Tuesday, April 7, 2015

श्रीलंका के इन लोगों से हर 41 साल बाद मिलते हैं हनुमान जी!

विभिन्न आध्यात्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि हनुमानजी अजर-अमर हैं। उनका नाम सप्त चिरंजीवियों में भी शामिल है। दुनिया में ऐसे कई स्थान बताए जाते हैं जिनका संबंध हनुमानजी से है।

ऐसी ही एक जगह श्रीलंका में है, जिसके बारे में लोगों का कहना है कि यहां हर 41 साल बाद हनुमानजी आते हैं। वे कुछ दिन वहां रहते हैं और पुनः चले जाते हैं। इसके बाद लोगों को अगले 41 साल तक उनका इंतजार करना होता है।
इन लोगों को मातंग आदिवासी कहा जाता है। इन आदिवासियों के मुताबिक हनुमानजी से उनकी मुलाकात 27 मई 2014 में हो चुकी है। अब अगली मुलाकात 2055 में होगी। गौरतलब है कि हनुमानजी का जन्म जिन ऋषि के आश्रम में हुआ था, उनका नाम भी मातंग था।

आज मातंग आदिवासी श्रीलंका के पिदुरु पहाड़ के जंगलों में रहते हैं और प्रायः बाहरी समाज से दूर रहना पसंद करते हैं।
कहा जाता है कि मातंग आदिवासियों से हनुमानजी का रिश्ता बहुत प्राचीन है। वे रामायण काल से ही इन लोगों से मुलाकात करते रहे हैं। उनके मुताबिक, हनुमानजी ने उन्हें वचन दिया था कि वे हर 41 साल बाद उनसे मिलने आएंगे।

जब हनुमानजी आते हैं तो उनके कबीले के मुखिया बाबा मातंग संपूर्ण विवरण एक पुस्तिका में लिखते हैं जिसे हनु पुस्तिका कहा जाता है।
कहा जाता है कि जब धरती पर श्रीराम अपनी लीला का समापन कर स्वधाम चले गए, तब हनुमानजी अयोध्या से जंगलों में लौट आए। यहां आकर वे तपस्या में लीन हो गए। वे श्रीलंका के जंगलों में भी आए थे। यहां मातंग आदिवासियों ने उनकी सेवा की थी। इससे खुश होकर हनुमानजी ने उन्हें वचन दिया कि वे हर 41 साल बाद उनसे मिलने आएंगे।


इन आदिवासियों का मानना है कि तब से हनुमानजी अपना वायदा लगातार निभाते आ रहे हैं। वे लोग प्रकृति के निकट रहते हैं और हनुमानजी की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि हनुमानजी के दर्शन के लिए हृदय का शुद्ध होना बहुत जरूरी है।

बिना शुद्ध हृदय के उनके दर्शन नहीं हो सकते। उनकी दृढ़ मान्यता है कि हनुमानजी श्रीराम की तपस्या में लीन रहते हैं और जगत के कल्याण के लिए भी तत्पर रहते हैं।






 

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