शहीद हुए थे ! यह स्थान मन्हास राजपूतो के जठेरे है , क्यों की गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में इस स्थान और आस पास के राजपूत परिवार सिक्ख बन गये थे , बिलकुल बाबा मतिजी और सम्पूर्णिजी की स्थान के साथ ही एक भवय गुरुद्वारा बाबा मतिजी के नाम से बनवाया गया है !
एक बात बताना चाहता हुँ खालसा साजना के 40 - 50 वर्षो तक सभी तख्तो के जनरल , शस्त्र विद्या सिखाने वाले , ज़ादा तर बहादुरी और मैदान ए जंग में जौहर दिखाने वाले राजपूत योद्धा ही थे ,यह जुझारू पन उन्हें विरासत में मिला था ! गतका , शस्त्र विद्या , घुड़सवारी उनके पूर्वज हज़ारो साल से करते थे ,और यह सब उनके खून में ही था !
वैसे तो जठेरे पूजन और सती पूजन सिक्ख धर्म में पूर्ण तरह मना है , लेकिन फिर भी हमारे सिक्ख राजपूत भाई आपने रीती रिवाज , और अपने राजपूत होने पर पूरा गर्व करते है और राजपूतो में ही शादी करवाते है !
जय क्षत्रिय धर्म !!

From Manisha Singh

Monday, May 23, 2016

बाड़मेर की पहाड़ियों में मिला 1000 अरब का 'खजाना', खबर सुनकर चीन की उड़ गई नींद


अपने दामन में तेल और कोयला समेटे राजस्थान की बाड़मेर पहाड़ियां अब दुर्भल खनिज भी उगलेंगी। यहां की चट्टानों में एक हजार अरब से ज्यादा का दुर्लभ खनिज होने के संकेत मिले हैं। करीब सात मिलियन टन और साढ़े सात सौ वर्ष पुराना यह खजाना भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने खोज निकाला है। देश में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में टेरिस्टीअल यानी जमीन पर पाए जाने वाले खनिज का भंडार मिला है। इस खबर को सुनकर चीन परेशान हो गया है। क्योंकि रेअर अर्थ के निर्यात मामले में चीन की दुनिया में बादशाहत चल रही है। ऐसे में अब उसका ताज छिनने का संकट पैदा होने से चिंतित होना लाजिमी है। बाड़मेर जिला  तेल और कोयला जैसी खनिज संपदाओं के दम पर देश की खनिज राजधानी के रूप में मशहूर हो रहा है। 

चीन के पास 97 फीसदी खनिज

चीन दुनिया में 97 फीसदी रेअर अर्थ का निर्यात करता है। वहीं अमेरिका, मलेशिया, आस्ट्रेलिया, ब्राजील और भारत में महज तीन प्रतिशत यह खनिज संपदा पाई जाती है। दुनिया में इस खनिज की मांग बढ़ने पर 2010 से चीन ने निर्यात करना कम कर दिया। जिससे दुनिया के देशों को उससे बार-बार मान-मनुहार करनी पड़ती है। कम सप्लाई से उपलब्धता का संट पैदा कर चीन खूब मुनाफा भी कर रहा है। ऐसे में भारत में खनिज की खोज से चीन की बादशाहत छिन जाएगी। 

खनिज का इस्तेमाल

रेअर अर्थ का इस्तेमाल कई महत्वपूर्ण कार्यों में होता है।  मसलन, बैटरी, केमिकल इंडस्ट्री वर्क, सुपर कंडक्टर, हाई प्लग्स, मैग्नेट, इलेक्ट्रानिक पॉलिसिंग, स्पेश सेक्टर, सौर ऊर्जा, सैन्य उपकरण, आयल रिफाइनरी, हाईब्रिड कार आदि से जुड़े कार्यों में इसका इस्तेमाल होता है। 

बाड़मेर.

खजाना यहां होने के प्रमाण

बाड़मेर के सिवाना रिंग्स कांम्प्लेक्स और मालानी रॉक्स में यह खजाना खोज में मिला है। सिवाना क्षेत्र के कमठाई, लंगेरा, राखी, फूलन व डंडाली में यह खजाना है। यहां की चट्टानें करीब 745 मिलियन वर्पुष रानी हैं। 

इस प्रकार के खनिज मिले

बाड़मेर में थोरियम, यूरेनियम, जर्मेनियम, टिलूरियम, यूरेनियम, रुबीडियम, गैलेनिय जैसे 15 प्रकार के खनिज रेअर अर्थ के तहत मिले हैं। सभी लेंथोनाइट ग्रुप के खनिज हैं। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

वरिष्ठ भू-विज्ञानी प्रो. एससी माथुर कहते हैं कि खनिज की मौजूदगी से पता चलता है कि राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में उच्च ताप-दाब की घटना पूर्व में घट चुकी है।  20 किमी त्रिज्या के उल्कापिंड टकराने से दो सौ किमी त्रिज्या की सिवाना संरचना बना। डाइट्स में दुर्भल खनिज मिलते हैं। बाड़मेर में  65 मिलियन वर्ष की रेडियल डाइट्स के संकेत मिले हैं।

From 

http://www.indiasamvad.co.in/

India launches space shuttle of her own-ISRO has done it again.




India successfully launched its first mini space shuttle on 5/23/2016, as New Delhi's famously frugal space agency joined the global race to make rockets as reusable as airplanes.
The shuttle was developed on a budget of just one billion rupees ($14 million), a fraction of the billions of dollars spent by other nations' space programmes.
The Reusable Launch Vehicle, or RLV-TD, which is around the size of a minibus, hurtled into a blue sky over southeast India after its 7:00am (0130 GMT) lift off.
After reaching an altitude of about 70 kilometres (43 miles), it glided back down to Earth, splashing into the Bay of Bengal 10 minutes later.
The test mission was a small but crucial step towards eventually developing a full-size, reusable version of the shuttle to make space travel easier and cheaper in the future.
"We have successfully accomplished the RLV mission as a technology demonstrator," Indian Space Research Organisation (ISRO) spokesman Devi Prasad Karnik told AFP.
The worldwide race for reuseable rockets intensified after NASA retired its space shuttle programme in 2011.
While Internet tycoon Elon Musk's SpaceX and Blue Origin of Amazon owner Jeff Bezos have already successfully carried out their own test launches but they were very expansive..




India doing wonders in space mission after well known - Mission to Mars -on a shoestring budget in 2013  sending an unmanned rocket to orbit Mars at a cost of just $73 million. NASA's Maven Mars mission had a $671 million price tag.
Now India is first Asian country to use re usable space shuttle after becoming first Asian country to reach the Red Planet per K. Sivan, a scientist involved in the latest project, said the seven-metre (23-foot) long shuttle survived the test flight, and scientists hope subsequent models six times as big, to be built over the next decade, will glide safely back to land.
"We have located the place where the vehicle is floating. The landing was soft and the vehicle did not break," Sivan told AFP.
"The mission went off as planned and data from the experiment showed that we have achieved its objectives and demonstrated the RLV technology."
Prime Minister Narendra Modi praised the "industrious efforts" of ISRO scientists.
"Dynamism & dedication with which our scientists & @isro have worked over the years is exceptional and very inspiring," Modi said on Twitter.



Friday, May 6, 2016

अमेरिका महाद्वीप और हिन्दू धर्म :

हिन्दू धर्म “धीयते इति धर्मः” यानि “मनुष्य अपनी धारणा जो स्वीकार
करता है वो ही धर्म है” के सिद्धांत पर चलता है | रोम संस्कृति के राजा
के विरुद्ध ईसामसीह ने अल्लाह को परमेश्वर कहा तो राजद्रोह में मृत्युदंड
मिला… इसाइयत को अपनी संख्या बढ़ाना था तो उसने धर्मांतरण को और चर्च आधारित राजनीति और कूटनीति से अनुयायियों की संख्या बढ़ाया क्यों की उसको डर था की संख्या कम रहेगी तो इसाइयत के विरोधी उसका खात्मा कर देंगे | इस्लाम ने हिजरत से ही हथियार थाम लिया और उसे अपनी संख्या बढ़ाने के लिए गुलामों पर अत्याचार कर के और क्रूरता से लोगों को मुसलमान बनाया क्यों की रोम की विशाल सत्ता के विपरीत अरब में छोटी छोटी आबादी और उनके खलीफा होते थे जिन्हें हथियारों से हराया जा सकता था |
 
हिन्दू धर्म ने कभी किसी को जबरन हिन्दू नहीं बनाया, क्योंकि ये सनातन सभ्यता के ऊपर किसी विरोधियों या शत्रुओं का भय नहीं था की अपनी आबादी बढाओ | इतिहास देखो हमारी संस्कृति ने “पृथ्वी शान्तिः” “अन्तरिक्षम शान्ति” का उद्घोष किया है| अयोध्या” संस्कृत के अयुध्य शब्द से बना है यानि जहाँ कभी युद्ध न हुआ हो | अवध का भी सामान अर्थ है की जहाँ पर कभी
“वध” न हुआ हो | ये अलग बात है की मुग़ल आक्रान्ताओं और लुटेरों ने इसे नरसंहार का सबसे बड़ा अखाडा बना दिया |
हमारे हिन्दू मनीषियों ने अपने संस्कृति को इतना श्रेष्ठ बनाया की पूरा विश्व उसकी ओर आकर्षित हुआ | फाह्यान, ह्वेनसांग और तुम्हारे अलबरूनी जैसे कितने मुल्ले भी यहाँ इस देश की माटी में धन्य होने और मुक्ति पाने आ गये थे | इस्लाम के अभ्युदय के हज़ारों साल पहले पूरा संसार आर्यों ने नाप लिया था| आज युरोप जिसे “navigation” कहता है वो कुछ और नहीं संस्कृत शब्द “नवगतिम” है जिसका अर्थ है नौका संचालन| पूरे विश्व को नौका संचालन का ज्ञान आर्यों ने ही दिया है | भले ही आज हम मुर्ख भारतीय कहते हैं की भारत की खोज “वास्कोडिगामा” ने किया था |
अमेरिका महाद्वीप और हिन्दू धर्म :
अमेरिका के रेड इंडियन वहां के आदि निवासी माने जाते हैं और हिन्दू संस्कृति वहां पर आज से हजारों साल पहले पहुंच गई थी इन्ही लाल मनुष्यों के द्वारा यानी की इतिहासकारों के आधार पर महाभारत काल में| सभी अमेरिकन इतिहासकार मानते हैं की भारतीय आर्यों ने ही अमेरिका महाद्वीप पर सबसे पहले बस्तियां बनाई | अमेरिकन महाद्वीप में मक्सिको सबसे पुराना है | मैक्सिको के सबसे आदि धर्म AZTEC के देवता TLALOC हैं और ये AZTEC और कुछ नहीं अपितु संस्कृत का “आस्तिक” ही है और TLALOC, संस्कृत का शब्द त्रिलोक है | मेक्सिको में TLALOC की पूजा का इतिहास AZTEC साम्राज्य के इतिहास से भी १००० साल पुराना है |
मजे की बात यह है की त्रिलोक (TLALOC) के मदिरों को वहां त्रिलोचन (TLALOCAN) कहा जाता है और उनका सबसे महत्वपूर्ण मंदिर “Mount Tlaloc” पर स्थित है यानि हिमालय वासी शिव का त्रिलोचन स्वरुप उसी रूप में वहां पहुंचा | TLALOC को वहां के लोग गुफाओं, झीलों और पर्वतों का वासी मानते हैं और अकाल मृत्यु से मुक्ति का देवता भी | हमारे सनातन संस्कृति में भी शिव मुक्ति दाता हैं |
यदि हम बात करें वहां के मूल भाषा पुरानी नौहाटी की तो उसमे इसका उच्चारण “त्रालोक” से करते हैं | त्रिलोक की एक मूर्ती Templo Mayor (मयूर मंदिर) में आज के वर्तमान मक्सिको सिटी शहर में है | जिसमे त्रिलोक की मूर्ती में मुकुट पर सर्प विराजमान है | यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत घोषित किया है | उसी के साथ माया सभ्यता का भी प्रभाव मक्सिको पर पड़ा जो की हिन्दू संस्कृति से बहुत कुछ आत्मसात कर चुकी थी विशेषकर पंचांग और गणित |
चिली पेरू और बोलीविया में हिन्दू धर्म :
अमेरिकन महाद्वीप के बोलीविया (वर्तमान में पेरू और चिली) में हिन्दुओं ने अपनी बस्तियां बनाएँ और कृषि का भी विकास किया | Quechua Pachakutiq “he who shakes the earth” की महान घटना कुर्म पुराण के “कच्छप प्रिष्ठौती” है और वही एक सामान पौराणिक कथा भी | प्रसिद्द थिअहुअन्को के कैलासिय मंदिर “Temple of Kalasasaya” के द्वारपाल विरोचन, सूर्य द्वार, चन्द्र द्वार सब कुछ हिन्दू संस्कृति की महान गाथा का साक्षी है |
सांप या नाग, हिंदू धर्म के सभी पंथ महत्वपूर्ण है और यहां तक कि अमेरिका में, अभी भी बहुत स्थानों में प्रचलित है जो प्राचीन अमेरिका के व्यापक नाग पंथ और उसके समानता के प्रति समर्पित हैं | यहां तक कि ईसाई धर्म में, यीशु ने बाइबिल में कहा : “तु रहो नागों, और कबूतर के रूप में हानिरहित के रूप में इसलिए बुद्धिमान. “मूसा ने अपने भगवान से निर्देशन में बेशर्म नाग की स्थापना करके लोगों को चंगा किया | रोमन और ग्रीक में प्रचलित शब्द serpent संस्कृत शब्द “सर्प” ही है |प्राचीन हिन्दुओं की पूजा पधतियों ने अमेरिका पर प्रभुत्व किया|
संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक सेना के नेटिव अमेरिकन की एक ४५वि मिलिट्री इन्फैन्ट्री डिविसन का चिन्ह एक पीले रंग का स्वास्तिक था | नाजियों की घटना के बाद इसे हटाकर उन्होंने गरुण को चिन्ह अपनान पड़ा | 
अमेरिकी महाद्वीप के होपी आदिवासीयों का एक महत्वपूर्ण घटना की गाथा “Saquasohuh” “Day of Purification” (संस्कृत : स्वच्छ होहु) में Blue Star Kachina की घटना में वर्णित ८ प्रमुख चिन्हों में वृष आरूढ़ शिव और नागों से लिपटती धरती का वर्णन है जो हमारे पौराणिक गाथाओं से पूरा पूरा मिलता है | अमेरिकी महाद्वीप के पेमा इंडियन की गाथा हिन्दू गरुण के थंडर बर्ड और क्रेते सिक्कों के चक्रव्यूह की रचना सभी भारतीय प्रवासों की गाथा कह रहे हैं | प्राचीन अमेरिका महाद्वीप के पेमा इंडियन हों या रोमन साम्राज्य (युरोप)में मिलने वाला लोकप्रिय खेल “करेते”Crete (Greek: Κρήτη, Kríti)
या Labyrinth वास्तव में भारत के प्रसिद्द चक्रव्यूह भेदन की कृति है और यही कृति वहां करेते बन गई महाभारत काल से ही चक्रव्यूह भेदन और धनुर्विद्या भारत के लोकप्रिय खेल थे | यूरोप में भी युद्ध के खेलों का बहुत प्रचलन था और चक्रव्यूह भेदन की कला करेते के लोकप्रिय आयोजन होते थे, इसी कारण आज भी मैराथन खेलों के लिए विश्व प्रसिद्द ग्रीस का सबसे
सुन्दर और प्रसिद्द स्थान का नाम “करेते” Crete है और ये शहर अपने खेलों, संगीत और साहित्य के लिए आज भी प्रसिद्ध है| ये शहर यूरोप के सबसे पुराने ज्ञात मानव सभ्यता के लिए जाना जाता है |
गुयाना : दक्षिण अमेरिका के गुयाना में १५० साल पहले उत्तर प्रदेश और बिहार से लोगों का पलायन हुआ था | आज वहां की आबादी के ४०% लोग हिन्दू है और वहां फगुआ और दीपावली राष्ट्रीय त्यौहार घोषित है | भारतीय भाषा में हिंदी भोजपुरी बोली जाती है |
सूरीनाम : इस देश का नाम ही भोजपुरी शब्द सरनाम से सूरीनाम पड़ा जिसका मतलब है प्रसिद्ध | ३० % हिन्दुओं के साथ हिन्दू देश का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है | गिरमिटिया मजदूरों के समूह में वहां गन्ने के खेतों में काम करने गए हिन्दू आज उन देशों की राजनीति में ऊंचे स्थानों पर हैं और दक्षिण अमेरिका में एक शसक्त पहचान के साथ उभरे हैं |
जमैका : जमैका में हिन्दू दूसरा सबसे बड़ा धर्म है | ये हिन्दू गिरमिटिया मजदूर के रूप में वहां पहुचे और दीवाली देश की राष्ट्रीय छुट्टी है |
त्रिनिदाद एवं टोबैगो : इस देश में हिन्दू ३० % हैं | और हिन्दुओं का राजनीति पर बेहद मजबूत पकड़ है | सनातन धर्म महासभा के माध्यम से हिन्दू धर्म इस देश में सबसे तेजी से मजबूत हो रहा है | फगवा सबसे बड़ा त्यौहार है | वासुदेव पाण्डेय यहां के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और कमला प्रसाद बिस्वेस्वर देश की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं | और रोचक बात ये है की मशहूर रैपर और गायिका निकी मीनाज इसी देश की एक हिन्दू ब्राह्मण की बेटी हैं जिनका वास्तविक नाम ओनिका तान्या महाराज है|
प्रसिद्ध पिपिल भाषा जो मेक्सिको में प्रारंभ हुई वो हिन्दुस्तानी नाविकों की बस्तियों में प्रारम्भ हुआ और वहां इसे आज भी नाविक (nawat) भाषा कहते है इसी प्रकार nahua भी संस्कृत के नाविक से निकली है | पूरा मेसो अमेरिकन सभ्यता हिन्दू धर्म से भरी पड़ी है | यहाँ तक की आज की स्पेनिश भाषा जो मेक्सिको और अमेरिका की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा
है वह भी हिंदी-यूरोपीय भाषा परिवार है | हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार (Indo-European family of languages) दुनिया का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बन्धित भाषाओं का समूह) हैं । हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएं और बोलियां सम्मिलित हैं ।
आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं : हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि । ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है | स्पेनिश का बोय्नेस दियास में दियास हमारा “दिवस” है जिसका अर्थ है गुड मार्निंग |
आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा (Proto-Indo-European language), जो संस्कृत से काफ़ी मिलती-जुलती थी, जैसे कि वो संस्कृत का ही आदिम रूप हो ।
Annotata : अन्नदाता
Banff : वाष्प
Bahia : बाहु (हाथ)
Cuika : कविता
Chocaya : शोकः
Chaacâ : चक्र देवी (माया सभ्यता)
Huascar : भास्कर (सूर्य)
Havana : हवन
Wanaco : वन वासी (जंगली)
Jaguarâ : व्याघ्र
Montezuma/Moktesuma : मुक्ति कुसुमः
Matawan : मात्री वन
Nazca/Naska : नक्षत्र
Papeetee : पाप इति
Palenque : पालक (मंदिर के देवता)
इस तरह के बहुत शब्द हैं जो आर्यों की वैदिक परम्पराओं से वहां तक पहुंचे|
मनुष (संस्कृत) >> menos (यूनानी) >> mens(लैटिन) >> men (अंग्रेजी)|
आज पूरा विश्व खुद को मनुष्य यानि मनु की संतान कहता है | यही तो सनातन का गौरव है |
from
Manisha Singh's